-पूर्वजों ने लगाया था, चार पीढि़यों का गवाह बन चुका है पेड़

PRAYAGRAJ: पेड़ से अधिक वफादार और अजीज शायद ही कोई हो. एक बार लगा दीजिए तो अगली कई पीढि़यों का वह साथी बन जाता है. एनसीजेडसीसी में लगा बरेगन बोलिया का पेड़ इसका जीता-जागता उदाहरण है. यह करीब 125 साल पुराना है. हेस्टिंग्स रोड के रहने वाले रतन कुमार टंडन बताते हैं कि पिछले 90 साल से वह इस पेड़ को देख रहे हैं. यह पेड़ साल के बारह महीने तक लाल छटा बिखेरकर सभी को अपनी ओर अनायास खींच रहा है.

पिता जी के जन्म से पहले बंगले में लगा

रतन कुमार टंडन बताते हैं कि 1908 में उनके पिता का जन्म हुआ था. उसके पहले से यह पेड़ एनसीजेडसीसी परिसर में लगा है. खुद रतन टंडन का जन्म 1929 में हुआ है. वर्तमान में एनसीजेडसीसी परिसर पहले इनका बंगला हुआ करता था. जन्म से आज तक यह पेड़ उनके सुख-दुख का साथी बना हुआ है. वह कहते हैं कि यह पेड़ उनके परिवार की चार पीढि़यों के साथ रहा है. इससे कई खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हुई हैं. बचपन का एक बड़ा हिस्सा इस पेड़ की छांव में बीता है. सबसे खास बात यह है कि इस पेड़ में लगे लाल फूल इसकी खूबसूरती को बढ़ा रहा है.

हम हैं ईश्वर के आभारी

रतन टंडन के मुताबिक उनका पूरा परिवार 125 साल पुराने पेड़ का साथ मिलने पर ईश्वर का आभारी है. वह कहते हैं कि लोगों को पौधरोपण जरूर करना चाहिए. जो पेड़ लगाया है उसकी देखभाल भी जरूरी है. एक पेड़ बड़ा होने के बाद छांव, ऑक्सीजन और लकड़ी देता है. इंसान भले ही पेड़ को बाद में कुछ न दे लेकिन बदले में बहुत कुछ मिलता है.