- 5 महीने से ताज समेत अन्य मान्यूमेंट हैं बंद

- एडीए और एसआई को मिलता था रेवेन्यू

-डेली 30 हजार टूरिस्ट आते थे ताज देखने

आगरा। कोरोना वायरस के कारण ताजमहल सहित अन्य मॉन्यूमेंट्स को बंद हुए पांच महीने हो गये हैं। इससे आगरा की टूरिज्म इंडस्ट्री तो पूरी तरह बंद है ही, इसके साथ ही हजारों लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। ताज से और आगरा के टूरिज्म में जुड़े सभी सेक्टर्स को अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। इसके साथ ही आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी (एडीएए) को भी इससे राजस्व का मोटा नुकसान हुआ है। ताज सहित अन्य मॉन्यूमेंट्स पर एएसआई और एडीए का शेयर होता है। इससे दोनों ही सरकारी विभागों को मोटा राजस्व मिलता है जो पिछले पांच महीने से बंद होने के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है।

राजस्व का नुकसान

सबसे अधिक विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार करने आते हैं। यहां पर प्रतिदिन 25-30 हजार टूरिस्ट्स घूमने आते हैं। कोरोनावायरस के कारण फरवरी में ही टूरिस्ट्स आना कम हो गये थे। मार्च के पहले सप्ताह में ताजमहल देखने के लिए करीब 15 हजार टूरिस्ट्स की सख्या में कमी आई थी। फरवरी के पहले सप्ताह में ताज देखने के लिए एक लाख 10 हजार टूरिस्ट्स ने ताज का दीदार किया था, जबकि मार्च के पहले सप्ताह में करीब 95 हजार टूरिस्ट्स ही ताजमहल देखने आये थे। इसके बाद 17 मार्च से ताज सहित पूरे देश के स्मारकों को संस्कृति मंत्रालय ने बंद कर दिया था। तब से अब तक ताजमहल पूरी तरह से बंद है और आगरा में इन दिनों टूरिस्ट्स नहीं आ रहे हैं। ताजमहल का दीदार करने के लिए भारतीय पर्यटकों के लिए 245 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 1250 रुपये का टिकट है। सिर्फ इंडियन टूरिस्ट की ही बात की जाए तो अब तक पांच महीनों में 73 करोड़ रुपये के राजस्व का एएसआई और एडीए को चूना लग चुका है। विदेशी टूरिस्ट्स की यदि बात की जाए तो अब तक 188 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है।

17 मार्च से बंद है ताज

कोरोनावायरस के कारण 17 मार्च से ताजमहल को टूरिस्ट्स के लिये बंद कर दिया गया था। इन पांच महीनों में भारतीय और विदेशी पर्यटकों के न आने से लगभग 250 करोड़ रुपये की टिकट बिक्री पर सीधा असर पड़ा है। पूर्व के दो वर्षो में भी ताजमहल आने वाले सैलानियों की संख्या कम होने के कारण भी काफी नुकसान हुआ था। इसी साल फरवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलेनिया के आने के बाद फिर से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद जगी थी, लेकिन कोरोना की भेंट चढ़ गई।

रूक गये एएसआई के काम

पुरातत्व विभाग ने ताजमहल में पिछले वर्ष चार करोड़ की लागत से मेंटीनेंस और अन्य कार्य कराए थे। अधीक्षक पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि टिकट का सारा पैसा सरकार के पास जाता है। उसको पुरातत्व विभाग खर्च नहीं कर सकता है। इस बार ताजमहल बंद होने के कारण भी यह रुका हुआ है। इस कारण संरक्षण के सारे काम भी रुक गए हैं। कोरोना के चलते पुरातत्व विभाग के पास काम करने के लिए मजदूर भी नहीं हैं।

आगरा के लिए ताजमहल के मायने

ताजमहल पूरी दुनिया में फेमस है। इसे एक तरह से ब्रांड अंबेसडर भी माना जाता है। ताजमहल जब बंद हुआ तो पूरे देश का पर्यटन ही प्रभावित हो गया। ताजमहल के खुलने की बात आई तो लोगों की निगाहें इसी ओर टिक गईं। टूरिज्म से जुड़े लोगों का मानना था कि पर्यटक जब ऐतिहासिक स्मारकों को देखने का प्लान बनाता है तो उसमें ताजमहल जरूर शामिल होता है। ताज के खुलने से पूरी दुनिया में संदेश जाता कि अब कोरोना से ज्यादा खतरा नहीं है।

हर वीवीआईपी की पसंद रहा है ताज

ताजमहल हर देश के राष्ट्राध्यक्ष की पहली पसंद में शामिल है। वह भारत आने पर कहीं जाए या नहीं, अपने परिवार के साथ ताज का दीदार करना नहीं भूलता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति क्लिंटन ने यहां तक कह दिया था कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं। एक वह जिन्होंने ताज को देखा है और दूसरे वह जिन्होंने ताज को नहीं देखा है। यही नहीं हॉलीवुड से लेकर बालीवुड और खिलाडि़यों को भी मोहब्ब्त की ये निशानी अपनी और जरूर खींच लाती है। कई फिल्मों की शूटिंग भी ताजमहल के इर्द-गिर्द हो चुकी हैं।

टूरिस्ट्स द्वारा लिया गया टिकट का सारा पैसा सरकार के पास जाता है। उसको पुरातत्व विभाग खर्च नहीं कर सकता है। इस बार ताजमहल बंद होने के कारण भी यह रुका हुआ है। इस कारण संरक्षण के सारे काम भी रुक गए हैं। कोरोना के चलते पुरातत्व विभाग के पास काम करने के लिए मजदूर भी नहीं हैं।

-डॉ। वसंत कुमार स्वर्णकार, एएसआई सुप्रिटेंडेंट