नई दिल्ली (पीटीआई)। देश की सबसे बड़ी सेंट्रल जेल तिहाड़ ने छोटे-मोटे अपराधों के लिए मुक़दमा चल रहे 1,000 से अधिक कैदियों को कौशल प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य उन्हें समाज में सुधारना और फिर से जोड़ना है। जेल प्रशासन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, कार्यक्रम को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई है और इसका उद्घाटन दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने किया। कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम "कैदियों के कौशल को बढ़ाएंगे जो रिहाई के बाद उनकी आजीविका कमाने में मदद व उनके परिवार का भी समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके पास सुधार करने की क्षमता है, बशर्ते उनके पास फिर कभी जेल न लौटने की इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता हो।

प्रत्येक बैच में 30 कैदी होंगे
जेल अधिकारियों ने कहा कि छोटे-मोटे अपराधों के मामलों में जेल की अवधि छह से नौ महीने तक होती है। उन्हें विभिन्न बैचों में तीन से चार महीने के लिए खाद्य और पेय सेवा से संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाएगा, प्रत्येक बैच में 30 कैदी होंगे। उन्होंने कहा कि 1,020 कैदियों को प्रिमेरो स्किल्स एंड ट्रेनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें अपराध में वापस जाने से रोकना है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की अभिनव एवं विशेष परियोजनाओं के तहत संचालित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि 70 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को रोजगार मिले।

जेल की सुधारात्मक पहल
अधिकारियों ने कहा कि जेल की सुधारात्मक पहल के तहत इस तरह के और कार्यक्रम पाइपलाइन में हैं। वहीं इस दाैरान दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार, प्रमुख सचिव (गृह) अश्विनी कुमार और महानिदेशक (कारागार) संजय बेनीवाल इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों में शामिल थे। नरेश कुमार ने कैदियों को अच्छा आचरण दिखाने और उनकी सजा को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर जेल छूट मानदंड के तहत 67 कैदियों को उनके अच्छे आचरण के लिए रिहा कर दिया गया।

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