20 करोड़ देशभर में ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या
10 लाख (16 फीसदी) प्रयागराज में मरीजों की संख्या
26 फीसदी ब्लड प्रेशर से होने वाली डेथ (यह आंकड़ा कार्डियक वैस्कुलर डिजीज से होने वाली मौतों का है, जिनमें बीपी भी शामिल है)
23 दिसंबर से प्रयागराज में शुरू होगा आईएचसीआई प्रोग्राम
30 साल की एज में पुरुषों में और महिलाओं में 40 साल की एज के बाद बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर का खतरा
-गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, प्रदेश सरकार सहित डब्ल्यूएचओ और रिजॉल्व टु सेव लाइफ संस्था की ओर से लिया गया है इनीशिएटिव
-प्रयागराज, वाराणसी, झंासी और ललितपुर को यूपी में किया गया है अभियान में शामिल
-दवा लेने वाले मरीजों को कार्ड दिया जाएगा, घर तक पहुंचाई जाएगी दवा
-बीच इलाज में दवा न छोड़े इसलिए मरीजों की होगी काउंसिलिंग
यह हैं ब्लड प्रेशर के पांच अहम कारण
-अनहेल्दी डाइट
-इन्एक्टिविटी
-एडिक्शन
-वर्क प्रेशर
-स्ट्रेस
-प्रयागराज में ब्लड प्रेशर के बढ़ते मरीजों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने प्रोग्राम में किया शामिल
-हाइपर टेंशन के मरीजों की अलग से होगी स्क्रीनिंग, दी जाएगी एक महीने की दवा
PRAYAGRAJ: वक्त ने लाइफस्टाइल पर बहुत असर डाला है। लाइफस्टाइल में आए इन चेंजेज के चलते बहुत से 'साइलेंट किलर' लाइफ पर अटैक करने लगे हैं। इनमें से एक है ब्लड प्रेशर यानी हाइपर टेंशन। प्रयागराज में इस जानलेवा बीमारी से 10 लाख लोग अफेक्टेड हैं। इसको देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने प्रयागराज को अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया है। इसके तहत यहां मरीजों की स्क्रीनिंग कर उन्हें बल्क में फ्री मेडिसिन्स मुहैया कराई जाएंगी, जिसका उन्हें लाइफटाइम सेवन करना होगा।
इसलिए शामिल किया गया प्रयागराज
डब्ल्यूएचओ ने 2017 में देश के पांच स्टेट में आईएचसीआई (इंडिया हाईपरटेंशन कंट्रोल इनीशिएटिव) कार्यक्रम शुरू किया था। इनमें पंजाब, केरला, मप्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र शामिल थे। मरीजों की संख्या को देखते हुए अब यूपी, बिहार और झारखंड, छत्तीसगढ़ और गोवा को जगह दी गई है। अकेले यूपी में ऐसे चार जिले शामिल किए गए हैं जहां बीपी के मरीजों की संख्या अधिक है। इनमें प्रयागराज, वाराणसी, झांसी और ललितपुर को चुना गया है।
स्क्रीनिंग से पकड़े जाएंगे मरीज
-हाइपर टेंशन के बढ़ते मरीजों की पहचान और इलाज के लिए यह प्रोग्राम 23 दिसंबर से शुरू किया जा रहा है।
-इसमें हॉस्पिटल सहित सीएचसी व पीएचसी में आने वाले मरीजों की जांच महंगी और अति आधुनिक मशीन से की जाएगी।
-दावा है कि इससे रिपोर्ट फाल्ट नही आती है।
-मरीज की पहचान होने के बाद उसकी काउंसिलिंग होगी।
-इसके बाद बताया जाएगा कि आपको आजीवन दवाएं खानी पड़ सकती हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट नही होगा।
बल्क में दी जाएगी दवा
फिलहाल हॉस्पिटल्स में बीपी की दवाएं अधिकतम दो से पांच दिन की दी जाती हैं। इस कार्यक्रम के तहत कम से कम तीस दिन की दवा मरीज को मुहैया कराई जाएगी। इसके साथ ही तीस दिन की दवाएं स्टॉक में रहेंगी, जिससे मरीज की दवाएं बंद न हो सकें। एनसीडी सेल के डॉ। सादिक अली कहते हैं कि अगर बीपी की दवाएं बीच में बंद कर दी जाएं तो बीपी तेजी से बढ़ता है। इससे लीवर, किडनी और हार्ट पर खराब असर पड़ सकता है। कार्यक्रम को चलाने के लिए मेडिकल ऑफिसर, फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है।
एनसीडी सेल के जरिए कार्यक्रम को रन कराया जाना है। प्रयागराज में ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या अधिक है इसलिए इसे डब्ल्यूएचओ ने अपने कार्यक्रम में शामिल किया है। अभी स्टाफ को ब्लड प्रेशर नापने और मरीज के इलाज की ट्रेनिंग दी जा रही है। 23 दिसंबर से अभियान को जिले में चलाकर मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी। दवा की कमी नहीं होने दी जाएगी।
-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज