-बच्चों में लगातार बढ़ रही है अस्थमा की समस्या, शहर में पॉल्यूशन लेवल बढ़ने से बीमारी का बढ़ रहा दायरा

PRAYAGRAJ: आपका बच्चा छह साल से छोटा है। उसे बार-बार सांस की नली में एलर्जी की समस्या हो रही है तो होशियार हो जाइए। आगे चलकर यह समस्या अस्थमा का रूप ले सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि पिछले कुछ साल में सिटी का पॉल्यूशन लेवल बढ़ने से पेशेंट्स की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। इसमें बच्चों की तादाद भी अधिक है।

रोजाना 30 से 35 नए मामले

आंकड़े बताते हैं कि हॉस्पिटल्स की श्वास रोग ओपीडी में रोजाना 30 से 35 नए बाल मरीज दस्तक देते हैं। पिछले साल की तुलना में यह संख्या दस साल साल औसतन पिछले वर्ष की तुलना में 45 फीसदी अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। लगभग इलाहाबाद की एक तिहाई आबादी किसी समय तक अस्थमा के रोग का शिकार हो सकती है जिसमें अधिकतर 20 वर्ष से कम आयु के किशोर या बच्चे होंगे। आंकड़े बताते हैं कि 16 फीसदी माइल्ड अस्थमा मरीजों को जान का खतरा है। 30 से 37 फीसदी गंभीर अस्थमा से बीमार हैं। इलाज में लापरवाही से 15 से 20 फीसदी अस्थमा मरीजों की जान चली जाती है।

यह हैं अस्थमा के कारण

-एयर पाल्यूशन का बढ़ना

-परागकण

-स्मोकिंग

-खाने की आदतें

-पोषक तत्वों की कमी

-हेरिडिटी प्राब्लम

फेफड़े दुरुस्त तो शरीर स्वस्थ

डॉक्टर्स का कहना है कि आजकल हर जगह योगा और एक्सरसाइज के जरिए शरीर को फिट रखने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर फेफड़े ठीक नही है तो आप कोई योगा नही कर सकते हैं। इसलिए लोगों को पहले अपने श्वांस तंत्र का ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए एलर्जी ओर अस्थमा आदि बीमारियों के प्रति होशियार रहना होगा। बच्चों के बढ़ती बीमारियों के प्रति पैरेंट्स को भी होशियारी बरतनी होगी।

जागरुकता फैला रहे डॉक्टर्स

मंगलवार को अस्थमा के लिए इनहेलर्स हैं सही अभियान को लांच किया गया है। जिसके तहत मंगलवार को चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशीष टंडन और डॉ। रितु जैन ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इनहेलेशन थेरेपी के जरिए मरीज को अधिक फायदा होता है। समाज में बालीवुड स्टार्स और प्लेयर्स सहित तमाम वर्गो के लोगों ने आगे आकर लोगों को इस थेरेपी के प्रति जागरुक किया है। कान्हा श्याम में इस अभियान से जुड़ी वीडियो फिल्म का प्रसारण भी किया गया।