आगरा (ब्यूरो)। शनिवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सिकंदरा स्थित ऑफिस में 'साल नया प्रॉब्लम पुरानी' कैंपेन के तहत पैनल डिस्कशन का आयोजन किया। जिसमें प्रबुद्धजनों ने शहर के ऐसे तमाम मुद्दों पर विचार रखे, जिनका कई वर्ष बीत जाने के बाद भी समाधान का इंतजार है।

समस्या एक
साफ-सफाई कब होगी दुरुस्त
शहर को स्वच्छ बनाने की मुहिम कब पूरी होगी। आज भी गली-मोहल्लों में कूड़ा नहीं उठता है। जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के पास है, फिर भी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन पूरे शहर में प्रभावी नहीं हो सका है। हालांकि निगम अधिकारियों का कहना है कि स्वच्छ सर्वेक्षण के रिजल्ट में भी कूड़ा कलेक्शन 95 परसेंट बताया गया है। शहर में प्रॉपर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। शहर के जिन गली-मोहल्लों में कूड़ा कलेक्शन की परेशानी है, उन्हें दूर कराया जाएगा।

समस्या दो
ट्रैफिक जाम अब भी परेशानी
शहर में ट्रैफिक जाम सबसे बड़ी परेशानी है। एमजी रोड हो या फिर शहर के बाजार, आज भी वहां जाम की समस्या बनी हुई है। स्कूल्स की छुट्टी के समय तो स्थिति और विकराल हो जाती है। एमजी रोड से लेकर शहरभर में जाम की स्थिति बन जाती है। कमिश्नरेट बनने के बाद चौराहों और सड़कों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में इजाफा तो हुआ, लेकिन जाम से छुटकारा नहीं मिल सका।

समस्या तीन
मेडिकल फैसिलिटी में हो सुधार
शहर में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम हुआ। एसएन मेडिकल कॉलेज में मल्टी सुपरस्पेशियलिटी बिल्डिंग तैयार की गई। हालांकि अब भी इसमें मरीजों के एडमिट होकर इलाज होने का इंतजार है। ओपीडी में दिखाने के लिए आज भी घंटों लोगों को लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज की पुरानी बिल्डिंग में अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। जिला अस्पताल की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन मरीजों को राहत देने के लिए अब भी कई कदम उठाने की जरूरत है।

समस्या चार
यमुना में कब तक गिरते रहेंगे नाले
जीवनदायिनी यमुना आज भी बदहाली का शिकार है। हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी यमुना की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। नाले लगातार यमुना में गिर रहे हैं। नदी के डाउन स्ट्रीम में डैम का निर्माण प्रस्तावित है। इसका शिलान्यास भी किया जा चुका है। बावजूद इसके डैम का निर्माण नहीं हो सका। नदी में गिर रहे नाले लगातार नदी को दूषित कर रहे हैं।

पैनल डिस्कशन में आए सुझाव

- यमुना की डे्रजिंग की जाए। नदी में गिरने वाले नाले टैप्ड हों। डैम का भी निर्माण कराया जाए।
- सिर्फ चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। बल्कि वह ट्रैफिक को सुचारू बनाए रखने में एक्टिवनेस दिखाएं, न कि सिर्फ चालान करने में।

- सड़क किनारे बने बड़े-बड़े फुटपाथ को छोटा किया जाए। इस स्पेस का इस्तेमाल पार्किंग या फिर सड़क को चौड़ा करने में किया जाए।
- शहर में प्लांटेशन की प्रॉपर मॉनिटरिंग हो। दो वर्ष की जगह हर महीने में प्लांटेशन की स्थिति देखी जाए।
- शहर में ग्रीनरी बढ़ाने के लिए आमजन को अपने घर से शुरुआत करने चाहिए। गमलों में पौधे लगाकर घर में छोटे-छोटे पार्क बनाने चाहिए।


शहर को स्वच्छ बनाने के लिए हर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। शहर में 95 परसेंट डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। इसे 100 परसेंट करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिन गली-मोहल्लों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्ट करने के लिए वाहन नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां हथठेलों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

केके पांडेय, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्वच्छ भारत मिशन

वर्षों बाद भी आज यमुना बदहाल है। जीवनदायिनी यमुना की दुर्दशा देखकर बड़ा कष्ट होता है। ये सिर्फ इच्छाशक्ति की कमी है कि नदी पर डैम का निर्माण नहीं कराया जा सका है। जब ताजनगरी में मेट्रो प्रोजेक्ट को सभी मंजूरी मिल सकती हैं तो नदी पर निर्माण के लिए डैम को क्यों नहीं। इस ओर सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है। आमजन भी इसको लेकर आवाज उठाएं।
आनंद राय, सोशल एक्टिविस्ट

-वर्ष गुजरने के साथ ही ट्रैफिक जाम की समस्या में इजाफा हुआ है। वाहनों की संख्या बढऩे के साथ ही सड़कों पर स्पेस वही पुराना है। सड़क किनारे बड़े-बड़े फुटपाथ बनाए गए हैं। इनको छोटा कर यहां पार्किंग की व्यवस्था या फिर सड़क को चौड़ा किया जा सकता है। रोड सेफ्टी को लेकर पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।
सुनील खेत्रपाल, एक्टिविस्ट
शहर में ट्रैफिक जाम की बड़ी समस्या है। शहर की किसी भी रोड पर निकल जाइए, आपको वाहन रेंगते नजर आएंगे। कमिश्नरेट बनने के बाद सड़क पर दिखने वाले ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन जाम से शहर को अब तक छुटकारा नहीं मिल सका है।
नंदी महाजन, सोशल वर्कर
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शहरभर में जगह वेंडिंग जोन बनाए गए हैं, लेकिन वह अब भी खाली पड़े हैं। ठेलवाले सड़क किनारे खड़े होते हैं। शहर स्मार्ट सिटी बन गया है, लेकिन अब भी जाम लगता है। कुछ चौराहे तो ऐसे हैं, जहां से वाहन निकालना भी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में इजाफा हुआ है, लेकिन इस और प्रभावी बनाया जाना चाहिए।
रामेंद्र शर्मा
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शहर में सफाई व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन ट्रैफिक की समस्या का समाधान होना चाहिए। हाल ही में हाईवे पर सड़क हादसा हुआ था। उसके बाद टेंपों की चेकिंग की गई। कुछ दिन शहर के चौराहों पर स्थिति में सुधार दिखा। फिर वही पुराने ढर्रे पर व्यवस्था लौट गई है।
मुरारीलाल गोयल

शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों में विभागों के बीच को-ऑर्डिनेशन होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक विभाग ने सड़क बनाई दूसरे दिन ही अन्य विभाग ने खोद दी।

कल्पना धाकरे


हाल ही में जारी हुए स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग से भी शहर में सफाई व्यवस्था की पोल खुली है। टूरिस्ट सिटी के रूप में अपनी पहचान रखने वाले ताजनगरी में साफ-सफाई बेहतर होनी चाहिए।
प्रियंका

शहर में बार-बार सड़क की खोदाई पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सड़क किनारे डक्ट का निर्माण कराया जाए। जिससे यूटिलिटीज सर्विसेज के वायर को गुजारा जाए। इससे शहर में सड़क की खोदाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अवेंद्र कुमार वर्मा