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-इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का मामला, सिर्फ एक सत्र में खर्च हुए इतने रुपए, आरटीआई से मिली जानकारी

-पूर्व छात्रनेता ने प्रेस कांफ्रेंस कर किया दावा

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को लेकर एक बार फिर चौंकाने वाला दावा सामने आया है। इस दावे के मुताबिक यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर के पुलिस प्रोटेक्शन के लिए सिर्फ एक सत्र में करीब ढाई लाख रुपए खर्च कर डाले गए। सिर्फ उनपर ही नहीं, वीसी को पुलिस प्रोटेक्शन के लिए एक लाख 22 हजार से ज्यादा खर्च हुए हैं। यह आंकड़े इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिल आरटीआई के जरिए हासिल हुए है।

पहले के चीफ प्राक्टर की सुरक्षा पर शून्य खर्च

यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए खर्चो को लेकर पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेस करके सोमवार को ये आंकड़े सार्वजनिक किए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील विवेक त्रिपाठी ने कुलपति प्रो। रतन लाल हांगलु, कुलसचिव प्रो एनके शुक्ला और कुलानुशासक प्रो। राम सेवक दुबे की सुरक्षा पर हो रहे खर्च का ब्योरा मांगा था। इसमें इविवि की से दिए गए जवाब में ये आंकड़े सामने आये।

चीफ प्रॉक्टर के खर्च के आंकड़े

02 लाख 45 हजार 971 रुपए खर्च किए गए चीफ प्रॉक्टर रामसेवक दुबे की सुरक्षा पर। इससे पूर्व के चीफ प्रॉक्टर की सुरक्षा पर एक रुपए भी खर्च नहीं हुए थे।

82 हजार 883 रुपए खर्च किए गए चीफ प्रॉक्टर द्वारा केवल चाय-नाश्ते में। आंकड़ा 2016-17 और 2018-19 में मई तक है। पूर्व चीफ प्रॉक्टर ने इस मद में केवल 10 हजार खर्च किए थे।

वीसी पर खर्च हुए लाखों

01 लाख, 22 हजार, 814 रुपए भुगतान हुआ वीसी आरएल हांगलू के पुलिस प्रोटेक्शन के लिए इससे पूर्व के वीसी के लिए इस मद में कोई पैसा खर्च नहीं।

02 लाख, आठ हजार, 794 रुपए प्रो। आरएल हांगलू ने सत्र 2016-17 में यात्रा भत्ता लिया। वहीं 2017-18 के सत्र में 49,346 रुपए खर्च किए। इसके पूर्व सत्र 2015-16 में इस मद में केवल 17,592 रुपए खर्च हुए थे।

कुलसचिव भी कम नहीं

02 लाख, 16 हजार 318 रुपए कुलसचिव के रूप में प्रो। एनके शुक्ला ने सत्र 2016-17 में और वर्ष 2017-18 में नवंबर माह तक 1,12, 820 रुपए यात्रा भत्ता लिया।

29 हजार, 903 रुपए, पूर्व में सत्र 2013-14 में 1, 64,889 रुपए सत्र 2014-15 में और 74,898 रुपये खर्च सत्र 2015-16 में बतौर यात्रा भत्ता कुलसचिवों द्वारा लिया गया था।

बतौर वित्त अधिकारी भी खर्च

1,63,299 वर्ष 2018 में रुपये खर्च किया वित्त अधिकारी के रूप में प्रो। एनके शुक्ला ने।

-81,333 रुपए 2014-15 में 2015-16 में 30,445 रुपए, 2016-17 में 59,450 और 2017-18 में केवल 29,352 रुपए वित्त अधिकारियों ने लिया यात्रा भत्ता।

निलंबन और निष्कासन का नहीं है कोई प्राक्टर के पास आंकड़ा

इस दौरान पूर्व अध्यक्ष रोहित ने बताया कि आरटीआई के वर्तमान व पूर्व प्रॉक्टर के कार्यकाल में हुए निलंबन की डिटेल मांगी गई। इसके जवाब में वर्तमान व पूर्व प्राक्टर के कार्यकाल में हिंसक घटनाओं में लिप्त छात्रों को निलंबित अथवा निष्कासन का कोई आंकड़ा बनाने का प्रावधान नहीं है। इस बार में कोई न ही कोई सूचना कार्यालय में उपलब्ध है। रोहित ने कहा कि चीफ प्रॉक्टर को खुद ही नहीं मालूम है कि कितने निलंबन और निष्कासन उन्होंने किए हैं।

यूनिवर्सिटी का पक्ष

यूनिवर्सिटी पीआरओ ने दी सफाई

पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पीआरओ डॉ। चित्तरंजन कुमार की ओर से सफाई पेश की गई। जिसमें कहा गया है कि देश के कई केन्द्रीय यूनिवर्सिटी अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर खर्च करते है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की सुरक्षा में लगे पूर्व सैनिकों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अनुसार ही भुगतान किया जाता है। कुलपति ने यात्रा भत्ता में कभी भी दो लाख रुपए नहीं लिए। यह गलत आंकड़ा है। यूनिवर्सिटी के शीर्ष अधिकारियों को कई बार यूनिवर्सिटी के कार्य से बाहर जाना पड़ता है। महत्वपूर्ण है कि हर वर्ष केन्द्र सरकार की संस्था कैग द्वारा यूनिवर्सिटी के आय व्यय का गंभीरता से परीक्षण भी किया जाता है। कैग ने अपनी जांच में यूनिवर्सिटी में कुछ भी अनियमित नहीं पाया। कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की सभी यात्राएं सामान्य वित्त नियम के अधीन हुई है। ये यात्राएं अधिकारिक है, व्यक्तिगत नहीं। सभी यात्रा व्यय सीएजी द्वारा अनुमोदित है।

इसलिए और चौंकाते हैं आंकड़े

यह आंकड़ा तब और चौंकाने वाला हो जाता है जबकि करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए हर साल यूनिवर्सिटी के विभिन्न अधिकारियों की सुरक्षा पर खर्च होता है। प्रेस कांफ्रेंस करने वाले पूर्व छात्रनेता रोहित मिश्रा मुताबिक इस साढ़े आठ करोड़ की रकम से तैनात सुरक्षाकर्मियों में अधिकतम सुरक्षाकर्मी कुलपति, कुलसचिव, कुलानुशासक, प्रवेश निदेशक, परीक्षा नियंत्रक और डीएसडब्लू की सुरक्षा में लगे रहते हैं। इतने खर्च के बाद भी चीफ प्रॉक्टर और वीसी के लिए अलग से पुलिस प्रोटेक्शन पर खर्च शॉकिंग है।