कानपुर (फीचर डेस्क)। इन दिनों लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा एयर पॉल्यूशन बेहद बेतरतीबी से बढ़ रहा है। खडगपुर आईआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले देबायन शाह ने इसकी गंभीरता को समझा और काफी एक्सपेरिमेंट्स के बाद एक ऐसी डिवाइस लॉन्च की, जिसके बारे में बताया गया कि वह गाडियों से निकलने वाले धुएं के पॉल्यूशन को एब्सॉर्ब कर उसे हवा में घुलने से रोकती है। उन्होंने अपनी इस डिवाइस को नाम दिया पीएम 2.5 का।

ऐसी है ये डिवाइस

देबायन बताते हैं कि ये जिग-जैग शेप की एक छोटी सी डिवाइस है, जिसे गाडिय़ों के साइलेंसर पाइप के पास फिट किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसको कारों से लेकर बसों तक किसी भी गाड़ी पर लगाया जा सकता है। इसके काम करने के तरीके के बारे में उन्होंने बताया कि इसको बनाने में उन्होंने इलेक्ट्रिक एनर्जी और वेव एनर्जी को यूज किया है, जो 2.5 जैसे प्रदूषकों को एक चुंबक में बदल देता है। उनकी टेक्नीक से प्रदूषक तत्व एक चुंबक की तरह काम करेंगे और पर्यावरण में फैले बाकी प्रदूषक तत्वों को खींचेंगे। जब छोटे-छोटे प्रदूषक तत्व मिलकर बड़े हो जाएंगे, वे भार की वजह से जमीन पर गिरेंगे, न कि हवा में फैलेंगे। अपनी इस डिवाइस की खासियत के बारे में वह बताते हैं कि एक बार पीएम 2.5 नाम की इस डिवाइस को कार में लगा देने से यह उसके आसपास की 10 कारों से होने वाले वायु प्रदूषण को भी रोक सकता है।

कैसे आया यह आइडिया?

देबायन कहते हैं कि आज पॉल्यूशन की जो हालत है, उसका अंदाजा उन्हें दो साल पहले से होने लगा था, जब एयर पॉल्यूशन की वजह से उनके एक फ्रेंड को सीरियस बीमारी हो गई थी। उनके साथ तेजी से बदले हालातों ने देबायन को ये सोचने पर मजबूर किया कि आसानी से लोगों को पेड़ न काटने और घर से बाहर निकलने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज करने जैसी चीजें मानने के लिए तैयार नहीं किया जा सकता। फिर क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए, जो लोगों की जरूरत के पूरा होने में भी बाधक न बने और पॉल्यूशन को भी कंट्रोल कर ले। अपने मैकेनिकल दिमाग को दो साल चलाने के बाद फाइनली इस डिवाइस को बनाने का आइडिया उन्हें क्लिक किया और उन्होंने इस डिवाइस 'पीएम 2.5' को लॉन्च किया।

क्यों रखा डिवाइस का नाम 2.5?

असल में पीएम 2.5, हवा में मौजूद छोटे कण होते हैं, जो विजिबिलिटी को कम करते हैं और जब इनका लेवल बढ़ता है, तो यह हवा को धुंधला बना देते हैं। यह एक प्रमुख एयर पॉल्युटेंट है, जो फेफड़ों में गहराई से पहुंच सकता है। इससे आंख, नाक, गले और फेफड़ों में जलन, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसी तमाम स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। यह अस्थमा और हृदय रोग जैसी सीरियस बीमारियों का कारण भी बन सकता है। देबायन कहते हैं कि इसीलिए उन्होंने अपनी डिवाइस का नाम पीएम 2.5 ही रखा, ताकि नाम से लोग समझ सकें कि ये डिवाइस कहीं न कहीं एयर पॉल्युशन से जुड़ी है।

मार्केट में मिला जबरदस्त कॉम्पटीशन

अपनी डिवाइस को मार्केट में प्रूफ करने के लिए देबायन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस बारे में वह कहते हैं कि इस समय जबरदस्त तरीके से बढ़े पॉल्यूशन को भी भुनाने में मार्केट पीछे नहीं है। तमाम कंपनियां ऐसे में एंटी एयर पॉल्युशन डिवाइसेस लॉन्च कर रही हैं, लेकिन उनकी डिवाइस में यूज किए गए एलिमेंट्स ने उन्हें आगे आने का मौका दिया।

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देखते ही देखते बढ़ गई डिमांड

देबायन कहते हैं कि इस समय पॉल्यूशन के लेवल को देखते हुए डिवाइस पीएम 2.5 की डिमांड खूब बढ़ी है। दिल्ली के अलावा, बंगलुरु समेत उत्तर-भारत के कई शहरों से इसकी डिमांड तेजी के साथ बढ़ गई है। आलम ये है कि इस डिमांड को पूरा करने के लिए प्रोडक्शन भी तेज कर दिया गया है। ताकि उतनी ही तेजी के साथ पॉल्यूशन के लेवल को कम करने की कोशिश में सक्सेसफुल हुआ जा सके।

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