- इस कमेटी का सदस्य है पंचशील आश्रय गृह स्वामी डीडी मथुरिया

- समय-समय पर आश्रय गृह में निरीक्षण की भी है कमेटी की जिम्मेदारी

आगरा। आबरू लुटती रही। आवाज दबती रही। उनके रखवाले बेखबर थे। जिन पर देखभाल की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कभी उनकी सुध लेना उचित नहीं समझा। यहां तक कि उनके साथ हुए जुल्म और सितम से बाल कल्याण समिति भी बेखबर थी या फिर जानबूझकर आंखें बंद कर लीं थीं। भला हो सिटी मजिस्ट्रेट का, जिसने उस दरिंदे के चंगुल से उन्हें मुक्त कराया।

सवालों के घेरे में है चाइल्ड वेलफेयर कमेटी

पंचशील आश्रय गृह में जो लड़कियों के साथ हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है। सिटी मजिस्ट्रेट रेखा एस चौहान की रिपोर्ट ने पंचशील आश्रह गृह के स्वामी के काले कारनामों की कलई खोल कर रख दी है। उनकी रिपोर्ट पर पंचशील खुला आश्रय गृह सहित अन्य दो की मान्यता रद्द किए जाने की संस्तुति की गई है। इसके साथ ही उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। अब सवाल ये है कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी क्या करती रही। जेजे एक्ट के तहत इन आश्रय गृहों में बच्चों को भेजने का दायित्व इनका है, तो उनकी समय-समय पर देखभाल की जिम्मेदारी भी इसी कमेटी की है। लेकिन इस कमेटी ने घोर लापरवाही बरती या फिर जानबूझकर चुप्पी साध ली। जो भी हो चाइल्ड वेलफेयर कमेटी सवालों के घेरे में है।

डीडी मथुरिया है सदस्य

पंचशील खुला आश्रय गृह का स्वामी डीडी मथुरिया चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का सदस्य भी है। इस कमेटी में अध्यक्ष समेत कुल पांच सदस्य हैं। इस कमेटी की अध्यक्ष डॉ। कमलेश कुमारी हैं।

दो सदस्यों की होती है जरूरत

कमेटी की अध्यक्ष डॉ। कमलेश कुमारी ने बताया कि जेजे एक्ट के तहत जो भी बच्चे और बच्चियां आतीं थीं, उन्हें पंचशील खुला आश्रय गृह में भेजा जाता था। इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था। कोरम पूरा करने के लिए मात्र दो ही सदस्यों की आवश्यकता होती है। जिसमें खुद डीडी मथुरिया एक सदस्य है।

अंदर की हमें क्या मालूम थी

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की अध्यक्ष कमलेश कुमार ने बताया कि उन्हें क्या मालूम था कि वहां पर अंदर खाने क्या चल रहा है। समय-समय पर वे निरीक्षण को जातीं भी थीं, लेकिन उन्हें इन सभी चीजों का पता नहीं चल सका। जांच में जो वहां पर निकला है, उसकी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि जो भी निरीक्षण में मिलता था, उसकी रिपोर्ट डीपीओ को दे दी जाती थी।