आगरा। भारत तेरे टुकड़े हों, ऐसा भारतीय नहीं कह सकता। ये बातें शनिवार को शनिवार को राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ये बातें कहीं.अपने पांच दिनों के आगरा प्रवास दौरे पर पहुंचे संघ प्रमुख आगरा कॉलेज ग्राउंड में शिक्षकों से रूबरु हुए। इस दौरान शिक्षकों के सवालों का भी उन्होंने बखूबी जवाब दिया। कहा कि पहले हमको स्वंय को बदलना होगा। इसके बाद व्यवस्था खुद-ब-खुद बदल जाएगी। बजट आवंटन व बार-बार सरकार बदलने से कुछ नहीं होगा। हमें प्राथमिक विद्यालयों की शैक्षिक स्थिति को सुधारना होगा। ।

शिक्षकों को अपना आचरण अनुकरणीय बनाना होगा

सरसंघचालक मोहन भागवत का कहना था कि भारत में भारत तेरे टुकड़े हों ऐसा कहने वाले भी लोग हैं। भारत में रहने वाले स्वयं को ¨हदू नहीं कहते, जबकि दुनिया उन्हें ¨हदू कहती है। सोच में बदलाव लाने से ही राष्ट्र का विकास हो सकता है। आगरा कॉलेज ग्राउंड में आयोजित मुक्त चिंतन सत्र में संघ प्रमुख ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों को अपना आचरण अनुकरणीय बनाना होगा। छात्र अपने शिक्षक को आदर्श मानकर उनके आचरण का अनुकरण करते हुए आगे बढ़ते हैं। शिक्षकों को पांचवीं से लेकर परास्नातक तक ऐसे पढ़ाना चाहिए, जैसे वे भारत की संतानों को पढ़ा रहे हों। बजट आवंटन से शिक्षा में सुधार नहीं हो सकता। न ही सरकार या व्यवस्था बदलने से इसमें अंतर आएगा। सरकारी विद्यालय खस्ताहाल हैं। अन्य स्थानों पर शिक्षा महंगी है। हमें सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों को उत्तम बनाना होगा और शिक्षा सस्ती बनानी होगी। शिक्षा का परिवर्तन का प्रारंभ बिंदु शिक्षक है। सबको शिक्षा चाहिए तो सब शिक्षित हों ऐसे पद्धति अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने अपने सवाल शिक्षा पद्धति पर कम और वर्तमान व्यवस्था पर ज्यादा उठाए हैं।

70 वर्षो में व्यवस्था कई बार बदली लेकिन परिवर्तन नहीं हुआ

संघ प्रमुख ने कहा कि 70 वर्षो में व्यवस्था कई बार बदली, लेकिन परिवर्तन कोई खास नहीं हुआ। समाजवाद से लेकर इमरजेंसी तक के दौर से लोग गुजर लिए। इसलिए हमें व्यक्ति से शुरू करना होगा। इसके लिए शिक्षक सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं। स्कूली व विश्वविद्यालीय समस्याओं के लिए शिक्षकों को शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि शिक्षक सुझावों और समस्याओं के पत्र शिक्षा मंत्री को भेजें। मैं उनसे जरूर जानकारी लूंगा क्या आपको शिक्षकों के पत्र प्राप्त हुए।

¨हदू संगठित हो गया तो हमारा कार्य पूरा

विदेशों में ¨हदू स्वयंसेवक संघ कार्य करता है। ये वहां के ¨हदुओं को संगठित बनाने का काम करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य भारत के ¨हदुओं को संगठित करना है। अगर इतना हो गया तो हमारा काम पूरा हो गया।