वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच आम बजट से काफी अपेक्षायें

वैश्विक मंदी के झटकों से सहमी अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि दर के मार्ग पर लाने के लिए सेवा क्षेत्र सरकार के लिए खेवनहार बन सकता है। आज पेश होने वाले आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकार का खजाना भरने तथा विकास दर को ऊपर उठाने के लिए इस क्षेत्र पर जोर देंगे। माना जा रहा है कि पर्यटन, शिपिंग और आइटी सहित कई सेवाओं को बढ़ावा देने को आम बजट में कई उपायों की घोषणा की जा सकती है। साथ ही सेवा कर की दर बढ़ाकर प्रस्तावित जीएसटी की दरों की दिशा में ले जाने और छोटे उद्यमियों को सेवा कर के दायरे से बाहर रखने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। सेवा क्षेत्र की अहमियत का अंदाजा इससे लगता है कि जीडीपी का दो तिहाई हिस्सा इससे आता है। निर्यात क्षेत्र में इसका योगदान एक-तिहाई है। लगभग हर तीसरे व्यक्ति को सेवा क्षेत्र से रोजगार प्राप्त है। सरकार का खजाने भरने में भी यह क्षेत्र दो लाख करोड़ रुपये योगदान करता है।

सेवा क्षेत्र में अवसरों की संभवनायें

सूत्रों ने कहा कि सेवा क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं अब तक पूरी तरह इनका दोहन नहीं हुआ है। प्रमुख सेवाओं में बाधा दूर करने की लक्षित नीति से सेवा क्षेत्र विशेषकर सेवाओं के निर्यात में अच्छी खासी वृद्धि होगी। इससे अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि दर के मार्ग पर लाने में मदद मिल सकती है। आम बजट में पर्यटन खासकर मेडिकल टूरिज्म, शिपिंग और सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के संबंध में कई घोषणाएं हो सकती हैं। चालू वित्त वर्ष में देश के सकल मूल्य व‌र्द्धन (जीवीए) में 66.1 प्रतिशत योगदान है। साथ ही यह विदेशी मुद्रा कमाने वाला तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला क्षेत्र भी है। देश के 33 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में से 21 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के जीएसडीपी में आधे से अधिक योगदान सेवा क्षेत्र का ही है। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को छोड़ दें तो देश का कोई भी राज्य ऐसा नहीं है जिसका कम से कम 40 प्रतिशत जीएसडीपी (राज्य सकल घरेलू उत्पाद) सेवा क्षेत्र से न आता हो।

सेवा कर में सुधार से छोटे उद्यमियों को मिलेगी राहत

सेवा कर सरकार के खजाने को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है। चालू वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने सेवाकर से 2,09,774 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। वैसे सेवा कर की शुरुआत 1994-95 में सिर्फ तीन सेवाओं से हुई थी। उस वर्ष सरकार को 407 करोड़ रुपये राजस्व मिला। इस तरह सेवा कर से प्राप्त होने वाली राशि मात्र 20 साल में ही 500 गुना से ज्यादा हो गई है।सूत्रों का कहना है कि बजट में सेवा कर के दायरे की सीमा मौजूदा 10 लाख रुपये सालाना से बढ़ाकर 25 लाख रुपये की जा सकती है जिससे छोटे उद्यमियों को राहत मिलेगी। हालांकि जीएसटी की प्रस्तावित दरों की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार सेवा कर की दरें भी बढ़ा सकती है।

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