आगरा(ब्यूरो)। आतंकवादियों के खिलाफ चलाया था अभियान

शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता ने आतंकवादियों को लोहा मनवाते हुए राजौरी कांड में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। सेना द्वारा चलाए गए अभियान में वह 22 नवंबर को शहीद हो गए थे। बता दें कि कैप्टन शुभम गुप्ता का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव कुआं खेड़ा में किया गया था। वह 9 पैरा में कमांडो बने। गुरुवार को ही कैप्टन शुभम गुप्ता को सेवा मेडल (वीरता) मरणोपरांत देने की घोषणा हुई है।

वकालात छोड़ दी थी

शुभम गुप्ता के पिता बसंत गुप्ता डीजीसी क्राइम हैं। शुभम ने पहले वकालात की पढ़ाई की। लेकिन उन्हें देश सेवा करने का जज्बा जागा को सेना को ज्वॉइन कर लिया। शुभम की जिंदगी और मौत की गाथा को बताते हुए एक शॉर्ट फिल्म बन चुकी है।

कैप्टन शुभम गुप्ता पर आगरा के ही निर्माता रंजीत सामा ने शॉर्ट फिल्म भी बनाई है। फिल्म का नाम है 'अभी मैं जिंदा हूं मांÓ। 40 मिनट की फिल्म का प्रीमियर 28 जनवरी को होगा। गीतकार संजय दुबे, सिंगर मौ। सलामत व सुरैया, निर्देशक हेमन्त वर्मा व संगीत निर्देशक दिलीप ताहिर हैं।

ऑपरेशन स्नो लैपर्ड के मिला सम्मान

कर्नल मोनीत सिंह के पिता कर्नल नरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके बेटे को मेंशन-इन-डिस्पैच सम्मान मिलेगा। लद्दाख में ऑपरेशन स्नो लैपर्ड में अपनी रेजीमेंट के लिए कमांडिग ऑफिसर के रूप में सेवा करने के लिए उन्हें यह सम्मान मिलेगा। कर्नल मोनीत सिंह ने 2005 में आर्मी ज्वाइन की थी। सेंट क्लेयर्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल से 10वीं करने के बाद शिलॉंग से 12वीं की थी। उसके बाद एनडीए ज्वॉइन कर लिया है। दो साल का टेन्योर पूरा करने के बाद ग्वालियर में पोस्टेड हैं। आईएमए (इंडियन मिलिट्री सेवा) में सिल्वर मेडल मिला था। 1974 से 2004 तक पिता कर्नल नरेंद्र सिंह आर्मी में रहे।