हजारों वर्ष पहले आ चुके हैं एलियन

भारतवर्ष में भी हजारों सालों से यह मानना है कि दूसरे ग्रहों के भी प्राणी निवास करते हैं। इस बारे में विदेशों में भी लोगों द्वारा दूसरे ग्रहों से आई हुई उडऩ तश्तरियां समय-समय पर देखे जाने के समाचार मिलते ही रहते हैं। उडऩ तश्तरी के बारे में तो एक पाश्चात्य वैज्ञानिक ने तो पूरी की पूरी किताब ही लिख डाली है। वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. अरुण शर्मा ने खास चर्चा में बताया कि इस तरह की बातों को काल्पनिक नहीं कहा जा सकता है। समय-समय पर उनके प्रमाण मिलते गए हैं। डॉ. शर्मा के मुताबिक भारतवर्ष में लोगों की यह धारणा है कि दूसरे ग्रहों से खासकर मंगल और बुध से हमारे संबंध थे।

छत्तीसगढ़ मे खुदाई के दौरान मिले तथ्य

सिरपुर उत्खनन में बाजार क्षेत्र से करीब 2600 वर्ष पुरानी पकाई हुई मिट्टी के पुतले मिले हैं। जिन्हें सामान्य खिलौना नहीं कहा जा सकता। इनमें कुछ ऐसे हैं जो पाश्चात्य देशों में मिले एलियंस के नाम से विख्यात मूर्तियों के ही समान हैं। कुछ में तो एलियंस के चेहरों और मास्क में इतनी समानता है कि इन्हें आज से 2600 वर्ष पहले सिरपुर के कलाकारों ने बनाया जबकि उनका विदेशों से कोई संबंध ही नहीं था। डॉ. शर्मा बताते हैं कि जब कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिक सिरपुर आए तब उन्हें इन मूर्तियों को दिखाया गया तो वे भी उनकी कल्पना एवं सिरपुर के कारीगर की कल्पना में समानता से आश्चर्यचकित हो गए।

पुरातात्विक खुदाई मे मिली मूर्तियां

सिरपुर के पुरातात्विक उत्खनन का कार्य डॉ. अरुण शर्मा के नेतृत्व में ही 2008-09 के आसपास की गई थी। जिनमें प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। सिरपुर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम के उत्खनन का जिम्मा भी डॉ. अरुण शर्मा ने संभाला था। डॉ. शर्मा ने दूसरे ग्रहों के प्राणी के संबंध में बताया कि राजिम के उत्खनन में भी हूबहू ऐसी मूर्तियां मिली हैं। छत्तीसगढ़ में पुरा वैभव का भंडार है। छत्तीसगढ़ के सिरपुर के पुरातात्विक खुदाई में कुछ ऐसे ही प्रमाण मिले हैं जिनसे यह पुख्ता होता है कि यहां भी हजारों साल पहले एलियन आ चुके हैं।

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