- एसएन में 2011 के बाद एमसीआई के निरीक्षणों पर एसएन ने खर्चे 10 लाख
- हर दौरे की फीस तीन लाख
आगरा। मेडिकल कॉलेजों में सुधार के लिए काम कर रही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई), जब भी कॉलेज में निरीक्षण के लिए आती है और कमियां बताती है तो कॉलेज प्रशासन में उसके सुधार के लिए प्रयास शुरू हो जाते हैं। ज्यादा सीटों के एफिलेशन के लिए वे एमसीआई के मानकों को पूरा करने का पूरा जतन करते हैं। लेकिन शहर के एसएन मेडिकल कॉलेज और शासन को इसकी कोई फिक्र नहीं है। पिछले पांच साल में एमसीआई की टीम एसएन में 10 बार दौरा कर चुकी है, हर बार समान कमियों पर नेगेटिव मार्किंग भी होती है लेकिन उनके सुधार के लिए कोई काम नहीं होता।
2011 से हो चुके 10 दौरे
एमसीआई ने 2011 से अभी तक एसएन मेडिकल कॉलेज में 10 दौरे किए हैं। छोटी-मोटी कमियों के अलावा करीब पांच कमियां ऐसी हैं जो हर निरीक्षण में नेगेटिव मार्क होते हैं। इस मार्किंग के कारण मेडिकल कॉलेज को ज्यादा सीट्स नहीं मिल पा रहीं। 2011 के बाद से हर साल एसएन में 150 सीटों का बैच शुरू किया जाता है। लेकिन इसका एफिलेशन एमसीआई से नहीं मिल पा रहा।
कमियां पूरी न करने का मिला चुका दंड
कमियां पूरा न कर पाने पर एमसीआई की ओर से एसएन पर कार्रवाई भी हो चुकी। एसएन में 2011 से 150 सीटों का बैच चल रहा है लेकिन बीच में सन् 2014 में एमसीआई ने मानक पूरे न कर पाने पर यह सीटें घटाकर 128 कर दी थी। एमसीआई की इस कार्रवाई पर भी नहीं कोई चेतना नहीं आई।
निरीक्षण के लिए अभी तक खर्च चुके 30 लाख
एमसीआई को हर निरीक्षण के तीन लाख रुपए फीस देनी होती है। 2011 के बाद अब तक 10 निरीक्षण में एसएन प्रशासन 30 लाख रुपए भी खर्च चुका है और हर बार उन्हीं गलतियों के लिए जवाब देता है।
कमियां एसएन के लिए बन गई नासूर
पिछले एमसीआई के अभी तक 10 दौरे हुए हैं। इन दौरों में हर बार पांच कमियों पर नेगेटिव मार्किंग होती ही है। ये कमियां एसएन के लिए नासूर बन गई है। इनके निराकरण एसएन के प्रशासन की ओर से शासन को समय-समय पर प्रोजेक्ट बनाकर प्रपोजल भी भेजे गए हैं लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आता।
इन कमियों पर ये हुआ एक्शन
फैकल्टी की कमी
कार्रवाई:: एसएन में फैकल्टी की कमी काफी समय से चल रही है। 2011 के निरीक्षण के दौरान यह कमी 37 परसेंट थी जो घट कर 11 परसेंट पर रह गई थी। लेकिन अब यह कमी वापस 18 परसेंट जा पहुंची। इसके लिए एसएन प्रशासन की तरफ से शासन को समय-समय पर फैकल्टी की मांग को लेकर पत्र भेज गए हैं।
मानकों के अनुसार नहीं लाइब्रेरी
कार्रवाई:: कॉलेज में सेंट्रल लाइब्रेरी एमसीआई के मानकों को पूरा नहीं कर रही। यहां न तो रीडिंग रूम हैं, न ही मेडिकल जर्नल्स पर्याप्त संख्या में है। एसएन प्रशासन ने सात करोड़ का प्रोजेक्ट तीन साल से शासन को दिया हुआ है। बजट सेंक्शन नहीं हो रहा। इसके लिए फार्मेसी बिल्डिंग और सेंट्रल स्टोर के पास पड़ी खाली जमीन भी चिन्हित कर ली गई है।
ऑडिटोरियम नहीं है
कार्रवाई:: मेडिकल कॉलेज में एमसीआई के मानकों के अनुरूप ऑडिटोरियम नहीं है। इसके लिए यहां से छह करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट शासन को दिया जा चुका है। तीन साल से इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रेजिडेंशियल क्वाटर्स नहीं है
कार्रवाई:: एसएन में फैकल्टी या कर्मचारियों के लिए रेजिडेंशियल क्वाटर्स भी नहीं है। एमसीआई नॉर्म्स के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंशियल क्वाटर्स होना जरूरी है। क्वाटर्स के लिए प्रशासन की ओर से 29 करोड़ का प्रोजेक्ट तीन साल पहले शासन को भेजा गया, औरों की तरह यह प्रोजेक्ट भी फाइलों में दबकर रह गया।
नर्सिग स्टाफ की कमी
कार्रवाई:: अस्पताल में इस कमी के प्रभाव साफ देखने को भी मिलत हैं। 1000 बेड्स पर सिर्फ करीब 63 नर्सिग स्टाफ काम कर रहा है। एसएन ने शासन को 309 नर्सिग के पद सेंक्शन करने के लिए दो साल से पत्र लिख रहा है। लेकिन एक भी पद नहीं बढ़ा।