-मेडिकेयर हेल्थकेयर डिवाइसेस के नाम से संचालित अवैध फैक्ट्री में कोरोना काल में 24 घंटे चला काम

- कंपनी के चार पते, तीन फर्जी, एक ही जगह तैयार हो रहे सर्जिकल आइटम

आगरा। औषधि विभाग की टीम द्वारा बुधवार को पकड़ी गई अवैध फैक्ट्री में कोयंबटूर की फर्म से ग्लव्स खरीदे जा रहे थे। इन्हें मेडिकेयर हेल्थकेयर डिवाइसेस के नाम से पैक कर सरकारी अस्पतालों के साथ ही कई राज्यों और नेपाल में सप्लाई किया जा रहा था। औषधि विभाग की टीम सर्जिकल आइटम की खरीद-बिक्री के बिलों के आधार पर आगे जांच करेगी।

महिलाएं ही करती थीं काम

औषधि विभाग की टीम ने गढ़ी भदौरिया में छापा मारकर मेडिकेयर हेल्थकेयर डिवाइसेस के नाम से संचालित अवैध फैक्ट्री पकड़ी थी। कार्रवाई के दौरान संचालक रंजन अग्रवाल उर्फ राजेंद्र कुमार अग्रवाल निवासी प्रताप नगर भूतल में बनी एसी की खिड़की से कूद कर फरार हो गया था। टीम ने रात में फैक्ट्री सील कर दी। औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि कोयंबटूर की फर्म से ग्लव्स बोरे में आते थे। इन्हें निर्माता कंपनी द्वारा मेडिकेयर हेल्थकेयर डिवाइसेस के नाम से पैक कर सप्लाई किया जाता था। निर्माता कंपनी के चार पते पै¨कग पर अंकित हैं। इनमें से सेक्टर 15 ग्रेटर नोएडा, सिकंदरा इंडस्ट्रियल एरिया आगरा, मारुति प्लाजा संजय प्लेस आगरा और दमन एवं दीव के पते पर कोई फैक्ट्री संचालित नहीं है। ऑनलाइन ग्राहकों को गुमराह करने के लिए अलग-अलग पते दर्ज किए जाते थे। कोरोना काल में फैक्ट्री में 24 घंटे काम चला। पिछले एक महीने से फैक्ट्री में सुबह सात से शाम सात बजे तक 60 महिलाएं काम कर रहीं थी। ग्लव्स, मास्क, नेबुलाइजर, ऑक्सीजन मास्क की सप्लाई सरकारी अस्पतालों के साथ ही पंजाब, दिल्ली, राजस्थान के निजी अस्पतालों में की गई। नेपाल में भी बड़ी मात्रा में सर्जिकल आइटम सप्लाई किए गए। सर्जिकल आइटम की खरीद-बिक्री के नेटवर्क का पता लगाने के लिए फैक्ट्री की सील खोलकर दस्तावेजों की जांच की जाएगी।

स्टरलाइज मशीन मिली खराब, संक्रमण का खतरा

सर्जिकल ग्लव्स को पैक करने से पहले स्टरलाइज करने वाली मशीन खराब पड़ी हुई थी। कई साल से मशीन को इस्तेमाल नहीं किया गया। सर्जिकल ग्लव्स को स्टरलाइज किए बिना पैक किया जा रहा था, इससे संक्रमण फैलने का खतरा है।

लैपटाप से खुलेगा राज, 80 लाख की हर महीने कमाई

फैक्ट्री में चार लैपटाप रखे थे। इन लैपटाप में सर्जिकल आइटम की बिक्री और खरीद का ब्योरा मिल सकता है। पूछताछ में संचालक ने औषधि विभाग की टीम को बताया था कि उसकी 70 से 80 लाख रुपये मासिक कमाई है। बेटा साफ्टवेयर इंजीनियर है।

दो करोड़ के सर्जिकल आइटम और ढाई करोड़ की मशीन

फैक्ट्री में करीब दो करोड़ के सर्जिकल आइटम और ढ़ाई करोड़ की मशीन हैं। फैक्ट्री में सिर्फ महिला कर्मचारियों को ही रखा जाता था। वह बाहर नहीं जाती थीं, जिससे किसी को फैक्ट्री की भनक न लगे।

फर्मों को दिए जाएंगे नोटिस

जांच में सर्जिकल आइटम बेचने और खरीदने वाली फर्मो को नोटिस दिया जाएगा। ग्लव्स, मास्क, सैनेटरी पैड सहित सात सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। गुणवत्ता खराब मिलने पर ड्रग एक्ट में कार्रवाई की जाएगी। विदेश व्यापार कार्यालय से जारी आपात निर्यातक कोड, उद्योग आधार सहित अन्य दस्तावेज की जांच कराई जाएगी।

इस तरह चल रहा नेटवर्क

-गढ़ी भदौरिया के रिहायशी इलाके में वर्ष 2008 से चल रही थी फैक्ट्री।

- तीन मंजिला मकान में टीन शेड में भी ग्लव्स की पै¨कग की जाती थी।

- सैनेटरी पैड फैक्ट्री में ही तैयार किए जा रहे थे।

- ई-कामर्स कंपनी इंडिया मार्ट सहित अन्य कंपनियों के माध्यम से मेडिकेयर हेल्थकेयर डिवाइसेस के 100 आइटम की बिक्री की जा रही थी।

- वेबसाइट पर प्रोफाइल में लिखा है कि मेडिकेयर हेल्थ केयर प्रोडक्ट वर्ष 1996 में स्थापित हुई।

वर्जन

निर्माता कंपनी के चार पते पै¨कग पर अंकित हैं। इनमें से सेक्टर 15 ग्रेटर नोएडा, सिकंदरा इंडस्ट्रियल एरिया आगरा , मारुति प्लाजा संजय प्लेस आगरा और दमन एवं दीव के पते पर कोई फैक्ट्री संचालित नहीं है।

नरेश मोहन दीपक औषधि निरीक्षक