फीरोजाबाद। प्रमुख सचिव के मंगलवार के आगमन के मद्देनजर जिला अस्पताल से लेकर महिला अस्पताल तक तैयारियां नजर आई। स्टाफ सोमवार को ही सफेद कोट में नजर आया। वार्डों में सुबह से ही चादर बदलने का काम शुरु हो गया, लेकिन इन तैयारियों के बीच भी खामियां रह गई। अलमारियों में कैद तकिए सोमवार को भी निकल कर बाहर नहीं आ सके।

जिला अस्पताल में विभिन्न मरीजों को वार्ड में तकिए देने का भी प्रावधान है, लेकिन जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा तकियों को मरीजों को नहीं दिया जाता है। प्रमुख सचिव के आगमन से पूर्व दैनिक जागरण ने जब जिला अस्पताल का निरीक्षण किया तो नजारा कुछ ऐसा ही था। जिला अस्पताल के विभिन्न वार्ड में लेटे मरीजों के पास में तकिया नहीं थे। किसी ने कंबल को सिर के नीचे लगा रखा था तो किसी ने घर से ही तकिया मंगाया था। हालांकि प्रमुख सचिव के आगमन के मद्देनजर इतना जरूर था वार्ड में बैडशीट बदली जा रही थी।

तकिया लगाने की अनुमति नहीं तो क्यों नहीं हटाते

अक्सर जब भी अफसरों का निरीक्षण होता है तो अस्पताल के बार्ड में बगैर तकिए के मरीजों को देखने के बाद में अफसरों के सवाल पर एक ही जवाब होता है साहब तकिया इस बीमारी में मना है, लेकिन अस्पताल में आम तौर पर मरीज तकिया लगाए नजर आते हैं। घर से लाए तकिए को लगाने वाले इन मरीजों के लिए अगर तकिया मना है तो अस्पताल में मौजूद नर्स इनसे मना क्यों नहीं करतीं।

दो ओपीडी का भ्रम दिखाएंगे सचिव को

महिला अस्पताल में सोमवार को फिर से दो ओपीडी संचालित होते हुए नजर आई। ध्यान रहे, 24 घंटे की ड्यूटी करने के बाद में महिला चिकित्सक को जल्दी जाने की छूट देने के लिए महिला अस्पताल में महिला चिकित्सक एक ही कक्ष में ओपीडी करती हैं। जबकि महिला चिकित्सकों को अलग-अलग कक्ष में ओपीडी करनी चाहिए, इससे मरीजों को भी आराम मिलेगा तथा जल्दी उपचार मिलेगा।