-कॉलेज संचालकों की बढ़ रहीं चिंता की लकीरें

-फीस कम होने के बाद भी नहीं ले रहे प्रवेश

आगरा। डॉ। भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। तीन वर्ष पूर्व इस डिग्री को पाने वाले विद्यार्थियों के बीच मारामारी की स्थिति थी। विद्यार्थियों की बेरुखी कॉलेज संचालकों की परेशानी का सबब बन गई हैं। बैचलर ऑफ एजूकेशन की डिग्री कभी विद्याथिर्यो के बीच रोजगारपरक समझी जाती थी। पांच वर्ष पहले मैनेजमेंट कोटे में एक लाख से अधिक रुपये देकर भी प्रवेश के लिए मारामारी बनी रहती थी। इसको ध्यान में रखते हुए कॉलेज संचालकों ने भी जोड़-तोड़कर सीटों की संख्या बढ़वा ली। लेकिन काउंसलिंग में विद्यार्थियों की संख्या को देखकर चिन्ता की लकीरें बढ़ रहीं हैं।

कॉलेज संचालक छोड़ रहे सीट

खंदारी परिसर में बीएड की काउंसलिंग कराई जा रही है। लेकिन उम्मीद की अपेक्षा विद्यार्थी बहुत कम पंजीकरण करा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए कॉलेज संचालक सीट छोड़ने को मजबूर हैं। विद्यार्थियों ने अपनी सुविधा के अनुसार पास के कॉलेज व शहरी क्षेत्र के निकट कॉलेजों में प्रवेश के लिए सीट लॉक कर दी है। वहीं दूर-दराज के क्षेत्रों के कॉलेजों में बीएड की ज्यादातर सीटें खाली हैं।

प्रवेश के लिए प्रलोभन

कॉलेज संचालक काउंसिलिंग में आने वाले विद्यार्थियों को तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं। जिससे किसी भी तरह रिक्त पड़ी सीटों को भरा जा सके। कॉलेज संचालकों ने अपने कर्मचारियों को भी प्रत्येक छात्र के प्रवेश लेने पर कमीशन फि क्स कर दिया है। कुछ कॉलेज संचालक विवि जमा कराने वाला डीडी भी अपनी जेब से जमा करा रहे हैं। विवि अधिकारियों ने स्थिति को देखने हुए कॉलेज संचालकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

बीटीसी की मान्यता का प्रभाव

सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए एक दशक पूर्व बीएड डिग्रीधारकों को अनुमति दी गई थी। मेरिट के आधार पर लाखों अभ्यर्थियों की बम्पर भर्ती गई, लेकिन तत्पश्चात बीटीसी भी शुरू कर दी गई, इससे अचानक बीएड का ग्राफ घट गया। घटते क्रेज से कॉलेज संचालक विकल्प की तलाश कर रहे हैं।