विरोध के बाद असमंजस में पेरेंट्स
कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूलों में कई गुना अधिक फीस बढ़ोतरी और प्राइवेट पब्लिशर की महंगी बुक्स को देख पेरेंट्स टेंशन में है। वे स्कूल में बच्चों को आगे पढ़ाने या फिर अन्य किसी कम बजट वाले स्कूल में प्रवेश दिलाने की सोच रहे हैं। इसी बीच फीस पर प्रोटेस्ट के बाद राज्यसभा सांसद नवीन जैन के पत्र के बाद डीएम के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।

पेरेंट्स बुक्स खरीदने को नहीं बाध्य
जिलाधिकारी भानूचंद गोस्वामी फीस को लेकर बीएसए, डीआईओएस व स्कूल संचालकों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए हैं उन्होंने कहा है कि निजी स्कूलों में बुक्स और-कॉपियों की बिक्री और फीस को लेकर मनमानी पर अंकुश लगाया जाएगा लेकिन स्कूल के बाहर या गेट पर धरना-प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। पेरेंट्स उन्हें लगातार फोन करके शिकायत कर रहे हैं। उन्हें बताया गया है कि सालाना फीस कई गुना अधिक बढ़ाई गई है। प्राइवेट पब्लिशर की महंगी बुक्स को एक वीक के भी पेरेंट्स को विक्रेता से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाए।

ड्रैस बदलने, 15 फीसदी फीस पर निर्णय
राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने डीएम से पत्र के जरिए कहा है कि स्कूल संचालकों और बुक्स सेलर की मिलीभगत के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही हर साल यूनिफॉर्म बदलने में कमीशनखोरी की आशंका पर जांच की जाए। कोविड में समायोजित होने वाली फीस पर भी निर्णय लेने के आदेश दिए हंै। ऐसे में पेरेंट्स को एक बड़ी राहत का इंतजार है। कुछ पेरेंट्स 16 अप्रैल को आने वाले निर्णय का वेट कर रहे हैं।

वापस होगी बढ़ी फीस
बेसिक शिक्षाधिकारी ने बताया कि बढ़ी हुई फीस वापस होगी। मनमानी किसी की नहीं चलेगी। इस संबंध में स्कूल संचालकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। पेरेंट्स को कोई समस्या है तो वह शिकायत दर्ज कराएं। लेकिन, किसी संस्था को अराजकता फैलाने की अनुमति नहीं है। नियमों का पालन नहीं करने स्कूल के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।


बोले पेरेंट्स
फीस बढ़ी तो छोड़ देंगे स्कूल
एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले जगदीश के दो बच्चे हैं, जो शहर के एक कॉन्वेंट स्कूल पढ़ते हैं। हर साल फीस वृद्धि और साल-दर साल बुक्स की बढ़ी कीमतों से टेंशन में हैं। मजबूरी में उन्हें अपने बच्चों का प्रवेश किसी कम बजट वाले स्कूल में करवाना होगा।

कर्ज लेकर भरी बेटे की फीस
एक होटल में मैनेजर पुनीत गुप्ता ने बताया कि उनका बेटा शहर के कॉन्वेंट स्कूल का छात्र है। घर में आर्थिक समस्या आई तो फीस भरने में देरी हो गई। प्रिंसिपल से समय मांगा तो उन्होंने नहीं दिया। किसी तरह कर्ज लेकर रुपए का इंतजाम कर फीस भरी है।

फीस नहीं बढ़ी तो मिलेगी राहत
दयालबाग के रहने वाले राजेश शर्मा के दो बच्चे हंै। दोनों शहर के एक बड़े स्कूल के छात्र हैं। कोविड के समय में काम बंद हो गया। इसके बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। फीस अगर नहीं बढ़ाई जाती तो उनको राहत मिल जाएगी।

इस महीने 60 से 70 हजार का बोझ
अप्रैल मंथ में स्कूल खुलते ही हर तरफ सिर्फ स्कूलों की फीस और बुक्स की कीमत सभी जगह चर्चा का विषय है। करीब सभी स्कूलों में बुक्स-कॉपियों के सेट उम्मीद से कई गुना अधिक महंगे हैं। वहीं सालाना फीस में भी तकरीबन 10,500 से 11 हजार रुपए तक की वृद्धि है। अगर एक परिवार में दो बच्चे स्कूल जा रहे हैं तो इस मंथ उनके पेरेंट्स पर साठ से सत्तर हजार फीस का भार है।



फीस बढ़ोत्तरी के विरोध में प्रोटेस्ट किया गया था, इस संबंध में जिलाधिकारी के आदेश पर स्कूल्स को 16 अप्रैल तक का समय दिया गया है, वे अपना स्पष्टीकरण दें। तीन दिन के बाद ही इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।
जितेन्द्र गौड, बेसिक शिक्षाधिकारी


पेरेंटस पूछ रहे डीएम साहब से 5 सवाल?
- क ोविड काल में 15 फीसदी फीस कब होगी समायोजित? लग चुका है कंटेंट।
-जिला शुल्क नियमांक समिति के बिना बढ़ी फीस कब होगी वापस?
-स्कूलों द्वारा शासनादेश के अनुसार कब लागू होगी एनसीआरटी की बुक्स ?
-स्कूलों द्वारा यूनिफॉर्म, बुक्स और जूते की दुकानों पर कब लगेगी लगाम?
-स्कूल का फीस स्ट्रक्चर और बेलेंस सीट कब होगी स्कूल की साइड पर अपलोड ?