आगरा (ब्यूरो)। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य बताते हैैं कि आगरा में एयर पॉल्यूशन की स्थिति को देखते हुए 1996 में टीटीजेड का गठन हुआ। लेकिन इसमें दिए गए नियमों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि न तो इसकी अब तक कोई समिति बनी और न ही गाइडलाइन बन सकीं। उन्होंने कहा कि इसके बाद लगातार अलग-अलग योजनाएं लागू की गईं, लेकिन कोई योजना धरातल पर नहीं उतर सकीं।

एयर एक्शन प्लान भी हुआ फेल
यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने ताजनगरी में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एयर एक्शन प्लान बनाया था। एक जून 2019 को इसे तत्कालीन मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने लांच किया। इसमें एयर क्वॉलिटी सुधारने के लिए कई बिंदु तय किए गए थे। विभाग वार इनकी जिम्मेदारी दी गई थी। शहर में कचरा जलाने पर पाबंदी के लिए नगर निगम और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी को जिम्मेदारी दी गई। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां, कोयला भ_ियां, 15 साल पुराने डीजल वाहन, निर्माण कार्य, जनरेटर आदि के चलने पर कार्यवाही के लिए संबंधित विभागों को जिम्मा दिया गया। साथ ही नियमित पानी छिड़काव के भी निर्देश दिए गए थे। इनमें से कभी-कभार पानी मुख्य मार्गों पर छिड़काव तो दिखाई देता है। लेकिन अन्य चीजों पर कोई अमल नहीं हुआ है।

नहीं लग पाए मॉनिटरिंग सिस्टम
एयर एक्शन प्लान जारी होने के बाद 180 दिनों के अंदर फैक्ट्री और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण नियंत्रण करने वाले सिस्टम को स्थापित किया जाना था। यह काम नहीं हो सका। एक्यूआई की मॉनीटरिंग के लिए मोबाइल वैन चलाई जानी थीं। काम कर रहे ईंट भ_ों में भी जिगजैग तकनीक का उपयोग किया जाना था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है।

इलेक्ट्रोनिक बसें भी सपना बन रह गईं
प्लान के मुताबिक एक साल में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाना था। इन्हें ऊर्जा देने के लिए चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जाने थे। दो साल में यह काम पूरा नहीं हो सका है। शहर में कहीं भी मल्टीलेवल पार्किंग नहीं बनाई जा सकी हैं।

बढऩे की जगह घट गई हरियाली
आगरा में एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए धूल रोकने को प्लान के मुताबिक 180 दिन में 33 प्रतिशत ग्रीन एरिया बनाना था। एक साल में नालों के किनारे खुले स्थानों पर पौधारोपण और इंटरलॉकिंग होनी थी। लेकिन शहर में हरियाली बढऩे की जगह पर उल्टा हरियाली का स्तर घट गया है। पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य बताते हैैं कि शहर में हरियाली का स्तर अब 3 परसेंट ही रह गया है।

प्रदूषण कम करने के लिए होने थे ये कार्य
- ताज के 500 मीटर दायरे में इकाइयों के लिए इलेक्ट्रनिक भ_ियां
- ऑटोमेटिक एयर क्वॉलिटी मापने वाले सेंटर स्थापित करना
- जिले के हर हिस्से में पौधारोपण कर ग्रीन बेल्ट बढ़ाना
- एयर क्वॉलिटी मेंटेन रखने के लिए वाटर स्प्रिंकलर से लगातार छिड़काव होना
- प्रदूषण जांच केन्द्रों की संख्या में इजाफा करना
- ताज के करीब चूल्हा जलाने वालों को गैस के चूल्हे उपलब्ध कराना
- सभी वाहनों में धुआं उत्सर्जन रोकने के लिए फिल्टर लगाना
- सार्वजनिक परिवहन के साधनों जैसे इलेक्ट्रोनिक बसों को बढ़ावा देना
- आबोहवा को शुद्ध रखने के लिए चौराहों पर फव्वारों को चलाना

अब तक ये लिए जा चुके हैैं एक्शन
- 30 दिसंबर, 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के 50 किमी की परिधि में ताज ट्रेपेजियम जोन बनाने का आदेश दिया।
- ताजमहल के पास ग्रीन बेल्ट विकसित की गई।
- आगरा में प्रदूषणकारी उद्योगों की स्थापना पर रोक है। यहां केवल गैर-प्रदूषणकारी व ईको-फ्रेंडली उद्योग ही लग सकते हैं।
- एक जून, 2019 को आगरा का एयर एक्शन प्लान लांच किया गया।

"आगरा में पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए तमाम प्लान बनाए गए। लेकिन सब हवा-हवाई हो गए। हरियाली बढऩे की जगह उल्टा घट गई है। आगरा में हवा के साथ-साथ पानी की भी गंभीर समस्या है। "
- डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट