57 स्टूडेंट्स का है ग्रुप

सिटी के खंदारी स्थित कें द्रीय हिंदी संस्थान में देश-विदेश से स्टूडेंट्स हिंदी सीखने आते हैं। इंस्टीट्यूट में साल भर कई स्टेट्स से स्टूडेंट्स कुछ दिनों की ट्रेनिंग लेने भी आते हैं। 24 सितंबर को मिजोरम स्टेट के आईजोल डिस्ट्रिक की डाइट से करीब 57 स्टूडेंट्स हिंदी सीखने पहुंचे। सभी स्टूडेंट्स प्रॉपर क्लासेस ले रहे हैं। इनका कोर्स 11 अक्टूबर को खत्म होगा।

बहुत पसंद है हिंदी

आइजोल से आईं लाल बिक थुआमी को हिंदी लैंग्वेज बहुत पसंद है। वे बताती हैं कि देश में ज्यादातर हिंदी का यूज होता है। वो इसे सीखना चाहती हैं ताकि बॉलीवुड के गाने समझ सकें।

हिंदी टीचर बनने की इच्छा

17 साल के लालडुहाओमा हिंदी सीखने के बाद टीचर बनना चाहते हैं। वे अपने स्टेट और शहर के लोगों को हिंदी सिखाना चाहते हैं। वे हिंदी को बहुत सिंपल लैंग्वेज बताते हैं।

हिंदी लगती है एक धुन जैसी

स्टूडेंट रेमरुआटफैला को हिन्दी किसी धुन जैसी लगती है। हिन्दी सुनने पर उन्हें ऐसा लगता है जैसे कहीं सुरीला वाद्य यंत्र बज रहा हो। वे कहते हैं कि हर इंडियन जो हिंदीतर स्टेट में रहते हैं,उन सभी को हिंदी बोलना और समझना आना चाहिए।

बोलना ज्यादा मुश्किल है

डेविड वीएल पचाऊ बताते हैं कि वह हिन्दी सीख रहे हैं, उन्हें हिंदी बोलना, लिखने-पढऩे से ज्यादा मुश्किल लगता है। मिजोरम में हिन्दी बोलने वाले ज्यादा लोग नहीं है इसलिए हिन्दी सुनने और समझने के लिए वह आगरा आए हैं। क्योंकि मिजो भाषा हिंदी से काफी डिफरेंट है।

ताकि समझ सकें डिफरेंस

आइजोल से आए स्टूडेंट्स की क्लासेस सुशीला थॉमस ले रही हैं। टर्की की यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर रहीं सुशीला बताती हैं कि इंस्टीट्यूट में हर साल हिंदीतर स्टेट से स्टूडेंट्स आते हैं। इन्हें तुलनात्मक विधि से पढ़ाया जाता है। ताकि वे अपनी और हिंदी भाषा में डिफरेंस समझ सकें.

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