प्रयागराज (ब्‍यूरो)। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गंगानाथ झा परिसर में भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशक प्रो। ललित कुमार त्रिपाठी ने भारतीय भाषाओं की समृद्ध संपदा से परिचय कराते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं की जीवंतता और उनके बीच समन्वय एवं निर्भरता है। संस्कृत भाषा के समृद्ध व्याकरण से छात्र-छात्राओं को अवगत कराते उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं को समान रूप से सम्मान देने का आह्वान किया। इस दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ संस्कृत,बंगाली, मैथिली, अवधी, हरियाणवी, कन्नड़, मलयालम, राजस्थानी, उत्तराखंड का कुमाऊंनी तथा गढ़वाली, हिमाचली भाषाओं में गीत, नृत्य, भजन आदि की मनोहारी प्रस्तुतियां हुईं।

भाषा आंदोलन के बारे में बताया
प्राक्शोध पाठ्यक्रम के छात्र प्रसेनजित बर्मन ने उत्तरी बंगाल प्रांत की कामतापुरी भाषा का इतिहास तथा उस भाषा के विषय में चल रहें जन आंदोलन की जानकारी दी। अन्य प्राक्शोध पाठ्यक्रम के छात्र गुरुप्रसाद नें कन्नड़ भाषा के प्राचीन रूप से लेकर आधुनिक रूप तक कन्नड़ भाषा में क्रमश: कैसे बदलाव होते गए यह सोदाहरण प्रस्तुत किया। प्राक्शोधपाठ्यक्रम छात्रा सोनिया चौधरी ने बंगाली भाषा में 'रवींद्र संगीतÓ प्रस्तुत किया। सहायक आचार्य डा। मनीष जुगरान ने उत्तराखंड की गढ़वाली भाषा में एक लोकगीत प्रस्तुत किया। प्रो। देवदत्त सरोदे ने तेलुगु कविता के साथ साथ स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की लिखी हुई 'जयोस्तुतेÓ गीत की प्रस्तुति की। नृत्य प्रतियोगिता में सम्प्रीति प्रथम, करुणा द्वितीय तथा पल्लवी तृतीय रहीं। गीत/भजन गायन प्रतियोगिता में सुधा प्रथम, नीलेन्द्र शुक्ल द्वितीय तथा राहुल मिश्र, नंदिनी स्वर्णकार, परमेश्वरानंद तृतीय रहे। बहुभाषाविद् प्रतियोगिता में गुरुप्रसाद प्रथम और अवनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। अर्णव एवं गौरव को विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो। देवदत्त सरोदे, अश्विनी राजेश लंके, राजेश कांत तिवारी, प्रो। अपराजिता मिश्रा उपस्थित रहीं।