- बहुचर्चित प्रोफेसरों ने बीएड-2013 के रिजल्ट का उठाया ठेका

- 50 लाख से 10 करोड़ रुपये बनाने की प्लानिंग हुई एक्सपोज

- एटा की एक छात्रा का मामला सामने आते ही लीक हुई प्लानिंग

AGRA। चलो गोल्ड में इनवेस्टमेंट करते हैं। नहीं जमीन में इनवेस्टमेंट ठीक रहेगा। वहां ज्यादा प्रॉफिट मिलेगा। अरे रूको, यदि इनवेस्टमेंट करना ही है तो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स से कांटेक्ट करो। वह लाख रूपये के इनवेस्टमेंट में करोड़ों रुपये का मुनाफा दे रहे हैं। ये डायलॉग सुनकर एकबारगी आप हैरत में आ सकते हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी में बीएड रिजल्ट के नाम पर चल रहे प्रॉफिट और इनवेस्टमेंट के गेम को देखने के बाद कोई भी इस 'रिजल्ट बिजनेस' में अपनी पूंजी लगाने के लिए तैयार हो सकता है।

रिजल्ट का उठा टेंडर

सोर्स के मुताबिक अंबेडकर विवि में बीएड ख्0क्फ् के रिजल्ट का टेंडर उठा है। वो भी भारी-भरकम रकम पर। इसमें इनवेस्टमेंट करने वाले कोई 'ए' या 'बी' ग्रेड के ठेकेदार नहीं है, बल्कि यूनिवर्सिटी के ही प्रोफेसर्स हैं। जिन्होंने रिजल्ट तैयार करने से लेकर उसे डिक्लेयर करने तक का ठेका लिया। हालांकि यह बात अलग है कि इस टेंडर को उठाने के लिए प्रोफेसर्स ने सिर्फ एक ही बार विवि के सीनियर ऑफीसर्स के सामने बोली लगाई और आसानी से टेंडर मिल गया। न कुटेशन का कोई झंझट रहा और ना बोली के रेट्स की टेंशन।

अंबेडकर विवि की थी जिम्मेदारी

दरअसल, बीएड ख्0क्फ् का रिजल्ट निकालने की जिम्मेदारी अंबेडकर विवि की थी। रिजल्ट को-ऑर्डीनेटर प्रो। हरिमोहन शर्मा को बनाया। आईईटी में कापी चेक हुई। रिजल्ट भी आउट हो गया। इस रिजल्ट को इंटरनेट पर डाउनलोड भी कर दिया, लेकिन ये मामला तब एक्सपोज हुआ, जब एटा की एक छात्रा की मार्कशीट सामने आई। उसे एबसेंट होने के बावजूद फ‌र्स्ट क्लास पास कर दिया गया।

कुछ यूं हुआ पूरा खेल

इस छात्रा का मामला सामने आते ही कहानी सबके सामने आ गई। सूत्र बताते हैं कि रिजल्ट की जिम्मेदारी तो विवि को मिल गई, लेकिन जिम्मेदारी मिलने के बाद यहां कई प्रोफेसर्स सक्रिय हो गए। प्रोफेसर्स के एक गुट ने विवि के कुछ बहुचर्चित अधिकारियों को भ्0 लाख रुपये की रकम इस शर्त पर थमाई कि 'अब रिजल्ट की पूरी जिम्मेदारी हम निभाएंगे। इसे कैसे निकालना है, कैसे आउट करना है, यह हम देखेंगे आप इसे भूल जाइए.'

डायरेक्ट कॉलेजों से हुई डील

सूत्र बताते हैं कि इस खेल में लोकल लेवल पर किसी से संपर्क नहीं किया गया। इसके लिए सीधा कॉलेजों से डील की गई। कॉलेजों ने अपने स्तर से स्टूडेंट्स से बात की, रकम ली और उनका काम कराया।

ख्भ् हजार दो काम कराओ

रिजल्ट बनाने के दौरान कॉलेजों से हुई सेटिंग में हर काम के लिए ख्भ् से फ्0 हजार रुपये का रेट सेट कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि जिस छात्रा का मामला सामने आया है उसने भी अपनी एबसेंट को प्रजेंट करने के लिए ख्भ् हजार रुपये खर्च किए।

नकली तो नहीं मेरी मार्कशीट

एटा की जिस छात्रा का मामला सामने आया उसे अपनी मार्कशीट नकली होने का शक हुआ। उसने एक छात्र नेता से संपर्क किया और पूरी जांच करने को कहा। इस तरह यह मामला एक्सपोज हो सका है।

लाखों से बनाए करोड़ो

एक बार भ्0 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट करने के बाद प्रोफेसर्स के गुट ने सोचा था कि वे इससे करोड़ो रुपये कमा लेंगे। जो शायद कमा भी लिए। इस बीएड एग्जाम में हजारों स्टूडेंट्स बैठे थे। कॉलेजों ने हर उस स्टूडेंट से नंबर बढ़वाने और अन्य कामों की सेटिंग की, जिसने थोड़ा सा भी इंटरेस्ट दिखाया।

दो घंटे में बदले जांच अधिकारी

वेडनस डे को मैटर एक्सपोज होने के बाद कार्यवाहक कुलपति वीएन सक्सेना ने थर्सडे को एक जांच कमेटी का गठन किया। जांच कमेटी में शिक्षक संजय चौधरी, राजेंद्र शर्मा, एआर महेंद्र सागर को बनाया, लेकिन दो घंटे बाद ही यह कमेटी बदल दी गई। दो घंटे बाद इसमें ब्रजेश रावत, मनु प्रताप और महेंद्र सागर जांच अधिकारी बन गए।

छात्र नेताओं ने की जांच की मांग

इस पूरे मामले में छात्र नेताओं ने जांच की मांग करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही दोषियों को सबके सामने नहीं लाया गया तो छात्र नेता मिलकर इस पूरे मामले को शासन स्तर पर पहुंचाएंगे। उसके बाद यूनिवर्सिटी को जवाब देना होगा।

अब क्या करेंगे कुलपति?

कुलपति देश से बाहर गए हुए हैं। उनकी एबसेंट में यह मामला हो गया है, अब जब वो लौटेंगे तो किस मुंह से इसका जवाब देंगे यह वो ही जानते हैं क्योंकि उनके समय में ही यह मामला उठा है।

सुनो मुख्यमंत्री अखिलेश जी

चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव वैसे तो चुनावों में मिली हार के बाद तमाम अधिकारियों को लताड़ लगा चुके हैं। कई बड़े नेताओं पर गाज गिरा चुके हैं, लेकिन देश के कुछ पुरानी यूनिवर्सिटीज में से एक अंबेडकर यूनिवर्सिटी की तरफ उनका ध्यान नहीं है। यहां होने वाले तमाम स्कैम और हंगामों के बाद भी शासन स्तर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

पहले भी हुए स्कैम

- फर्जी मार्कशीट पकड़ में आई

- रोल नंबर जनरेट किए गए

- फर्नीचर घोटाला भी हुआ

- पर्दा घोटाला भी सामने आया था

'जांच समिति का गठन कर दिया गया है। समिति एक हफ्ते में रिपोर्ट दे देगी। स्टूडेंट्स से पैसे लेकर उनका काम किया गया है। इसकी जानकारी मुझे नहीं है.'- प्रो। पीके सक्सेना, कार्यवाहक कुलपति

'जब तक जांच कमेटी की रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। मामला ही अजीब है। आरोप है कि एबसेंट छात्रा को फर्जी मा‌र्क्स दिए गए हैं। अब इसमें किसने ऐसा किया, पैसे लिए कि नहीं, यह तो जांच रिपोर्ट में ही सामने आएगा.'- एके सिंह, चीफ प्रोक्टर

'चाहें शिक्षक हों या कर्मचारी हो, जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्यवाही हो। मेरा मानना है कि हर काम के दौरान इतनी कड़ी नजर रखी जानी चाहिए कि कोई गलत काम कर ही नहीं पाए। जहां तक जांच कमेटी की बात है तो जांच समिति को निश्चित अवधि में जांच रिपोर्ट दे देनी चाहिए, वरना जांचे तो चलती रहती हैं.' - प्रो.जीसी सक्सेना, पूर्व कुलपति, अंबेडकर विवि