आगरा। शहर में भीषण गर्मी पड़ रही है। इसी के साथ कोरोना के नए केसेज भी सामने आने लगे हैं। दिल्ली और अन्य पड़ोसी राज्यों में बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों के पेरेंट्स की टेंशन बढ़ गई है। पिछले एक सप्ताह से सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटी है। देहात में भी बच्चों ने स्कूल से दूरी बना ली है।

स्कूल पहुंचे पेरेंट्स
सोशल मीडिया पर संजय प्लेस स्थित एक स्कूल का मैसेज वायरल हुआ। इस पर एक पेरेंट्स ने लिखा था कि उनके बेटी स्कूल में बीमार होने के बाद अब हॉस्पिटल में एडमिट है। इसे लेकर अन्य पेरेंट्स स्कूल पहुंच गए। ऑनलाइन पढ़ाने कराने की मांग करने लगे। स्कूल प्रबंधन ने उनकी समस्याओं को सुना और सही जानकारी दी। वायरल मैसेज को अफवाह बताया।


क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी
स्कूल में बच्चों को लाने और ले जाने का कार्य कर रहे पेरेंट्स का कहना है कि क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन नहीं कि या जा रहा है। छोटे बच्चे मास्क को लेकर अवेयर नहीं हैं। स्कूल वैन में बैठे बच्चे संख्या से अधिक भरे जा रहे हैं। जिससे कोरोना वायरस के साथ अन्य तरह की बीमारियों भी बच्चों में फैल रही हैं।


बच्चों को स्कूल भेजने में अभी कोई समस्या नहीं, लेकिन फिर भी कोविडगाइड लाइन का पूरी तरह पालन किया जाए तो बेहतर रहेगा।
डॉ। मनिका कपूर, पेरेंट़्स



स्कूल भेजने को लेकर पेरेंट्स को अवेयर होना होगा, क्योंकि पिछले दो साल से स्कूल बंद हैं। अगर स्थिति खराब होती है तो सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की जाएगी। उसे सभी फॉलो करें।
सुमन सुराना, पेरेंट्स


बच्चों की सुरक्षा को लेकर पेरेंट्स के मन मेें असमंजस की स्थिति बनी है। अभी हम बच्चों को स्कूल लाने और छोडऩे का कार्य खुद ही कर रहे हैं।
सिद्धार्थ शर्मा, पेरेंट्स



सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या पिछले दिनों की अपेक्षा घटी है। देहात क्षेत्रों में इसका असर अधिक है।
राजीव वर्मा, जिला महासचिव, यूटा



स्कूल में बच्चों की संख्या कम होने का कारण भीषण गर्मी भी है। स्कूलों में प्रॉपर लाइट की व्यवस्था नहीं है।
निधि श्रीवास्तव, टीचर


स्कूल्स में कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। इसके साथ ही बच्चों को कोरोना से बचाव के प्रति अवेयर भी किया जा रहा है। स्कूल्स में बच्चों को किसी तरह का खतरा नहीं है। उन्हें नई-नई एक्टिविटीज सीखने को मिल रही है।
डॉ। सुशील गुप्ता, अध्यक्ष, अप्सा