- हर महीने बच सकती थी 75 लाख मिलियन यूनिट बिजली

- मार्च तक बांटनी थी चार लाख से ज्यादा एलईडी

- छह महीने में लगभग पौने दो लाख ही बांट पाए

आगरा। खुद बिजली विभाग ऊर्जा बचत पर ध्यान नहीं दे रहा। इसकी नजीर है, डीवीवीएनएल। जिले में अगर डीवीवीएनएल (दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) के अधिकारियों ने एलईडी वितरण में जरा भी रुचि दिखाई होती, तो हर महीने 75 लाख मिलियन यूनिट बिजली की बचत होती। इससे विभाग की ढांचागत बुनियादी सुविधाओं में सुधार होता ही, साथ में जिले के उपभोक्ताओं पर राजस्व का भार भी कम होता।

दिसंबर 2015 में शुरु हुई थी योजना

प्रदेश के 20 बड़े शहरों में बिजली उपभोक्ताओं को पावर कॉरपोरेशन की ओर से सात वाट के एलईडी बल्ब के वितरण योजना की दिसंबर 2015 में शुरुआत की गई थी। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एफिशिएन्सी सर्विसेज ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में यूपीपीसीएल के साथ मिलकर एलईडी वितरण की योजना थी। इसमें शुरुआत में बल्ब की कीमत 85 रुपये बाद में 75 रुपये कर दी गई। पिछले छह महीने में डीवीवीएनएल के अधिकारी कुल टारगेट 426400 एलईडी बल्ब में से 172570 एलईडी बल्ब का ही वितरण कर सके हैं।

आंकड़ों पर नजर

426400 एलईडी बल्ब मार्च 2016 तक बांटे जाने थे

172570 एलईडी ही बांट सके सिर्फ छह महीने में

253830 एलईडी वितरण पीछे चल रहा है लक्ष्य से

ऊर्जा खपत और बचत

1 लाख एलईडी बल्ब से बचती है हर महीने 30 लाख मिलियन यूनिट

75 लाख मिलियन यूनिट हर महीने हो रहा नुकसान एलईडी न लगने से