प्रयागराज ब्यूरो ।जल कल विभाग से रिटायर्ड होने के बाद मूलचंद्र शुक्रवार को महकमे में काम करने वाली एक 55 वर्षीय महिला से शादी की। बच्चों की परवरिश में पूरी जवानी खपाने के बाद अब वे दोनों अपना कल सुधारने के मकसद से यह कदम उठाया। खुद के लिए दोनों के त्याग को देखते हुए अब जवां हो चुके बच्चों ने भी उन्हें शादी करने की इजाजत दे दी। हालांकि उन दोनों व उनके परिजनों ने फोटो खिंचवाने से साफ मना कर दिया। परेड ग्राउंड में संत निरंकारी की ओर से आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में दोनों एक दूसरे का दामन थाम लिए। मौजूद उनके बच्चों की सोच ऐसे लोगों के लिए किसी सबक से कम नहीं है। उनका कहना था कि पूरी जवानी वह हमारी परवरिश में लगा दिए। अब उनके जीवन के बचे हुए दिन अच्छे से बीते, हमें इससे बड़ी खुशी और क्या मिलेगी।

48 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
बरेली जिले के निवासी मूलचंद्र जल कल विभाग में नौकरी किया करते थे। बताते हैं कि उसी विभाग में माया देवी भी पोस्ट हैं। दो बच्चे होने के बाद मूलचंद्र की पत्नी का स्वर्गवास हो गया। वहीं एक पुत्र होने के बाद माया देवी के पति की मौत हो गई। दोनों पूरी जवानी बच्चों की परवरिश व पढ़ाई लिखाई में लगा दिए। आज उन दोनों के बच्चों की शादियां हो गई हैं। मूलचंद्र विभाग से रिटायर्ड होने के बाद घर रहने लगे। जबकि मायादेवी अब भी विभाग में पोस्ट हैं। बताते हैं कि रिटायर्ड मूलचंद्र व माया देवी एक दूसरे से शादी का प्लान बना लिया। बात बच्चों को मालूम चली तो वे खुशी खुशी अपने माता व पिता को इस शादी की रजामंदी दे दिए। संत निरंकारी के मीडिया सेल से जुडे लोगों ने बताया कि सिर्फ रजा मंदी ही नहीं दिए वह उनकी शादी में वे शरीक भी दिए। इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में गरीब ही नहीं कई सम्पन्न परिवार के जोड़ों ने भी शादी की।
मऊआइमा के संजय कुमार ज्योति कुमारी से शादी की। संजय का मऊआइमा कस्बे में अपना स्टूडियो है। बिजनेस मैन सोरांव क्षेत्र के निवासी आदर्श कुमार भी यहां श्वेता कुमारी के साथ फेरे लिए। संजय खाद और बीज की शॉप चलाते हैं। लखनऊ के संतोष कुमार ट्यूशन पढ़ाने वाली टीचर नीलम कुमारी से शादी की। संतोष बताते हैं कि वह एक फोर-वीलर कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करते हैं। काली सड़क पर स्थित 609 नंबर कैंप में शादी के लिए आने वाले लोगों की व्यवस्था देख रहे प्रदीप ने बताया सामूहिक विवाह में कुल 48 शादियां कराई गईं। शादी करने वाले में यह जोड़े बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड और यूपी के रहने वाले हैं।


सामूहिक विवाह एक, फायदे अनेक
संत निरंकारी द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह में आए लोगों के द्वारा सामूहिक शादी के कई फायदे बताए गए
कहना था कि सामूहिक शादी का कल्चर हर गांव व शहर एवं कस्बे में होना चाहिए इसके फायदे समाज के हर शख्स को मिलेंगे
बताते हैं कि सामूहिक शादी से सबसे बड़ा फायदा लड़की और लड़के पक्ष की ओर से अलग-अलग किए जाने वाले खर्च बच जाते हैं।
एक ही लाइटिंग और प्लेस व कैटरिंग के इंतजाम से सभी की शादियां हो जाती हैं। इससे गेस्ट हाउस और अन्य व्यवस्थाओं में लगने वाले रुपयों की भी बचत होती है
चूंकि सामूहिक शादी का आयोजन दिन के उजाले में होता है, इस लिए दोनों परिवार का लाइटिंग खर्च तो बचता ही है बिजली की भी बचत होती है।
दिन में शादी होने के कारण हर्ष फायरिंग जैसी चीजें भी नहीं होती, इससे किसी के इंजर्ड होने का भी खतरा नहीं रहता और आतिशबाजी का भी खर्च बच जाता है
बारातियों के स्वागत सत्कार को लेकर
परिवारवालों को परेशान नहीं होना पड़ता। एक साथ सभी के स्वागत सामूहिक विवाह में समान रूप से होते हैं
सामूहिक विवाह समाज को जोडऩे व एक रूपता प्रदान करने में सहायक होता है, कार्यक्रम में आने वाला हर शख्स एक दूसरे से मिलता है इससे रिश्तों का विस्तार होता है।