आगरा(ब्यूरो)। 8-8 सवारियों को बैठाकर जान को जोखिम में डालकर ऑटो बेखौफ दौड़ते मिले। अफसोसजनक है कि रविवार को सबकुछ पहले जैसा ही था। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने हताहत और उनके परिजनों के साथ अपनी संवेदनाओं को जोड़ते हुए एक प्रयास शुरू किया है। हम उन '6 जिम्मेदारों' को एक बार फिर बताना चाह रहे हैं कि यदि आप प्रयास करेंगे तो हाइवे पर यह खूनी तांडव थम सकता है। बेगुनाहों की मौत रुक सकती है। आज हम आपको वे 6 सुझाव देंगे जिससे कि सिकंदरा क्रॉसिंग से गुरुद्वारा गुरु के ताल क्रॉसिंग के बीच ट्रैफिक को सुचारु किया जा सकता है। यह सुझाव ग्राउंड रिपोर्टिंग और शहर के कुछ ऐसे फिक्रमंद लोगों के बीच से निकलकर आए हैं, जो बिना किसी लोभ-लालच के इस शहर का हित चाहते हैं।


जरा समझ लें
शनिवार को हुए हादसे की वजह को समझने का प्रयास करें तो निकलकर आता है कि नेशनल हाइवे पर दौड़ रहा ट्रैफिक बेतरतीब है। दिल्ली-एनसीआर या देश के पश्चिमी हिस्सों से आ रहे 30 हजार ट्रक या उससे भी बड़े वाहन इस सड़क पर रोजाना आगरा से होकर गुजर रहे हैं। इसमें ज्यादातर ट्रक्स ऐसे हैं जो गंतव्य तक जल्दी पहुंचने के लिए ट्रैफिक नियमों का नियमित उल्लंघन करते हैं। इन्हीं अनियंत्रित ट्रकों के बीच से दो हजार ऑटो भगवान टॉकीन से रुनकता के बीच सवारियां बैठाने की होड़ में दौड़ रहे हैं। यूं तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर कुछ ईवी बसेस भी चल रही हैं किंतु वे सवारियों को ढ़ोने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शहर के कुछ पुराने-नए एरिया के विकसित होने से इस दो किमी के एरिया में रोजाना हजारों दोपहिया और चार पहिया वाहनों का आवागमन बना रहता है। एक सामान्य अनुमान के अनुसार हर 10 सेकेंड में 100-120 वाहन हाइवे से गुजरते हैं। हाइवे के ट्रैफिक के बीच इस दो किमी दायरे में सर्विस रोड न होने से लोकल ट्रैफिक मर्ज हो रहा है, जो आए दिन हो रह हादसों की वजह बन रहा है।

जानिए, क्या हैं 6 समाधान
1-सर्विस रोड क्यों नहीं बनवाते?
गुरुद्वारा गुरु के ताल से लेकर सिकंदरा क्रॉसिंग के बीच सर्विस रोड नहीं है। सिक्स लेन हाइवे पर नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा सर्विस रोड का निर्माण क्यों नहीं किया जा रहा है। जबकि एनएचएआई के पास हाइवे के दोनों ओर सर्विस रोड के लिए पर्याप्त जगह भी है। एनएचएआई चाहे तो गुरु के ताल से लेकर सिकंदरा के बीच अतिक्रणकारियों के चंगुल से जमीन को मुक्त कराकर सर्विस रोड का निर्माण करा सकता है। इसके अलावा आईएसबीटी से सिकंदरा की ओर जाने वाले सर्विस रोड को एक्टिव करने की आवश्यकता है। यहां पेट्रोल पंप के पास बड़ा कट होने से ऑटो हाइवे पर चले जाते हैं। वहीं, मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाह के निवास के सामने सर्विस रोड काफी संकरी हो गई है। यहां एक माह के समय में एनएचएआई सर्विस रोड को आसानी से बना सकता है।

2-हाइवे पर किसकी अनुमति से चल रहे ऑटो?
नेशनल हाइवे पर किसकी अनुमति से ऑटो चल रहे हैं? इस सवाल का जबाव हादसे के दूसरे दिन तक किसी 'जिम्मेदारÓ के पास नहीं है। एमजी रोड पर ऑटो को प्रतिबंधित कर सकते हैं तो हाइवे पर ऑटो के संचालन की अनुमति कैसे दी जा सकती है? आरटीओ को चाहिए कि वो हाइवे पर ऑटो के संचालन पर रोक लगाए और कमिश्नरेट पुलिस को चाहिए कि वो हाइवे पर ऑटो के संचालन पर कड़ाई से रोक लगाए। बता दें कि रोजाना करीब 2 हजार ऑटो हैवी ट्रैफिक के बीच से सवारियों की जान पर खेलकर ढो रहे हैं।

3-हाइवे पर बनाई जाएं येलो लाइन
सिक्स लेन हाइवे पर येलो लाइन नहीं बनाई गई है। जबकि प्रावधान कहता है कि हाइवे पर जहां लोकल ट्रैफिक मर्ज हो रहा है वहां दो लेन के बाद येलो लाइन बनानी होगी। लोकल ट्रैफिक, बाइक्स, ऑटो आदि येलो लाइन के बाद ही चलेंगे। इसके अलावा सड़क पर साइनेज आदि लगाकर ट्रैफिक को प्रॉपर डायरेक्शन दिया जाना चाहिए। हाइवे की फेसिंग को तोड़कर गुजर रहे लोगों को रोका जाना भी आवश्यक है।

4-क्यों नहीं निर्धारित की गति सीमा
नगर निगम की सीमा से गुजर रहे के नेशनल हाईवे नंबर 19 पर भारी और हल्के वाहनों के लिए समय सीमा क्यों निर्धारित नहीं की गई? क्या गति सीमा सूचक बोर्ड लगाए गए हैं? तेज गति से चलने पर कितने वाहनों के चालान हुए हैं? इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर मोटर वेहिकल एक्ट की धारा 136-ए के अनुपालन में कितने कैमरे लगे हुए हैं? ये वो सवाल हैं, जिनके जवाब जानने की जरूरत है। 'जिम्मेदारÓ यदि शहरवासियों की जान को लेकर जिम्मेदार हैं तो वे इन सवालों के जवाब जरूर तलाशें। यहां वाहनों की स्पीड अधिकतम 30 किमी प्रति घंटा हो, साथ ही प्रॉपर मॉनीटरिंग आवश्यक है।

5-ऑटो चालकों की ट्रेनिंग क्यों नहीं?
नेशनल हाईवे नंबर हुए हृदयविदारक हादसे में ऑटो चालक की जल्दबाजी भी प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा स्वीकारी गई है। आमतौर पर देखा जाए तो हाइवे पर बेतरतीब दौड़ रहे ऑटो छोटे-बड़े हादसे की वजह बन रहे हैं। ऑटो चालकों के लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित कराना चाहिए। और यह प्रोग्राम कुछ इस तरह हो कि ऑटो चालक इसे इग्नोर न कर सकें। आवश्यकता है कि जो ऑटो चालक इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल न हो उसका लाइसेंस और ऑटो का परमिट निरस्त किया जाए।

6-हाइवे पर क्यों नहीं ट्रैफिक सिग्नल?
नगर निगम सीमा में झरना नाला से रुनकता तक ट्रैफिक सिग्नल से ट्रैफिक का संचालन क्यों नहीं हो रहा है। यहां खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैन्युअली ट्रैफिक को रोकते हैं। जिसे न तो बाहर से आने हैवी ट्रैफिक मानता और न ही लोकल वाहन चालक इसे तवज्जो देते हैं। वहीं, गुरु का ताल और सिकंदरा क्रॉसिंग पर तैनात अनट्रेंड होमगार्ड और ट्रैफिक पुलिसकर्मी यहां ट्रैफिक को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं हैं। ट्रैफिक सिग्नल से ट्रैफिक का संचालन होने से हादसों की संभावनाएं कम होंगी। वहीं, ट्रैफिक लाइट ब्रेक करने पर ऑटोमैटिक चालान की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाए।

हाइवे पर सर्विस रोड का निर्माण, हर वाहन के लिए प्रॉपर लेन और ट्रैफिक लाइट से ट्रैफिक का संचालन करके काफी हद तक गुरु का ताल और सिकंदरा क्रॉसिंग के बीच हादसों को रोका जा सकता है। ऑटो चालकों को प्रॉपर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए और ऐसी व्यवस्था की जाए कि हर ऑटो चालक को इस ट्रेनिंग में शामिल होना अनिवार्य हो। एनएचएआई समेत संबंधित विभागों को त्वरित कार्यवाही कर हादसों को रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए।
-डॉ। अरुण प्रताप सिकरवार, असिस्टेंड प्रोफेसर, दयालबाग एजुकेशन इंस्टीट्यूट
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हाइवे पर हो रही दुर्घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हैवी वाहन के लिए स्पीड लिमिट सेट की जाए और स्पीड लिमिट क्रॉस करने वाले पर हैवी फाइन लगाया जाए। वाहनों की मैन्युअल चेकिंग नहीं होनी चाहिए इसके लिए टेक्नोलॉजी का सहयोग लें। सड़क पर हो रहे एक्सीडेंट का एक डाटाबेस हो जिससे कि वहां सुरक्षा मानकों को प्रभावी से अनुपालन हो सके। हाइवे पर हो रहे हादसों को रोकने के लिए जिम्मेदार विभागों को तत्काल प्रयास शुरू करने होंगे।
- केसी जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट