आगरा(ब्यूरो)। इसी रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल ऑनलाइन गेम्स के जरिए से साइबर क्रिमिनल्स ने 70 लाख रुपए से अधिक का फ्रॉड किया है। इसके अलावा शुक्रवार को एक और मामला सामने आया कि जिसमें बेटी ने ऑनलाइन गेम खेल रही थी तो किसान के खाते से 26 लाख रुपए की ठगी हो गई।

ऑनलाइन गेम खेलना कितना जोखिम भरा
साइबर सिक्योरिटी के लिए भारतीय बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस और कंपनियां हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती हैं, लेकिन इसके बावजूद साइबर अटैक की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। बच्चे ऑनलाइन गेम की चाहत में अननॉन लिंक को क्लिक कर देते हैं, इसके बाद पेरेंट्स के अकाउंट से एक के बाद एक ट्रांजेक्शन में रुपए निकल जाते हैं। साइबर फ्राड द्वारा भेजे गए लिंक में क्लिक करते ही पेय प्रोसेस आता है, इसको फॉलो करना जोखिम भरा है।


डिजिटल युग में सिक्योर नहीं डिवाइसेस
साइबर सेल रेंज, शैलेष कुमार सिंह ने बताया कि आज हम सभी लोग पोटेंशियल साइबर अटैक की गिरफ्त में हैं। साइबर क्राइम का गोल्डन एज शुरू हो चुका है। साइबर क्रिमिनल्स आपके बारे में पहले अच्छी रिसर्च करते हैं और तब अटैक करते हैं। आज के डिजिटल युग में डिवाइसेस को आप पूरी तरह से साइबर सिक्योर नहीं बना सकते हैं। जो चीज कल तक सुरक्षित थी, वो आज सुरक्षित नहीं है और जो आज सुरक्षित हैं वो कल सुरक्षित नहीं होने वाली। आप साइबर सुरक्षा को जीवन जीने की शैली के रूप में जरूर अपना सकते हैं।

साइबर अटैक से बचने के लिए टिप्स
साइबर एक्सपर्ट पुनीत गुनानी ने बताया कि बेसिक सावधानियां बरतकर आप डिवाइस सुरक्षित रख सकते हैं। खासतौर पर जब आप एक पेरेंट्स हैं और अपना डिवाइस बच्चों को दे रहे हैं। पहली बात ये कि अपने डिवाइस पर कोई भी सेंसिटिव डाटा न रखें। फोन पर इंटरनेट बैंकिंग ट्रांजेक्शन बिल्कुल बंद कर देनी चाहिए। इंटरनेट बैंकिंग के जरिए से आपको टारगेट किया जा सकता है। इसलिए केवल अधिकृत एप्स से ही ट्रांजेक्शन करें। ऐसा नहीं है कि आपके फोन से पैसा चुराया जाता है।

साइबर अटैक होने पर उठाएं से कदम
अगर कभी आपके साथ साइबर अटैक जैसी घटना हो तो सबसे पहले क्या करें,
सबसे पहले आपको रिपोर्ट करना जरूरी है। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर, साइबर क्राइम की हेल्पलाइन वेबसाइट है आप वहां रिपोर्ट कर सकते हैं। साइबर फ्र ॉड होने के 60 मिनट से कम समय में 1930 पर कॉल किया जा सकता है।

बच्चों को भी करें अलर्ट
आज के समय में बच्चों को साइबर लॉ और साइबर सुरक्षा की शिक्षा स्कूलों में देनी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि आजकल बहुत छोटी उम्र में ही बच्चों को डिवाइस दिए जा रहे हैं। उन्हें ट्रांजेक्शन करने की सुविधा दी जा रही है। इसलिए आप जितना बच्चों को अलर्ट करेंगे उतने ही सुरक्षित रहेंगे। इस बात को बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्गों तक, सभी को समझना होगा।


फिशिंग यूआरएल फ्र ॉड का तरीका
फिशिंग यूआरएल एक तरह का फ्र ॉड लिंक होता है, जिसकी मदद से आपकी निजी जानकारी मांगी जाती है। फिशिंग यूआरएल पर क्लिक करते ही आप फेक वेब पर पहुंच जाते हैं। अगर आप इसमें अपनी जानकारी भर देते हैं तो यह हैकर के सर्वर में सेव हो जाती है। वह जब चाहे आपकी का इस्तेमाल फ्र ॉड करने के लिए कर सकता है।

इन गेम के जरिए हो रही ठगी
साइबर एक्सपर्ट पुनीत गुनानी बताते हैं कि क्रिमिनल्स ने रॉबलॉक्स, माइनक्राफ्ट, फोर्टनाइट और एपेक्स जैसे गेम के माध्यम से आसानी से निशाना बनाया है। बच्चों के लोकप्रिय गेम प्लेटफॉर्म रॉबलॉक्स के जरिए 40 हजार यूजर्स ने धोखे से संदिग्ध फाइलों को डाउनलोड करने का प्रयास किया है।

साइबर क्रिमिनल्स ने ऐसे गेम के जरिए लोगों को ठगा जो कि 5 से 8 साल तक तक की उम्र के बच्चों के लिए बनाए गए थे। साइबर क्रिमिनल्स ने पैरेंट्स के डिवाइस में सेंध लगाने के लिए फर्जी गेम साइट तक बनाई है। जिसके जरिए बड़ी रकम खाते से निकल जाती है।
शैलष सिंह, रेंज साइबर सेल


पेरेंट्स को अब अलर्ट होने की जरुरत है, बच्चों को साइबर लॉ और साइबर सुरक्षा की शिक्षा स्कूलों में पढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि कम उम्र में बच्चे डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं। पेरेंट्स जितना बच्चों को अलर्ट करेंगे उतने ही सुरक्षित रहेंगे।
सचिन सारस्वत, साइबर एक्सपर्ट