- लक्ष्य भेदकर आ जाएगी वापस हो सकेगा फिर से इस्तेमाल

- भारत में हाइपर सोनिक मिसाइल पर भी चल रहा है काम

मथुरा: ब्रह्मोस मिसाइल के जनक और सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक एएस पिल्लई ने कहा है कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का अगला वर्जन सुदर्शन चक्र की तरह होगा। सुदर्शन चक्र एकमात्र ऐसा दैविक हथियार है, जो अपना काम कर वापस आ जाता है।

जीएलए विवि के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए पिल्लई ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दुनिया की अद्वितीय सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस-1 विकसित करने के बाद भारत अब ब्रह्मोस-2 मिसाइल विकसित कर रहा है, जिससे वह अपने लक्ष्य को भेदकर वापस आ जाएगी और पुन: प्रयोग की जा सकेगी। ब्रह्मोस-दो की गति 7 मैक यानि 8643.6 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। अभी ब्रह्मोस प्रथम की गति 2.8-3 मैक यानि 3400-3700 किलो प्रति घंटा है। डॉ। पिल्लई ने कहा कि भारत हाइपरसोनिक मिसाइल भी विकसित कर रहा है, जो उससे भी नौ गुना ज्यादा शक्तिशाली होगी। इसे किसी भी खोजी उपकरण से पकड़ा भी नहीं जा सकेगा। वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि इस मिसाइल का भी लक्ष्य भेदने के बाद फिर से इस्तेमाल किया जा सके।

अगली सदी में सर्वाधिक रोजगार चांद पर मिलेंगे

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संस्थापक पद्मभूषण पिल्लई ने छात्र-छात्राओं को संबोधन में कहा कि अगली सदी मनुष्य की मेधा की महानता की अगली सीढ़ी होगी। इस सदी में न केवल मंगल और चांद तक टूरिज्म का विकास होगा, बल्कि इन जगहों पर उद्योग अगली सदी की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। तब चांद रोजगार पाने का बड़ा स्थान होगा।

पिल्लई ने कहा कि जल्द ही मनुष्य अंतरिक्ष तकनीक के विकास से चन्द्रमा व मंगल पर न केवल यात्रा (पर्यटन) करेगा, बल्कि वहां फैक्ट्रियों की स्थापना कर खनन जैसे अन्य कार्य भी करेगा। प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान की चर्चा करते हुए कहा कि आचार्य भारद्वाज एविएशन टेक्नोलॉजी और स्पेस क्राफ्ट के बारे में अपना दृष्टिकोण रखते थे। 600 बीसी में आचार्य कणाद ने सबसे पहले परमाणु का सिद्धांत खोजा। भास्कराचार्य ने न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व ही बीजगणित से लोगों को परिचित कराया। आर्यभट्ट ने 500 एडी के पूर्व घोषणा कर दी थी कि पृथ्वी गोल है।