15 अगस्त के मद्देजनर मेरठ के गांधी आश्रम में बढ़ गई तिरंगे की डिमांड

मेरठ में ऑर्डर पर तैयार हो रहे 2 से 3 हजार झंडे

मुंबई, बिहार और मेरठ में बनाया जाता है तिरंगा झंडा

पं। नेहरू ने लाल किले से फहराया था मेरठ का बना तिरंगा झंडा

Meerut। क्रांतिधरा से बने तिरंगे स्वतंत्रता दिवस पर जम्मू कश्मीर में देशप्रेम की कहानी को बयां करेंगे। जम्मू कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा जम्मू कश्मीर के हर एक गांव में फहराया जाएगा। जिसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। तिरंगे की बढ़ी डिमांड का असर मेरठ के गांधी आश्रम में भी दिखने लगा है। इसके लिए बकायदा मेरठ गांधी आश्रम में भारी मात्रा में तिंरगे का स्टाक तैयार किया जा रहा है।

कश्मीर के लिए एक्स्ट्रा स्टॉक

गांधी आश्रम के झंडे की सप्लाई मेरठ में लोकल ही नहीं बल्कि कोलकाता, पंजाब, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली तक होती है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद पहली बार कश्मीर के लिए मेरठ गांधी आश्रम द्वारा अतिरिक्त स्टॉक तैयार किया जा रहा है। इसके तहत करीब 2 से 3 हजार झंडे इस बार ऑन ऑर्डर जम्मू कश्मीर भेजे जाएंगे। देश में सिर्फ बिहार, मुंबई और मेरठ के गांधी आश्रम में ही तिरंगा बनाया जाता है।

तिरंगा झंडा बनाना है खानदानी काम

मेरठ की सुभाष नगर गली नंबर 11 निवासी रमेश चंद्र का खानदानी काम तिरंगा बनाना है। पहले उनके पिता तिरंगा सिलाई का काम करते थे। जिसके बाद रमेश चंद्र ने अपने पुश्तैनी काम की कमान संभाल ली। तब से गांधी आश्रम के सरकारी खादी के तिरंगे से लेकर निजी व्यापारियों के आर्डर पर रमेश चंद्र तिरंगा तैयार करते हैं। इस बार 15 अगस्त की तैयारी को लेकर रमेश चंद्र दिन-रात आर्डर पूरा करने में जुटे हुए हैं।

स्वतंत्रता का गवाह मेरठ का तिरंगा

रमेश चंद्र ने बताया कि रमेश के पिता नत्थे सिंह आजादी के पहले से ही राष्ट्रीय ध्वज की सिलाई का काम करते थे। उससे पहले रमेश के दादा लेखराज इस काम को कर रहे थे। रमेश बताते हैं कि जिस दिन देश की आजादी की घोषणा हुई उस दिन संसद भवन में तिरंगा झंडे का प्रस्ताव पास हुआ। साथ ही झंडे को बनाने का काम उनके बाबा लेखराज सिंह को गांधी आश्रम की तरफ से दिया गया। उस समय मेरठ का गांधी आश्रम देश के गिने-चुने बडे़ आश्रमों में गिना जाता था। उनके बाबा ने रातों-रात लालकिले पर फहराने के लिए तिरंगा तैयार किया जो सुबह चार बजे दिल्ली पहुंचाया गया था। जिसके बाद देश के पहले प्राइम मिनिस्टर ने लालकिले से वह तिरंगा झंडा फहराया था।

तिरंगे की गलत सिलाई है अपराध

मेरठ में गांधी आश्रम में बना बनाया तिरंगा झंडा मिलता है। हालांकि झंडे की सिलाई के दौरान मानकों का खास ख्याल रखा जाता है। रमेश चंद्र बताते हैं कि तिरंगा झंडा बनाते समय इसमें 12 से 16 सिलाई लगाई जाती हैं। झंडे के बीच में भी सिलाई लगाई जाती है। संविधान के अनुसार इससे अधिक सिलाई को राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और अपराध दोनों समझा जाता है। मशीन पर झंडे की सिलाई के समय इस बात का खासा ध्यान रखा जाता है कि तिरंगे की नेफा यानि किनारी अलग से लगाई जाए। जिससे लहराते समय तिरंगे के किनारे मुडे़ या फटे नहीं। वही सिलाई के समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि तिरंगा कहीं नीचे लटककर न गिर जाए। साथ ही कोई इसे ऊपर से लांघकर न निकल जाए।

सरकारी तिरंगा केवल गांधी आश्रम द्वारा तैयार किया जाता और बेचा जाता है। इस बार अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर के लिए भी एक्स्ट्रा स्टॉक तैयार किया जा रहा है।

एके रावत, गांधी आश्रम प्रभारी