-एक साल में शहर में 1500 से ज्यादा घायलों में 50 फीसदी हुए दिव्यांग

--NCRB के आंकड़ों ने किया खुलासा, एक्सीडेंट में घायल होने वालों में युवा सबसे ज्यादा

KANPUR : व‌र्ल्ड डिसएबिलिटी डे के मौके पर एक तरफ जहां डिसएबिलिटी को लेकर आज कई प्रोग्राम आयोजित होंगे। वहीं एक चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि बीते एक साल में कानपुर में यूपी के किसी भी शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट हुए हैं। इनमें मरने वालों की संख्या में इजाफा तो हुआ ही है, साथ ही साथ हादसों में सबसे ज्यादा लोग भी यहीं घायल हुए हैं। इन घायलों में 50 फीसदी से ज्यादा को परमानेंट डिसएबिलिटी भी हुई है। यह आंकड़ा जन्मजात दिव्यांगता के साथ पैदा होने वाले बच्चाें से कहीं ज्यादा है।

सबसे ज्यादा युवा प्रभावित

मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के एचओडी प्रो। संजय काला बताते हैं कि रोड एक्सीडेंट्स में घायल जो लोग हैलट पहुंचते हैं उनमें ज्यादातर युवावस्था में होते हैं। इनमें 40 फीसदी तो हेड इंजरी के पेशेंट्स होते हैं। बाकी बड़ी संख्या में ऐसे घायल भी पहुंचते हैं, जिन्हें ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट भी भेजा जाता है। मौजूदा ट्रेंड देखा गया है कि कई हादसों में हाथ या पैर को काटना पड़ जाता है। ऐसे में इनमें परमानेंट डिसएबिलिटी आ जाती है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि कानपुर में दिव्यांगजनों की बढ़ती संख्या के पीछे एक्सीडेंट्स बड़ी वजह हैं।

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सही भी हो सकते हैं

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार बताते हैं कि आकस्मिक किसी वजह से दिव्यांगजनों की श्रेणी में आने वाले लोगों को अपने इलाज पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उनके मुताबिक मेडिकल कॉलेज आने वाले एक्सीडेंट्स में घायल करीब 4 प्रतिशत लोगों को विशेषज्ञों ने सलाह दी और उनका सफल ऑपरेशन भी किया गया, जिससे उनकी दिव्यांगता को करीब 89 प्रतिशत तक सही किया जा सके। ऐसे में जागरुक रहने की जरूरत है।

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श्ाॉकिंग फैक्ट्स

- 1479 रोड एक्सीडेंट हुए

- 1085 लोग घायल हुए

- 50 परसेंट लोगों में परमानेंट डिसएबिलिटी आई

- 57 यात्री ट्रेनों से गिर कर घायल हुए और पैर व हाथों से विकलांग हुए

(आंकड़े 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक)