इससे आंतों की बीमारी की जानकारी

मिल सकती है। यह विचार थर्सडे से होटल जेपी पैलेस में शुरू हुई 67वीं इंटरनेशनल रेडियोलॉजिस्ट कॉन्फ्रेंस के पहले दिन डॉक्टर्स ने रखे। इस दौरान कई सत्र हुए। पेपर प्रजेंटेशन भी हुए।

अल्ट्रासाउंड है कारगर

गर्भस्थ शिशु के समय कई बार खून का प्रवाह कम होने लगता है, इससे भ्रूण की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति को कलर डॉपलर  अल्ट्रासाउंड से सबसे पहले पता लगाया जा सकता है। इससे भ्रूण को बचाया जा सकता है। यह विचार डा। भूपेंद्र आहूजा ने रखे। वे प्रसव संबंधी निर्णय में रेडियोलॉजिस्ट की भूमिका पर बोल रहे थे।

नए स्टूडेंट्स को मिले ट्रेनिंग

इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन  की एकेडमिक विंग इंडियन कालेज ऑफ रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग के चेयरमैन डॉ। प्रदीप पारिख ने कहा कि स्टूडेंट्स को अब रेडियोलॉजी की ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए। रेडियोलॉजी की शिक्षा को सुधारने के लिए डीएनबी, एमसीआई और आईसीआरआई का सहयोग चाहिए। चीफ गेस्ट के रूप में डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज प्रो। डॉ। जगदीश प्रसाद, डॉ। राजेश कपूर, डॉ। भूपेंद्र आहूजा, डॉ। ओपी बंसल, डॉ। योगेंद्र कुमार, डॉ। विनित नंदा, डॉ। वनज माथुर, डॉ। प्रशांत गुप्ता, डॉ। सुभाष बाल्यन। डॉ। अरविंद गुप्ता, डॉ। अनिल बंसल, डॉ। आरके गुप्ता सहित कई डॉक्टर्स आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में आदि उपस्थित रहे।

बहुत सारे सत्र हुए कॉन्फ्रेंस में

चार सभागारों में सुबह से शाम तक अलग-अलग विषयों पर कई सत्र चले। इनमें अमेरिका, थाइलैैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी के कई विशेषज्ञ शामिल हुए। इन सत्रों में पुरानी तकनीकों से लेकर आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी गई। जांच के तरीके बताए गए। उपचार की पद्धतियों पर भी चर्चा हुई। इस दौरान रेडियोलॉजी व इमेजिंग से जुड़े उत्पादों की 100 स्टॉल्स पर वल्र्ड की 60 कंपनियों के विभिन्न प्रोडक्टस की जानकारी दी गई।