बस देखता रहा पत्थर घोड़ा

नेशनल हाइवे नं। टू पर काफूर की मस्जिद है। यह इम्पोर्टेेंट मान्युमेंट पत्थर घोड़ा के नाम से फेमस है। नेशनल हाइवे पर होने की वजह से टूरिस्ट इसके सामने से गुजरते हैं लेकिन इसे देखने के लिए वह अपने व्हीकल के ब्रेक लें उससे पहले ही गेट पर पड़ी मोटी सी जंजीर उनकी स्पीड को बढ़ा देती है। तमाम विजिटर्स इसे देखने की हरसत तो रखते हैं लेकिन देख नहीं पाते।

यहां भी no entry  

सिटी के बीचों बीच आबादी में स्थित ढाकरी का महल में एंटर होने की कोई व्यवस्था नहीं है। एएसआई ने लम्बा-चौड़ा गेट तो लगा दिया है लेकिन हर टाइम इस पर लॉक ही लटका मिलता है। इसका प्रचार भी इतना नहीं है कि लोग यहां पहुंचे। सिकंदरा एरिया में छोटी मस्जिद को भी लॉक कर रखा है। नतीजा नेशनल हाइवे से सिटी में आते-जाते टूरिस्ट इसे अंदर से चाह कर भी नहीं देख सकते हैैं।

मिलनी चाहिए देखने की सुविधा

बृज मंडल हैरिटेज कन्जरवेशन सोसाइटी के मेम्बर नरेश कुमार का कहना है कि टूरिस्ट को सिटी के अंदर स्थित तमाम संरक्षित मॉन्युमेंट्स देखने को नहीं मिल रहे। एएसआई की ओर से इस तरफ कतई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो इन मॉन्युमेंट्स को जंजीरों के अंदर बंद नहीं किया जाता है। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के मेम्बर नंदू गुप्ता का कहना है कि टूरिस्ट के लिए सारे मॉन्युमेंट्स को प्रॉपर ओपन किया जाना चाहिए। जब मॉन्युमेंट्स के गेट पर लॉक ही लटके रहने की वजह से ना तो लोग इन्हें देख पा रहे है और ना ही इनके बारे जानकारी हासिल कर पा रहे हैं। जब एएसआई से कांटेक्ट किया गया तो फोन रिसीव नहीं हुआ।

बृज खंडेलवाल, कन्वीनर बृज मंडल हैरिटेज कन्जरवेशन सोसाइटी

मॉन्युमेंट्स के गेट को परमानेंट रूप से जंजीर में जकड़े रखना तो बहुत ही गलत है। इससे तो टूरिस्ट इन्हें देख ही नहीं पाएंगे। मॉन्युमेंट्स को टाइमली खुला रखकर टूरिस्ट को इन्हें देखने को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन को सीरियस होने की जरूरत है।

-सुरेशचंद जैन, होटल ओनर

आगरा में टूरिस्ट मॉन्युमेंट्स ही देखने के लिए आता है। अगर इन्हें ही लॉक रखा जाएगा तो क्या होगा? कम से कम जो रोड साइड मॉन्युमेंट्स हैं उन्हें तो जंजीरों में बंद नहीं रखना चाहिए.