आगरा(ब्यूरो)। कई पेरेंट्स की इतनी कमाई नहीं होती कि वो बच्चों को बड़े स्कूल में पढ़ा सकें। फिर भी खुद के घर खर्च से कटौती कर वो बच्चों को बड़े स्कूलों में पढ़ाते हैं। इसी क्रम में शहर के युवक का सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें वो बता रहा है कि स्कूलों की फीस वृद्धि उन पर कैसा असर डाल रही है।

नहीं बताया फीस बढ़ाने का कारण
शहर में रहने वाले एक पेरेंट्स शैलेन्द्र तिवारी ने सोशल मीडिया पर अपने बच्चे के स्कूल फीस वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की। बताया कि स्कूल प्रबंधक थर्ड क्लास के लिए हर महीने 3 से पांच हजार रुपए तक की फीस लेते हैं। इतना ही नहीं, स्कूल ने फीस बढ़ोतरी के बारे में बताने की भी जहमत नहीं उठाई।

बच्चों के लिए तलाशें दूसरा स्कूल
बच्चे के पिता रोहित शर्मा ने एक्स पर ट्वीट किया कि, 'मेरे बेटे की स्कूल फीस लगातार 35 फीसदी हर वर्ष की दर से बढ़ रही है। स्कूल ने बढ़ोतरी के बारे में बताने की भी जहमत नहीं उठाई और बढ़ी हुई फीस केवल भुगतान ऐप पर ही दिखाई देती है। जब विरोध किया तो उन्होंने कहा कि कृपया अपने बच्चों के लिए दूसरे स्कूल की तलाश करें।

तो 12वीं में 9 लाख रुपए होगी फीस
रोहित ने आगे लिखा, 'मेरा बेटा क्लास थर्ड में है और यह शहर में एक प्रतिष्ठित कॉन्वेंट स्कूल है। स्कूल की फीस पहले महीने की 25,,000 रुपए तीमाही है। पिछले वर्ष की अपेक्षा कई गुना अधिक है। फीस बढ़ोतरी इसी तरह जारी रहती है तो जब मेरा बेटा 12 वीं में होगा, यह फीस बढ़कर लगभग 6 लाख रुपए प्रति वर्ष होगी।

पोस्ट पर रीएक्शन
सभी प्राइवेट स्कूल का यही हाल
हितेश चौहार ने इस पोस्ट पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने लिखा, 'आप चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। सभी स्कूल का यही हाल है.Ó अन्य यूजर ने लिखा, 'फीस के अलावा किताबें और ड्रेस भी स्कूल से खरीदनी पड़ती है, जो कि बहुत महंगी होती है.Ó तीसरे यूजर ने लिखा, 'आप कहीं भी चले जाइए, हर प्राइवेट स्कूल का यही हाल है।

थर्ड क्लास का स्टूडेंट्स एक लाख से अधिक
एक और यूजर ने लिखा, 'कई स्कूल ड्रेस भी बदल देते हैं। जिस कारण बार-बार ड्रेस पर भी खर्चा बढ़ जाता है.Ó एक और यूजर ने लिखा, 'स्कूलों की मनमानी के आगे आप कुछ नहीं कर सकते। ये तो बस मजबूरी है.Ó एक और यूजर ने लिखा, 'पढ़ाई के अलावा आपको ट्यूशन भी लगवानी पड़ती ही है। उसका खर्च भी गिनें तो ये एक लाख रुपए से कही अधिक हो जाएगी।

स्कूल की बढ़ी फीस पर बोले राज्यसभा सदस्य
राज्य सभा सांसद नवीन जैन ने स्कूल में बढ़ी फीस पर भानु चंद्र गोस्वामी डीएम को एक पत्र लिखा है। जिसमें आगरा के कई निजी स्कूलों में सिलेबस बुक्स की बिक्री और फीस को लेकर मनमानी चल रही है। इसके खिलाफ पापा संस्था द्वारा स्कूलों के द्वार पर धरना-प्रदर्शन भी दिया जा रहा है। इस संबंध में अनेक पेरेंट्स उनको फोन कर रहे हैं। कई पेरेंट्स व्यक्तिगत रूप से आकर मिले भी हैं। राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने छह प्वांइट पर कार्रवाई करने के दिशा-निर्देश डीएम आगरा और जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को दिए हैं। जिसमें बढ़ी फीस, ड्रैस, अगली क्लास में प्रमोट पर एडमीशन फीस नहीं ली जानी चाहिए। इस संबंध में प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स अवेयरनेस के दीपक सिंह सरीन ने राज्यसभा सांसद द्वारा लिखे पत्र का स्वागत किया है, पेरेंट्स को न्याय दिलाने की बात कही है।

एडमिशन फीस को कई गुना अधिक किया गया है, इस पर सरकार को निर्णय लेना होगा, फीस वृद्धि की गई, जो पेरेंट्स पर बोझ है, एडमिशन फीस में वृद्धि तत्काल वापस होनी चाहिए।
रेखा मिश्रा, पेरेंट्स

एक बार किसी बच्चे ने स्कूल में प्रवेश ले लिया है तो अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए भी एडमिशन फीस ली जा रही है, जो गलत है। अगली कक्षा में प्रमोट तो बिना एडमिशन फीस के किया जाना चाहिए।
मनजीत, पेरेंट्स

स्कूलों ने पेरेंट्स से कहा है कि उनके द्वारा अधिकृत विक्रेता से ही बुक्स खरीदी जाए। बुक्स के साथ कॉपी खरीदने की भी बाध्यता है। इस व्यवस्था से स्कूल और विक्रेताओं की मिलीभगत उजागर है।
जगवीर, पेरेंट्स

स्कूल फीस बढ़ाने और बुक्स सेट नए लगाने के मामले को संज्ञान लिया गया है, इस संबंध में स्कूलों से डिटेल मांगी जा रही है, जल्द इस संबंध में जांच को पूरा किया जाएगा। इस मामले में राज्यसभा सांसद नवीन जैन द्वारा पत्र भेजा गया है, जो छह प्वाइंट पर है।
जितेन्द्र गौड, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी


.दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से स्कूल मैनेजमेंट के उत्पीडऩ के खिलाफ पिछले कई दिनों से मुद्दा उठाया जा रहा है। जिसमें बुक्स, ड्रेस से लेकर बढ़ी हुई फीस शामिल है। इसी को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने गूगल फॉर्म के जरिए सर्वे कराया। इसमें विभिन्न मुद्दों पर लोगों की राय जानी गई। सर्वे में 568 लोगों ने पार्टिसिपेट किया।

1. स्कूल्स की ओर से लगातार फीस में इजाफा किया जा रहा है।
- हां 80 परसेंट
- नहीं 20 परसेंट

2. क्या स्कूल मैनेजमेंट की ओर से बुक्स और डे्रस निर्धारित दुकान से लेने के लिए दबाव बनाया जाता है?
- हां 91 परसेंट
- नहीं 9 परसेंट

3. प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है?
- हां 84 परसेंट
- नहीं 16 परसेंट

4. शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन प्राइवेट स्कूल्स के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ दिखता है?
- हां 76 परसेंट
- नहीं 24 परसेंट

5. क्या बाजार में एनसीईआरटी बुक्स की किल्लत है? या कमीशन के एवज में स्कूल्स प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स चलाते हैं?
- बाजार में एनसीईआरटी बुक्स नहीं मिलती 10 परसेंट
- बाजार में एनसीईआरटी की बुक्स आसानी से अवेलेबल हैं 24 परसेंट
- प्राइवेट पब्लिशर्स और स्कूल की सांठगांठ हैं 25 परसेंट
- कमीशन के लिए महंगी बुक्स स्कूल मैनेजमेंट बच्चों से मंगाता है 41 परसेंट