AGRA : दलालों के बीच में फंसे आरटीओ (परिवहन विभाग) में आवेदकों की परेशानी बढ़ गई है। लाइसेंस बनाने के लिए लंबी-लंबी लाइन लग रही हैं। इससे मजबूर होकर उन्हें दलालों की शरण लेनी पड़ रही है। इस लंबे जाम के झाम का अहसास विभाग के अधिकारियों को भलीभांति है। फिर भी वे चुप बैठे हैं। विभाग कार्रवाई के नाम पर जिला प्रशासन से सिर्फ खानापूर्ति कराता है।

मनमाफिक रूपये की वसूली

परिवहन विभाग में लाइसेंस बनाने से लेकर रजिस्ट्रेशन के सभी कामों को लेकर दलाल सक्रिय हैं। ये हर स्तर पर काम कराने का दम भरते हैं और समय-सीमा के भीतर करा देते हैं। इसके लिए मनमाफिक रुपया वसूला जाता है। विभाग में दलालों की सक्रियता की जानकारी विभाग के उच्च अधिकारी से लेकर नीचे कर्मियों तक है। लेकिन इन्हें रोकने के लिए विभाग की ओर से एक भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। अधिकारियों के पास एक-एक दलाल के संरक्षण की जानकारी तक है। इसके बाद भी कार्रवाई से कतराते हैं। पिछले कुछ दिनों से विभाग में दलालों की अधिक सक्रियता बढ़ी, तो विभाग के अधिकारियों ने जिला प्रशासन का सहारा लिया। जिला और पुलिस प्रशासन के सहयोग से परिवहन विभाग में छापामार कार्रवाई की गई। इस दौरान मात्र दो दलाल ही हत्थे चढ़े। इसके बाद भी हर दिन दलालों की सक्रियता लगातार बनी हुई है।

दलाल हुए फरार

पिछले दिनों एडीएम सिटी धर्मेद्र सिंह और पुलिस के आला अधिकारियों ने आरटीओ में छापा मारा। इस दौरान सिर्फ दो दलाल ही पकड़े गए, बाकी मौके से फरार हो गए। जबकि यहां पर हमेशा 20 से अधिक की संख्या में सक्रिय दलाल मौजूद रहते हैं। ऐसे में सिर्फ दो की ही धरपकड़ पर सवाल खड़े होते हैं। लगभग पांच साल पहले भी एक ऐसी ही कार्रवाई हुई थी। जिसमें वर्तमान एडीएम सिटी धर्मेद्र सिंह एसडीएम सदर थे। उन्होंने आरटीओ कार्यालय में छापामार कार्रवाई की थी और पत्रावलियों को सील भी किया था। इस कार्रवाई के बाद कई बाबूओं का तबादला हुआ था और लंबी चली थी। इस दौरान आरटीओ विजय कुमार ही थे, जो वर्तमान में भी पद संभाले हुए हैं।