आगरा। जी हां आपकी उम्र साढ़े आठ साल कम हो गई है। दरअसल गुरूवार को यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स जारी की है। इस रिपोर्ट के हिसाब से हाई पॉल्यूशन रेट के कारण यूपी के लोगों की उम्र साढे़ आठ साल कम हो गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले बीस साल में पॉल्यूशन 72 परसेंट बढ़ गया है। यदि आज वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के स्टैडंर्ड के मुताबिक एनवॉयरमेंट में बदलाव हो जाए तो आपकी उम्र साढ़े आठ साल बढ़ जाएगी।
आगरा में ये हैं पॉल्यूशन के कारण
पिछले कुछ साल से आगरा में भी दिल्ली की तरह हवा प्रदूषित हो रही है। हर साल इन दिनों में पीएम 2.5 का लेवल बढ़ जाता है। आगरा की एक्यूआई इन दिनों में 200 प्लस रहती है, जो खराब की श्रेणी में आती है। जबकि सेहतमंद एक्यूआई का लेवल 50 है। एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट श्रवण कुमार का कहना है कि आगरा का पॉल्यूशन दिल्ली जैसा नहीं है। आगरा की हवा में एसपीएम के पार्ट ज्यादा हैं जो हमारी सांस के द्वारा हमारे फे फड़ों पर अटैक करते हैं। उन्होंने बताया कि आगरा के पॉल्यूशन के अपने कारण हैं। लगातार आगरा में होता मनमाने ढंग से होता कंस्ट्रक्शन इसका बड़ा कारण है।
मानकों का नहीं रखा जाता ध्यान
आगरा में कंस्ट्रक्सन करते वक्त मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है, चाहे वो प्राइवेट कंस्ट्रक्शन हो या गवर्नमेंट कस्ट्र्क्शन हो, सभी नियमों को ताक पर रखकर कंस्ट्रक्शन करते हैं। एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट ब्रज खंडेलवाल ने बताया कि आगरा में यमुना नदी का सूखा होना भी इसका कारण है। यमुना में पानी न होने की वजह से यमुना की रेत हवा चलने पर वातावरण में उड़ने लगती है और पॉल्यूटेंट एजेंट्स के साथ लोगों के फेंफड़ों को हार्म करती है। एनवॉयरमेंट एक्टिविस्ट डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि पहले अरावली की पहाडि़यां थीं, जो राजस्थान से आ रहे डस्ट पार्टिकल्स को आगरा आने से रोकती थीं। लेकिन अब अरावली की पहाडि़यों को खनन माफियाओं ने साफ कर दिया है। ऐसे में अब पश्चिम से चलने वाली हवा के साथ आगरा में राजस्थान से डस्ट पार्टिकल्स आ जाते हैं और आगरा के वातावरण में मिक्स हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि आगरा में टीटीजेड(ताज ट्रिपोजियम जोन) होने के कारण सारी कार्बन उत्सर्जन करने वाले उद्योग-धंधों को बंद कर दिया गया है। इसके बावजूद आगरा में पॉल्यूशन रेट हाई है। फिर भी आपको सिटी के कई कोनों में कूड़े के डस्टबिन्स और कूड़े के ढेरों में आग लगी हुई मिल जाएगी। ये कहीं न कहीं सुस्त आगरा प्रशासन के हालात को बयां करता है।
हाईवे पर लगातार होता कंस्ट्रक्शन भी एक कारण
सिटी में नेशनल हाइवे-2 पर लगभग पिछले पांच साल लगातार ओवर ब्रिज बनने का काम जारी है। ये कंस्ट्रक्शन पॉल्यूशन बोर्ड की एडवाइजरी को ताक पर रखकर किया गया है। तय समय पर कंस्ट्रक्शन का पूरा न होना। लगातार धूल उड़ते रहना, ये सब आगरा के पॉल्यूशन को बढ़ावा देने वाले तत्व हैं। सिकंदरा मंडी वाला ओवर ब्रिज का निर्माण इसका ताजा एग्जाम्पल है। यहां न तो धूल के उड़ते गुबारों पर कोई रोक है और न ही इसका निर्माण कार्य समय से हो सका है। पिछले पांच साल से सभी ओवर ब्रिज भी इसी प्रकार बने हैं।
कई बीमारियों को मिल रही दावत
जालमा के रिसर्च फेलो डॉ। रनंजय सिंह ने बताया कि इस प्रकार के पॉल्यूशन से आगरा में अस्थमा, टीवी, लंग डिजीज सहित कई बीमारियों के पेशेंट्स की संख्या बढ़ रही है। ऐसा एनवॉयरमेंट बच्चों और सीनियर सिटीजंस के लिये खतरनाक है। उन्होंने बताया कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले टाइम में सिटी में लंग कैंसर के पेशेंट्स की संख्या काफी ज्यादा होगी।
हम किस प्रकार की हवा और पानी को ग्रहण कर रहे हैं ये मैटर करता है। आगरा की हवा और पानी दोनों दूषित हैं। मोर टेक्नोलॉजी से टेक्नोलॉजी द्वारा किये गए पॉल्यूशन को दूर किया जा सकता है।
-बृज खंडेलवाल, एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट
आगरा में पॉल्यूशन रेट काफी हाई है। इसके लिए सुस्त प्रशासन के साथ आगरा की पब्लिक भी जिम्मेदार है। आने वाले टाइम के लिए अभी से चेतना होगा। प्लानिंग के साथ सिटी में पेड़ लगाने की जरूरत है।
-श्रवण कुमार, एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट
एनवॉयरमेंट पॉल्यूट होने के कारण आज हम सांस लेने से लेकर पानी पीने और खाना खाने तक सभी टॉक्सिक एलीमेंट्स को ग्रहण कर रहे हैं। इसके कारण घातक बीमारियां होने का खतरा है।
-जीतेन्द्र यादव
आगरा की जो वर्तमान स्थिति है, अगर यही हाल रहा तो आने वाले टाइम में आगरा में पचास फीसदी से ज्यादा लंग डिजीज के पेशेंट्स होंगे।
-डॉ। रंनजय सिंह
पिछली तीन दिवाली पर एक्यूआई
29 अक्टूबर - 453
30 अक्टूबर - 426
31 अक्टूबर - 402
2017
18 नवंबर - 328
19 नवंबर - 340
20 नवंबर - 314
2018
06 नवंबर - 395
07 नवंबर - 311
08 नवंबर - 361
2019
26 अक्टूबर - 237
27 अक्टूबर - 425
28 अक्टूबर - 230
हाल ही में पॉल्यूशन बोर्ड ने पॉल्यूशन कम करने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। ये एडवाइजरी कागजों में ही रह गई।
ये है एडवाइजरी
-सड़क, भवन और अन्य कंस्ट्रक्शन जहां भी धूल उड़ती हो वहां पानी का छिड़काव जरूर होना चाहिए।
-धूल और प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों की डेली 6 घंटे मॉनीटरिंग हो।
-पीडब्लूडी, एनएचएआई, नगर निगम, एडीए इन विभागों को विभीगीय कार्यों में पॉल्यूशन कम करना था।
-ध्वस्तीकरण और निर्माण कार्यो से निकलने वाले धूल के सूक्ष्म कणों की निगरानी करना और नोटिस जारी करना था।