-पूछताछ में खुल सकते कई अहम राज

-रसद, चंदा और हथियारों का था सप्लायर

मथुरा: जवाहरबाग में ढाई-तीन हजार लोगों के खाने-पीने का बंदोस्बत करने के साथ-साथ चंदा और हथियारों की सप्लायर राकेश गुप्ता शुक्रवार को बदायूं पुलिस के हत्थे चढ़ गया। राकेश के ही पेट में रामवृक्ष की असलियत के छिपी हुई और वहीं चंदा एकत्र करने के साथ-साथ हथियारों की खेप जवाहर बाग में मंगा रहा था।

बदायूं जिले के थाना हजरतपुर क्षेत्र के गांव गढि़या शाहपुर निवासी राकेश गुप्ता ऑपरेशन जवाहरबाग के दौरान भीड़ के साथ भागने में सफल हो गया था और पुलिस ने गुप्ता की गिरफ्तारी पर पांच हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया था। शुक्रवार को बदायूं पुलिस के हत्थे चढ़े राकेश गुप्ता को अपनी सुपुर्दगी में लेने को मथुरा पुलिस को एसएसपी बबलू कुमार ने रवाना कर दिया था। अपने गांव में आम आदमी का ¨जदगी बसर कर रहा राकेश गुप्ता अचानक लक्जरी गाडि़यों का मालिक बन गया था। रामवृक्ष यादव जवाहर बाग में जिस फौज को विद्रोह के लिए तैयार कर रहा था। उसके लिए सबसे पहले दस लाख रुपये का चंदा राकेश गुप्ता ने ही दिया था। दस लाख रुपये देकर राकेश गुप्ता स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह और स्वाधीन भारत सुभाष सेना का सचिव राकेश गुप्ता को रामवृक्ष यादव ने नियुक्त कर दिया था। राकेश गुप्ता जवाहरबाग का मैनेजेमेंट संभाले हुए था।

23 जनवरी 2015 को सुभाष जयंती पर जवाहर बाग की मुख्य गेट तक सजावट की थी और उस समय राकेश गुप्ता रामवृक्ष के साथ हथियारों के लैस होकर जवाहर बाग से बाहर निकल कर आया था। पर उस समय राकेश गुप्ता को पुलिस पहचान नहीं पाई थी। इसी का फायदा उठाकर 27 महीने तक लगातार समय-समय पर पुलिस की निगाहों से बचकर वह दूसरे शहरों में भी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए जाता रहा। राकेश गुप्ता के पकड़े जाने से पुलिस को काफी उम्मीदें हैं। पूछताछ में राकेश गुप्ता रामवृक्ष यादव के नेटवर्क का खुलासा कर सकता है। एसएसपी बबलू कुमार ने राकेश गुप्ता की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

ऑपरेशन जवाहरबाग में आया सामने

आम आदमी से दौलतमंद बने राकेश गुप्ता की गतिविधियों के संबंध में उसके गांव वाले भी नहीं जानते थे, लेकिन ऑपरेशन जवाहर बाग के बाद उसका नाम सामने आया था। दो दिन पहले बस्ती में गिरफ्तार किए गए चंदनबोस और उसकी पत्नी पूनम ने पूछताछ में राकेश गुप्ता का भी जिक्र किया था। साथ ही यह भी खुलासा किया था कि राकेश गुप्ता के हाथ में जवाहरबाग में ठहरे ढाई-तीन हजार लोगों का मैनेजमेंट था। खाने-पीने के बंदोस्त के साथ-साथ वह इलाज, कपड़े समेत अन्य सामान का भी इंतजाम करता था। ऑपरेशन जवाहर बाग को लेकर जब प्रशासन पर जन दबाव बढ़ रहा था। तभी राकेश गुप्ता ने हथियारों की खेप भी मंगाई थी। इसमें देशी बम, अंडर ग्रेनेड लान्चर, कारतूस, तमंचा, रायफल और बारुद भी मंगाया था। चंदनबोस ने पूछताछ में पुलिस के सामने यह भी स्वीकार किया था कि राकेश गुप्ता और वीरेश यादव मिलकर जवाहर बाग में रह रहे बच्चों को लाठी-डंडे और हथियार चालाने का प्रशिक्षण भी दे रहा था।