- नेता से लेकर अधिकारी छोड़ नहीं पा रहे मोह

- नेम प्लेट और हूटर से बरकरार रख रहे हनक

आगरा। प्रधानमंत्री ने रविवार को वीआईपी कल्चर खत्म करने पर 'मन की बात' में अपनी मंशा जाहिर की। उन्होंने वीआईपी की जगह ईपीआई (एवरी पर्सन इम्पॉर्टेट) को इजाद किया। उनका कहना था 'हमको मन से भी वीआईपी कल्चर को हटाना होगा', लेकिन पीएम की ये बात रुतबेदारों को अब तक समझ नहीं आई है। उन्होंने आदेश के बाद नीली और लाल बत्ती तो हटा ली है, लेकिन अपनी हनक बरकरार रखने के लिए गाडि़यों में ऐसा कुछ जरूर लगा या लिख रखा है, जिससे वीआईपी का अहसास होता रहे। इसमें अधिकारी, पुलिस से लेकर भाजपा के नेता भी पीछे नहीं हैं।

कुछ भी लिखना गैर कानूनी है

1 मई को जारी आदेश के बाद नेताओं और अधिकारियों की गाडि़यों से लाल और नीली बत्तियां उतर गई हैं, लेकिन गाडि़यों में हूटर, नेम प्लेट में पदनाम, पार्टी के रंग में पेंट नंबर प्लेट, गाड़ी के आगे नेम प्लेट, लहराता झंडा सहित कई ऐसी गाडि़यां सड़कों पर दौड़ रही हैं, जिनसे वीआईपी दिखाने का मोहभंग नहीं हुआ है। खास बात यह है कि हूटर और नंबर प्लेट में कुछ भी लिखना गैरकानूनी है। ये सिलसिला लगातार जारी है। इसके बाद भी आरटीओ और पुलिस प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

नंबर प्लेट से दिखा रहे रुतबा

पुलिस विभाग की गाडि़यों में नीली बत्ती की छूट है। फिर भी पुलिस की गाडि़यों में इसका सबसे ज्यादा असर दिख रहा है। कार और मोटर साइकिल की नंबर प्लेट में पुलिस का बड़ा-बड़ा साइन बनाकर छोड़ दिया है। वहीं जिले का बड़ा अधिकारी बताने के लिए नंबर प्लेट में राज्य शासन लिख दिया है। ये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भी गलत है। इसके बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।

पार्टी के नेता भी पीछे नहीं

भाजपा सरकार ने वीआईपी कल्चर खत्म करने का अभियान छेड़ रखा है, लेकिन उनकी पार्टी के नेताओं का ही मोहभंग नहीं हो पा रहा है। गाडि़यों में नाम-पद की बड़ी-बड़ी नेम प्लेट लगाकार अपनी हनक बरकरार रखे हुए हैं। वहीं हूटर लगाकर अपने को वीआईपी बताने में नहीं चूकते।