किसने डालीं मार्कशीट्स

विवि में फ्राइडे को जिस तरह से मार्कशीट मिली हैं उसे देखकर तो लगता है कि मार्कशीट का फर्जीवाड़े से कोई कनेक्शन जरुर है। जबकि सबसे अहम सवाल है कि यह मार्कशीट वहां तक पहुंची कैसे? किसने मार्कशीट को गेस्ट हाउस के पीछे डाला और क्यों? विवि अधिकारी भले ही इन मार्कशीट्स को वेस्ट बता रहे हों, लेकिन बात तो कुछ और ही है। जो भी सारी बातें जांच के बाद साफ हो जाएंगीं।

खुलना चाहिए ताला

विवि में पुराने गेस्ट हाउस के पीछे मार्कशीट मिलने के बाद गेस्ट हाउस का ताला खुलने की बात सामने आने लगी है। कई कर्मचारी और छात्र दबी जबान से कह रहे हैं कि वीसी और अधिकारियों को गेस्ट हाउस का ताला खुलवाकर जांच करानी चाहिए। अगर इस गेस्ट हाउस का ताला खुलता है, कई चौंकाने वाले राज सामने आएंगे।

चार्ट और डाटा यहीं बंद है

विवि का महत्वपूर्ण डाटा और कई वर्षों के चार्ट इसी गेस्ट हाउस में बंद हैं। मेरठ से काम करने आई सिद्धविनायक एजेंसी का

सामान पिं्रटर और कम्प्यूटर्स भी इसी गेस्ट हाउस में रखे हैं। लेकिन इसको जर्जर इमारत का नाम देकर इसको बंद कर दिया गया। ताकि कोई इसकी तरफ ध्यान न दे और उनका खेल चलता रहे। अब अगर इस इमारत को लेकर पुलिस जांच करती है, तो बहुत कुछ सामने आएगा.

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