बरेली (ब्यूरो)। शहर में कभी यहां जाम, कभी वहां जाम की परेशानी आम है. जिला मुख्यालय पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बाद भी जब जाम आम है तो, पूरे जिले में यह परेशानी किस कदर लोगों के लिए सिर दर्द बनती होगी, यह ट्रैफिक पुलिस में मानव संसाधन की स्थिति से समझा जा सकता है. पुलिस की इस यूनिट के जिम्मे पूरे जिले की ट्रैफिक व्यवस्था का भार है, पर यह यूनिट इस भार को संभालने में पूरी तरह सक्षम है नहीं. यह बात इसलिए कही जा सकती है कि इस यूनिट के जो कांस्टेबल ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने का काम करते हैं, उनकी संख्या एक तिहाई भी नहीं है. इसके चलते ही ट्रैफिक व्यवस्था का बोझ होमगाड्र्स के कमजोर कंधों पर डाला गया है.

कांस्टेबल्स की संख्या मात्र 41
जिले की ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार कितने फिक्रमंद या संजीदा हैं, यह ट्रैफिक पुलिस में कांस्टेबल्स की संख्या से साफ होता है. ट्रैफिक पुलिस में कांस्टेबल्स की संख्या 148 निर्धारित है, पर वर्तमान में इनकी संख्या मात्र 41 है. इस तरह जिले में ट्रैफिक कांस्टेबल निर्धारित संख्या के एक तिहाई भी नहीं है. इसी तरह हेड कांस्टेबल्स की संख्या भी निर्धारित से आधी है. ट्रैफिक पुलिस में हेड कांस्टेबल्स की संख्या 54 निर्धारित है, पर वर्तमान में इनकी संख्या मात्र 27 है.

हमराही, ऑफिस में भी तैनात कांस्टेबल
ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने वाले कांस्टेबल एक तिहाई से कम होने के बाद भी कई दूसरे कामों में एंगेज हैं. जानकारी के अनुसार सात कांस्टेबल तो ऑफिस वर्क संभालते हैं. इसके अलावा कांस्टेबल बतौर हमराही अधिकारियों के साथ भी रहते हैं. एक टीआई के साथ दो-दो कांस्टेबल बतौर हमराही रहते हैं तो हर टीएसआई के साथ एक हमराही रहता है. हमराही और ऑफिस वर्क में लगे कांस्टेबल्स की कुल संख्या ही 30 है.

ट्रैफिक पुलिस में अधिकारी भरपूर
ट्रैफिक पुलिस में व्यवस्थाएं कैसी हैं, यह यहां छोटे व बड़े कर्मचारियों की वर्तमान संख्या से साफ हो रहा है. विभाग में ट्रैफिक एसपी के साथ ही तीन ट्रैफिक इंस्पेक्टर, 15 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर निर्धारित हैं. वर्तमान में इंस्पेक्टर तो निर्धारित संख्या से भी एक अधिक यानी चार हैं. टीएसआई भी पूरे 15 हैं.

200 होमगार्ड ट्रैफिक के हमराही
वर्तमान में जिले की ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने में सबसे बड़ी भूमिका होमगाड्र्स निभा रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस इकाई में कांस्टेबल्स और हेड कांस्टेबल्स की संख्या बेहद कम होने से 200 होमगाड्र्स को इस इकाई में तैनात किया गया है. शहर के अधिकांश चौराहों और भीड़ वाली जगहों पर भी ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए इन्हीं को लगाया गया है. ट्रैफिक कंट्रोल करने में पूरी तरह ट्रेंड नहीं होने के बाद भी यह होमगाड्र्स अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

60 पीआरडी जवान भी ट्रैफिक कंट्रोलर
ट्रैफिक पुलिस में होमगाड्र्स तो बड़ी भूमिका निभा ही रहे हैं, पीआरडी जवान भी इसमें अपनी भागीदारी उतनी ही जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं. वर्तमान में ट्रैफिक पुलिस की टीम में 60 पीआरडी जवानों की भी तैनाती की गई है. प्रांतीय रक्षा दल के यह जवान जिलेभर में होमगाड्र्स के साथ ट्रैफिक कंट्रोलर बने हुए हैं. वर्षों से उपेक्षित रहे पीआरडी जवानों को ट्रैफिक पुलिस के साथ अटैच करने से इनका भी भविष्य संवर रहा है.

होमगार्ड कम असरदार
ट्रैफिक पुलिस में तैनात होमगार्ड भले ही पूरे जिले में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में जुटे हों, पर यह फील्ड में ट्रैफिक कांस्टेबल्स के बराबर असरदार नहीं हैं. सडक़ पर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले भी इन्हें कमजोर समझते हैं. अपनी ड्यूटी में कई बार तो हामगाड््र्स को मिसबिहेव का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों को पता होता है कि होमगार्ड उनके खिलाफ कांस्टेबल की तरह कार्रवाई नहीं कर सकता है. यही वजह है कि अधिक जाम वाली जगहों पर ही ट्रैफिक कांस्टेबल तैनात दिखाई देते हैं.

बोले अधिकारी
जिले में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह सुव्यवस्थित संचालित हो रही है. मानव संसाधन की कमी की कोई बात नहीं है. ट्रैफिक पुलिस के सहयोग के लिए 200 होमगाड्र्स और 60 पीआरडी जवानों को भी तैनात किया गया है. इसके अलावा कई जाम वाले प्वाइंट्स पर ट्रैफिक मैनेजमेंट ऐसा कर दिया गया है कि वहां ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए अब कांस्टेबल को तैनात करने की जरूरत ही नहीं है.
राममोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक