ध्यान से सुनें बच्चों की शिकायत

अगर बच्चा अपनी आंखों को लेकर कोई दिक्कत बताए तो उसे गंभीरता से लें। यह कहना था अपोलो दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ। आलोक शर्मा का। पेरेंट्स को अब अवेयर होना होगा। अगर बच्चा आंखों में दर्द, जलन या सिर में दर्द की लगातार शिकायत करे तो उसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से चैकअप कराएं। देरी करने से बच्चे की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। बच्चा शिकायत कर रहा हो तो नौ साल की उम्र तक उसे चश्मा लगवा दें। इसके अलावा डॉ। शर्मा ने बताया कि अब उन बच्चों की आंखों का इलाज भी संभव होने जा रहा है जो किन्हीं कारणवश बहुत कम उम्र में अंधे हो जाते हैं।

टीवी देखना बन रहा दुश्मन

बच्चों की आंखों में दिक्कत ज्यादा टीवी देखने से हो रही है। बच्चों की खान-पान की स्थितियां भी काफी बदल गई हैं। बच्चों के खाने में कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व नहीं हैं। जिस वजह से उन्हें दिक्कत हो रही है। मोतियाबिंद पेशेंट्स सबसे ज्यादा भारत में कॉन्फ्रेंस में व्यवस्था संभाल रहे डा। नीरज अवस्थी ने बताया कि मोतियाबिंद के अगर पूरी दुनिया में 100 परसेंट पेशेंट हैं तो उसमें से 70 परसेंट पेशेंट्स तो केवल भारत में ही हैं। अब तो कम उम्र में भी मोतियाबिंद की शिकायत होने लगी है। उन्होंने बताया कि आंखों का इलाज करना अब काफी आसान हो गया है। अब तो आंखों के कैंसर का इलाज भी संभव हो गया है। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने किया। इससे पहले पूरा दिन अलग-अलग विषयों पर चर्चाएं चलती रहीं। देश-विदेश से आए डॉक्टर्स ने अपने  शोध पढ़े।