ढबहीं से हॉलीवुड तक
मिर्जापुर के रामपुर ढबही की पिंकी आपको याद है ना? हां, हां वहीं ऑस्कर अवार्ड डाक्यूमेंट्री फिल्म 'समाइल पिंकी' की रीयल कैरेक्टर। वो एक बार फिर खबरों में है। आपको भी लगा होगा कि अब क्या है? दरअसल, उसकी जिंदगी कुछ अटपटी सी है ही। वज्र देहात के एक बेहद गरीब फैमिली में कटे होठों का अभिशाप लेकर पैदा होना। गुमनाम सी जिंदगी से बाहर निकल कर ऑपरेशन कराना। रीयल लाइफ को रील लाइफ में देखना। उस फिल्म को ऑस्कर से नवाजा जाना। रामपुर ढबहीं से हॉलीवुड तक का सफर। उसके बाद कुछ दिनों तक लाइम लाइट में रहना। मदद के नाम पर एनजीओज और सोकॉल्ड सामाजिक संस्थाओं के हाथों यूज होना। और फिर एक दिन अचानक से फिर गुमनाम हो जाना। तकरीबन दो साल बाद किस्मत का अचानक से पलट कर देखना। यह है पिंकी की जिंदगी का स्क्रिप्ट।

अजीब विडम्बना है यह तो
मंगलवार का दिन पिंकी की लाइफ में एक अजीब सी विडम्बना ले कर आया। विम्बलडन के मेन्स फाइनल मैच में टॉस कराने के लिए लंदन इनवाइट की गयी पिंकी के सम्मान में दिल्ली स्थित ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर जेम्स बेवन ने अपने घर पर एक शानदार डिनर का आयोजन किया। इस पार्टी में भारत स्थित तमाम एम्बेसीज के एम्बेसडर, पोलिटिकल पार्टीज के लीडर्स, बॉलीवुड के स्टार्स और भी दूसरी नामचीन शख्सियतों ने शिरकत की। इसमें कॉन्टीनेंटल डिशेज से लेकर ड्रिंक्स तक सर्व किये गये। ऐसे में हमने जब पिंकी के घर जाकर उसकी फैमिली का हाल जाना तो हम शॉक्ड रह गये।

सूखी रोटी और नमक का दर्द
पिंकी की मां, उसके दादा-दादी और चार भाई बहनों को पूरे दिन भरपेट भोजन तक नसीब नहीं हुआ था। एक तरफ वेज और नॉन वेज डिशेज का अम्बार था और दूसरी तरफ पिंकी की मां शिमला देवी और उसकी बड़ी बहन अंजू अचानक घर आ धमके मेहमानों को भात और कुंद्रू की सब्जी खिला कर खुद नमक के साथ सूखी रोटी खाने की सोच रहे थे। इन दोनों ने पिंकी के छोटे भाई लालू को इस ताकीद के साथ एक रोटी दी कि दूसरा न मांगना। वो उस रोटी को सब्जी बनी पतीली से पोंछ कर खा रहा था। एक तरफ वोदका से लेकर तमाम और ड्रिंक्स थे तो यहां करारी उमस में मटके में रखे पानी से हलक तर करने की कोशिश हो रही थी। एक तरफ फाइन क्वालिटी के बोन चाइना क्रॉकरीज में फोक और नाइफ के साथ ब्रिटिश तहजीब के तहत डिनर लिया जा रहा था तो दूसरी तरफ अल्युमुनियम की थाली और कटोरी में सब्जी से भात सान कर हाथ से पेट भरा जा रहा था। हमारे सामने मां शिमला देवी तो भूखे ही रह गई लेकिन उसने अंजू को खाने के लिए थोड़ा सा भात दे दिया।

पहने रखे थे जरा अच्छे कपड़े
पिंकी की मां शिमला देवी हों या बहन अंजू या भाई लालू ने भी आज जरा अच्छा कपड़े पहन रखे थे। पूछा तो पता चला कि राजेन्द्र के ममेरे भाई अपने परिवार के साथ आ गये हैं। अब मेहमानों के सामने तो जो अच्छा होगा वही पहना जाएगा ना। पिंकी का एक अन्य भाई सुनील और बहन रिंकी स्कूल गये थे। वो सब गांव के एक स्कूल में पढ़ते हैं। अंजू पैसों के अभाव में स्कूल नहीं जाती। पिंकी अहरौरा के ही एक इंगलिश मीडियम स्कूल की कृपा से मुफ्त में पढ़ रही है।

अजीब दास्तां है पूरी लाइफ
पिंकी की पूरी लाइफ वाकई अजीब दास्तां है। इस क्लेफ्ट चाइल्ड को रामपुर ढबहीं से ढूंढ़ कर उसका ऑपरेशन करने वाली इंटरनेशनल संस्था 'स्माइल ट्रेन' ने पिंकी जिंदगी को नयी रंगत दी इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन हकीकत ये भी है कि उसने और उसका ऑपरेशन करने वाले बनारस के डॉक्टर ने इस पूरे प्रकरण को खूब इनकैश भी किया। हॉलीवुड में ऑस्कर अवार्ड पाने के बाद से पिंकी की कोई खोज खबर ना लेने वाले डॉक्टर साहब और उस संस्था के लोगों ने एक दिन अचानक गांव पहुंच कर पिंकी और उसके पिता राजेन्द्र सोनकर को मैसेज दिया कि उसे एक फिर एक बार लंदन और न्यूयार्क ले जाना चाहते हैं। भूख लगने पर घुटनों को पेट से सटा लेने वाला यह परिवार आखिर क्या कहता। उसने हां कह दी। राजेन्द्र को बताया गया कि लंदन में कोई सिक्का उछालने का खेल होने वाला है, उसमें पिंकी से सिक्का उछलवा कर जीत हार तय की जाएगी। वापसी में अमेरिका के सैर की बात सुन राजेन्द्र ने झट हां कह दी।

नये कपड़ों का फोकटिया इंतजाम
7 जुलाई को विम्बलडन के मेन्स फाइनल मैच में पिंकी को टॉस कराना है। लंदन जाने के लिए वह रामपुर ढबहीं से अपने खर्च पर जीप से अहरौरा और फिर बस से बनारस पहुंचा। वहां डॉक्टर साहब ने पहले तो कपड़े दिलाने की बात कही। फिर उसे भी वो दिलाने जिस शॉप पर ले गये, उन्हें पता चलते ही उन्होंने उसके पैसे लिये ही नहीं। इस फोकटिया इंतजाम के बाद पिंकी और राजेन्द्र को मीडिया के सामने पेश कर उसमें भी, खुद को प्रचारित कर लिया गया।

नहीं बदलनी है लाइफ
हालांकि लाइफ में कभी किसी को नाउम्मीद नहीं होना चाहिए लेकिन लगता नहीं है कि लंदन और न्यूयार्क से लौटने के बाद भी पिंकी की लाइफ में कोई बदलाव आयेगा। लाइफ में लगातार अप एंड डाउन्स देख रही पिंकी की मनोदशा कैसी हो रही होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उसकी आगे की लाइफ कैसी होगी यह तो आने वाला वक्त ही बता पायेगा लेकिन फिलहाल दो जून की रोटी को तरस रहे इस परिवार को सच्चे मददगार की जरूरत है।

Report by: Vishwanath Gokarn and Gopal Mishra
Pics and Video by: Anchal Agrawal


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