- नो एंट्री में ट्रक और अन्य बडे़ वाहनों को प्रवेश कराने के नाम पर होती है वसूली

आगरा। ये बात सौ फीसदी सच है और खुद हम नहीं बल्कि पब्लिक भी ये दावा करती है। करकुंज रोड पर अधिकांश ट्रक नो एंट्री के बावजूद बेधड़क दौड़ते हैं। अपनी मुट्ठियां गर्म करने के लिए विभिन्न चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के सिपाही नो एंट्री में ट्रक और अन्य बड़े वाहनों को एंट्री देते हैं। फरवरी 2014 में भी करकुंज रोड पर दो बच्चों की मौत के बाद भी प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया है। नतीजा ये हुआ कि गुरूवार को फिर एक बार बच्चों की जिंदगी जोखिम में आ गई।

दिन में होती है नो एंट्री

प्रशासन की तरफ से नो एंट्री का रूल बनाया गया है। इसमें सुबह 6 बजे के बाद और रात 11 बजे से पहले कोई भी बड़ा वाहन रिहायशी या नो एंट्री जोन में नहीं जाएगा। रात 11 बजे बाद व सुबह 6 बजे से पहले एंट्री का नियम है, लेकिन बावजूद इसके दिन में ट्रक व अन्य बड़े वाहन नो एंट्री में दौड़ते नजर आते हैं।

10 रुपये में बेची जाती है जिंदगी

नो एंट्री में ट्रक ऐसे ही नहीं घुस जाते बल्कि इसके एवज में ट्रैफिक पुलिस के जवान और होमगार्ड जमकर वसूली करते हैं। चौराहों पर ड्यूटी करने वाला सिपाही दस रुपये में जाने कितने लोगों की जिंदगी दाव पर लगा देता है। मात्र दस रुपये में मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ होता है। जब भी मामला पकड़ में आता है तो ज्यादा से ज्यादा दोषी को लाइन हाजिर कर दिया जाता है, लेकिन नो एंट्री में एंट्री का खेल अनवरत जारी रहता है।

यहां पर भी थी नो एंट्री

गुरुवार को जिस मार्ग पर ट्रक ने बस को टक्कर मारी थी, वह भी बड़े भारी वाहनों के लिए नो एंट्री जोन था। फिर भी वह ट्रक वहां पर कहां से आया यह बड़ा सवाल है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बालू भरा ट्रक या तो पथौली या फिर गुरु का ताल की तरफ से निकला होगा। एसओ थाना सिकंदरा अनिल यादव के मुताबिक पकड़े गए ट्रक चालक का नाम रामऔतार निवासी धौलपुर बताया है। एसओ के मुताबिक वह रोहता नहर से पथौली होता हुआ अलीगढ़ जा रहा था। स्कूल प्रबंधतंत्र की तरफ से अभी तक कोई तहरीर नहीं आई है।

छिपा रखा था ट्रक का नंबर

ट्रक चालक इतना शातिर था कि चारों तरफ ट्रक का नंबर नहीं लिखा था बल्कि पीछे की तरफ एक नम्बर प्लेट के पीछे दूसरी नंबर प्लेट थी। आगे वाली नंबर प्लेट पर मात्र आरजे 11 लिखा था, जबकि छिपी हुई नंबर प्लेट पर आरजे 11 जीए 9640 लिखा था। ट्रक चालक ने नंबर इसलिए छिपा कर रखा कि कोई घटना कर भागे तो कोई नंबर नोट न कर सके।

शाबासी से ज्यादा छवि धूमिल

आगरा ट्रैफिक पुलिस को सभी तरफ से बधाई मिल रही है। चूंकि एसपी ट्रैफिक आरके सिंह ने ट्रैफिक के नियम-कानून पर अधिक जोर दिया है। चालान करने में किसी को नहीं बख्शा। चाहे वह आम आदमी हो या फिर कोई प्रशासनिक या राजनीतिक हो। पर ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने जेबें भरने के लालच में अपने ही विभाग की छवि को धूमिल कर दिया है।