-इम्युनिटी कम होने पर ज्यादा खतरा

-खुद न लें एंटीबायोटिक्स

आगरा। मौसम में आए बदलाव के चलते वायरल फीवर ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। निजी व सरकारी अस्पतालों की मेडिसिन ओपीडी में रोजाना तीस से चालीस प्रतिशत मरीज वायरल फीवर के आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार इस बार वायरल फीवर काफी आक्रामक रूप दिखा रहा है। नाक बहने, गले में खराश,आंखें लाल होना,ज्वाइंट में दर्द, जुकाम व तेज बुखार के लक्षणों के साथ प्लेटलेट्स भी कम होने की शिकायत भी मरीजों में सामने आ रही है। डॉक्टरों के अनुसार वायरल फीवर के स्वरूप में बदलाव आया है।

प्लेटलेट्स की हो रही कमी

सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि ओपीडी में वायरल फीवर के बहुत ज्यादा मरीज आ रहे हैं। इस बार वायरल फीवर में प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत काफी देखने को मिल रही है। ये लक्षण ज्यादातर डेंगू के मरीजों में ही देखने को मिलते हैं। इससे पहले तक वायरल फीवर में ऐसा देखने को नहीं मिलता था।

बच्चे, बुजुर्ग बुखार से अधिक पीडि़त

डॉ। प्रभात ने बताया कि वायरल फीवर की चपेट में ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग व ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्हें श्वास रोग, शुगर, किडनी से संबंधित रोग व दमा है। इसकी वजह इनका कमजोर इम्यून सिस्टम है। इम्यूनिटी हमारी शरीर की वह अंदरूनी शक्ति होती है, जो संक्रमण से लड़ती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से शरीर के सेल्स व टिश्यू वातावरण में मौजूद वायरस व बैक्टीरिया से लड़ने में समक्ष नहीं हो पाते और हम बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। बहुत से लोगों को यह लगता है कि इम्यून सिस्टम एकदम से कमजोर हो जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। इम्यून सिस्टम तब कमजोर होता है,जब

लंबे समय तक लोग गलत खानपान को अपनाते हैं।

खांसने व छींकने पर सावधानी न बरतने से बढ़ रहा वायरल बुखार

डॉ। प्रभात ने बताया कि वायरल इंफेक्शन इस कदर फैला हुआ है कि परिवार में अगर छह लोग हैं तो उसमें से तीन से चार लोग वायरल इंफेक्शन के चलते फीवर की चपेट में हैं। वायरल फीवर के बढ़ने की वजह वायरल बुखार संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींकने और खांसने के दौरान सावधानी न बरतना है। ज्यादातर पीडि़त वायरल की चपेट में आने के बाद खांसते और छींकते वक्त नाक और मुंह पर रूमाल नहीं रखते। जिससे हवा में फैलने वाले वायरस के संपर्क में आने पर परिवार के दूसरे लोग भी इसकी चपेट में आ जाते है। यदि वायरल से पीडि़त मरीज खांसने व छींकने के दौरान रूमाल या टिश्यू पेपर का उपयोग करे और दूसरों से हाथ मिलाने से परहेज करें, तो काफी हद तक अन्य लोगों में वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।

खुद न लें एंटीबायोटिक्स

डॉ। प्रभात ने कहा कि कई मरीज वायरल फीवर की वजह से हालत काफी ज्यादा बिगड़ने के बाद आते हैं। ये वह लोग होते हैं, जो कई दिनों तक खुद ही डॉक्टर बनकर अपनी समझ के अनुसार दवा की दुकानों से एंटीबायोटिक्स लेते रहते हैं। एंटी बायोटिक्स से बुखार हो ठीक हो जाता, लेकिन वायरस पर यह असर नहीं करती। वायरल फीवर के लक्षण सामने आते ही अच्छे मेडिसन विशेषज्ञ से इलाज करवाकर इसे गंभीर रूप धारण करने से रोका जा सकता है।

ऐसे करें वायरल फीवर से बचाव

-वायरस शरीर पर तभी हावी होते है, जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए पौष्टिक आहार लें। इस मौसम में सेब, नींबू, आंवला,मौसमी, अनार,हरी सब्जियां, सलाद,अंकुरित अनाज,मेवे का सेवन किया जा सकता है।

-ड्रीहाईड्रेशन से बचने के लिए खूब पानी पीएं। जो लोग फील्ड में अधिक रहते हैं, उन्हें ज्यादा पानी पीना चाहिए।

-सात घंटे की नींद जरूर लें। रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें।

-फास्ट फूड और बाजार में खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थ बिलकुल न खाएं।

-साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। खाना खाने से पहले व बाद में अच्छी तरह हाथ साफ करें।

- किसी के इस्तेमाल किए तौलिएं का प्रयोग न करें।

-प्रदूषण व धूल मिट्टी वाली सड़कों पर जाने से बचें। अगर जाना पड़े,तो मास्क पहनें या फिर चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कॉटन के कपड़े से मुंह व नाक ढक कर निकलें।

-वायरल फीवर की चपेट में आने पर इलाज के दौरान ज्यादा से ज्यादा आराम करें।

वर्जन

इन दिनों वायरल तेजी से फैल रहा है। ऐसे में बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अपने आप एंटी बायोटिक्स न लें। मास्क का उपयोग जरूर करें।

-डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर मेडिसिन डिपार्टमेंट, एसएनएमसी