यिंगलक चिनावाट ने बीबीसी को बताया कि थाईलैंड में अभी ऐसे हालत नहीं है जिनमें चुनाव कराए जा सकें.

प्रदर्शनकारी सरकारी इमारतों पर कब्जा कर रहे हैं, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे लोगों पर बल प्रयोग की अनुमति नहीं देंगी.

यिंगलक चिनावाट का ये बयान ऐसे समय आया है जब प्रदर्शनकारी राजधानी बैंकॉक में सेना मुख्यालय की ओर बढ़ रहे थे.

गुरुवार को यिंगलक ने लोगों से प्रदर्शन ख़त्म करने की अपील की थी.

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लेकिन प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे विपक्ष के वरिष्ठ नेता सुथेप थागसुबेन ने उनकी अपील मानने से इनकार कर दिया था.

उनका कहना है, ''हम उन्हें और काम नहीं करने देंगे.''

घटनास्थल पर मौजूद बीबीसी संवाददाता जोनाह फिशर का कहना है कि लगभग 1,000 प्रदर्शनकारी एक बड़े लॉन में जमा थे और मंच से भाषण दे रहे अपने नेताओं को सुन रहे थे.

इतना ही नहीं, ये नेता सेना से आह्वान कर रहे थे कि वे इन प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आएं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, एक प्रदर्शनकारी का कहना था, ''हम जानना चाहते हैं कि सेना किसके साथ है.''

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि अधिकारी किसी तरह का टकराव नहीं चाहते थे और बाद में सभी प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से तितर-बितर हो गए.

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थाईलैंड में विरोध प्रदर्शनों का ताज़ा दौर तब शुरू हुआ जब सरकार ने एक विवादित विधेयक पारित करना चाहा जिसमें थाक्सिन चिनावाट की देश वापसी का रास्ता साफ़ करने की बात कही जा रही है.

सीनेट ने इस विधेयक को खारिज कर दिया है.

'राजनीतिक खेल'

थाईलैंड में इस हफ्ते प्रदर्शनकारियों ने सरकार को काम करने से रोकने के इरादे से कई सरकारी इमारतों के इर्दगिर्द अपना शिकंजा-सा कस दिया था.

विरोध-प्रदर्शन अभी तक कमोबेश शांतिपूर्ण रहा है, हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मुख्यालय की बिजली आपूर्ति बाधित कर दी थी.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यिंगलक चिनावाट भले ही देश की प्रधानमंत्री हों लेकिन सत्ता की असली बागडोर उनके भाई थाक्सिन चिनावाट के हाथ में है जो निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.

पुलिस ने विपक्षी नेता थागसुबेन को गिरफ्तार करने के आदेश जारी कर दिए थे लेकिन अभी तक उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया है.

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गुरुवार को टेलीविज़न के माध्यम से देश को संबोधित करते हुए यिंगलक ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों को बातचीत का रास्ता अख्तियार करना चाहिए.

यिंगलक का कहना है, ''सरकार किसी राजनीतिक खेल में नहीं पड़ना चाहती क्योंकि हमारा मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है.''

थाईलैंड साल 2010 के बाद सबसे बड़े राजनीतिक विरोध प्रदर्शन का सामना कर रहा है. साल 2010 में थाक्सिन के 'रेड-शर्ट' समर्थक हज़ारों की संख्या में सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने राजधानी बैंकॉक के अहम हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया था.

तब दो महीने तक चले धरना-प्रदर्शन में 90 से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर आम नागरिक थे.

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