ये मिला है बाबा के पिटारे से

गुमनामी बाबा के इस पिटारे में एक गोल फ्रेम का चश्मा और रोलेक्स की घड़ी मिली है। नेताजी भी इसी तरह के चश्मे और घड़ी का इस्तेमाल करते थे। गुमनामी बाबा के पिटारे से मिले इन सामानों को जल्द ही पब्लिक किया जाएगा। गुमनामी बाबा के पिटारे में आजाद हिंद फौज की यूनीफॉर्म भी मिली है। पिटारे से निकले सामान के कारण नेताजी सुभाषचन्द्र बोस होने के दावे के बीच गुमनामी बाबा फिर से चर्चा में हैं। फैजाबाद के डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने बताया कि गुमनामी बाबा के पिटारे में टोटल 176 आइटम में एक चश्मा मिला है। ये चश्मा गोल फ्रेम का है और ठीक वैसा ही है जैसा नेताजी पहनते थे। पिटारे से एक रोलेक्स घड़ी मिली है। ऐसी घड़ी नेताजी अपनी जेब में रखते थे। कुछ लेटर मिले हैं जो नेताजी की फैमिली मेंबर ने लिखे हैं। नेताजी पर लिखे कुछ न्यूज पेपर कटिंग मिले हैं। आजाद हिंद फौज की यूनिफॉर्म मिली है।

सामान को क्यो नहीं किया गया सार्वजनिक

सामान को सार्वजनिक करने के लिए नेताजी की भतीजी ललिता बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंच ने दो अलग-अलग रिट दायर की थीं। इस पर सुनवाई करते हुए 31 जनवरी 2013 को हाईकोर्ट कोर्ट ने यूपी सरकार को ऑर्डर दिया था कि गुमनामी बाबा के सामान को म्यूजियम में सार्वजनिक किया जाए। हाल में ही मोदी सरकार ने नेताजी की फाइलें सार्वजनिक की हैं। इसके बाद उनके परिवार ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। नेताजी के परिवार ने कोर्ट के ऑर्डर के तहत सीएम से गुमनामी बाबा के सामान को सार्वजनिक करने की गुजारिश की थी। इसके बाद प्रोसेस शुरू हुआ।

कौन थे गुमनामी बाबा

फैजाबाद जिले में एक योगी रहते थे। लोग पहले उन्हें भगवानजी और बाद में गुमनामी बाबा कह कर बुलाने लगे। मुखर्जी कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फैजाबाद के भगवानजी या गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस में काफी समानताएं थीं। 1945 से पहले नेताजी से मिल चुके लोगों ने गुमनामी बाबा से मिलने के बाद माना था कि वही नेताजी थे। दोनों का चेहरा काफी मिलता जुलता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 जनवरी नेताजी का जन्मदिन और दुर्गा पूजा के दिन कुछ फ्रीडम फाइटर्स, आजाद हिंद फौज के कुछ मेंबर और पॉलिटिशियन गुमनामी बाबा से मिलने आते थे।

बाबा के पिटारे से मिली कई तस्वीरें

गुमनामी बाबा के पिटारे से सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की तस्वीरें मिलीं। कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी जन्मोत्सव की तस्वीरें भी हैं। लीला रॉय की मौत पर हुए कंडोलेंस की फोटोज भी मिली हैं। 1974 में कोलकाता के डेली आनंद बाजार पत्रिका में 24 किस्तों में छपी खबर ताइहोकू विमान दुर्घटना एक बनी हुई कहानी की कटिंग्स भी मिली हैं। जर्मन, जापानी और अंग्रेजी लिटरेटर की ढेरों किताबें उनके पिटारे में थी। इंडो-चाइना वॉर की किताबें जिनके पन्नों पर कमेंट लिखे गए हैं। सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच पर बने शाहनवाज और खोसला कमीशन की रिपोर्ट। सैंकड़ों टेलीग्राम जिन्हें गुमनामी बाबा उर्फ भगवानजी के नाम पर भेजा गया था।

फरवरी से हर माह सार्वजनिक होंगी 25 फाइलें

गुमानामी बाबा उर्फ भगवान जी के खोले गए पिटारे में से हाथ से बने हुए मैप मिले हैं। मैप में उस जगह को दिखाया गया था जहां कहा जाता है नेताजी का प्लेन क्रैश हुआ था। आजाद हिंद फौज की इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ पवित्र मोहन रॉय के लिखे गए कॉन्ग्रैट्ज मैसेज और सामानों की जांच होगी। इनकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी। इन्वेंट्री कमेटी के मेंबर्स फैजाबाद ट्रेजरी पहुंचे और पिटारे का डबल लॉक खोला। टेक्नोलॉजी कमेटी इन सामानों को टेस्ट करेगी। इस पूरे प्रोसेस में 5-6 दिन का वक्त लग जाएगा। इसके बाद इन्हें अयोध्या में बने इंटरनेशनल रामकथा म्यूजियम में सार्वजनिक किया जाएगा। कुल 100 फाइलें क्लासिफाइड थीं। 3000 फाइलें नेशनल आर्काइव्स के पास हैं। इनमें से 100 रिलीज हो चुकी हैं। 41 सीक्रेट फाइलें पीएमओ में हैं। इनमें से 33 ही पब्लिक हो गई हैं। फरवरी से हर महीने 25 फाइलें डिक्लासिफाई होंगी। पश्चिम बंगाल में 64 फाइलें थीं जो बीते सितंबर में पब्लिक कर दी गईं।

National News inextlive from India News Desk