-ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर का लिया जा रहा है मनमाना दाम

-पैकेट पर कई गुना एमआरपी लिखकर ग्राहकों से ऐंठे जा रहे पैसे

PRAYAGRAJ: कोरोना के दोबारा आने का हल्ला क्या मचा, ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की कीमतों में मनमानी शुरू हो गई। जो पल्स ऑक्सीमीटर दो महीने पहले चार से पांच सौ में बिक रहे थे, वर्तमान में उनकी कीमत 1200 से 1800 रुपए तक वसूली जा रही है। इसी तरह थर्मामीटर में भी कई तरह की वैरायटी मिल जाएंगी। कंपनी का थर्मामीटर अचानक महंगा हो गया है और लोकल थर्मामीटर 100 से 250 रुपए के बीच बेचे जा रहे हैं।

तेजी से बढ़ रहा डिमांड मीटर

देश की राजधानी दिल्ली समेत नोयडा और गाजियाबाद में कोरोना केसेज बढ़ने के साथ सरकार ने पूरे प्रदेश केसेज की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। प्रयागराज भी इससे अछूता नहीं है। पिछले एक सप्ताह में लगातार केसेज सौ से अधिक रहे हैं। ऐसे में दवा मार्केट में पैरासिटामॉल, एजिथ्रोमाइसीन, आइवरमेक्टिन, विटामिन सी समेत पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की डिमांड बढ़ने लगी है। इसका असर भी इनके दामों पर दिखने लगा है।

एमआरपी 3500, दाम 1300

महज दो माह पहले जो पल्स ऑक्सीमीटर महज पांच सौ रुपए तक बिक रहे थे वह अचानक से 1000 से 1800 रुपए तक बेचे जा रहे हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने लीडर रोड स्थित होलसेल दवा मंडी में सर्जिकल सामान बेचने वाली दुकानों का जायजा लिया। इस दौरान लोकल और डुप्लीकेट पल्स ऑक्सीमीटर बेचे जाते मिले। लेकिन दोनों की एमआरपी एक जैसी है। इन पर 3500 रुपए लिखा है और इनका दाम होलसेल में 1300 रुपए तक कर दिया गया है। कोरोना केस जब नीचे आ रहे थे तब यही ऑक्सीमीटर 500 रुपए तक बिक रहा था। रिटेल में खुली छूट है। ग्राहक को दो हजार रुपए तक यह बेचे जा रहे हैं। न तो इनकी वारंटी का पता है और न ही कंपनी का।

दोगुना से अधिक महंगा हुआ थर्मामीटर

एक नामीगिरामी कंपनी के थर्मामीटर की कोरोना संक्रमण में डिमांड क्या बढ़ी, उसकी कालाबाजारी शुरू हो गई। कंपनी ने इसका लाभ उठाकर उसका दाम दोगुने से अधिक कर दिया। वर्तमान में वह 270 रुपए एमआरपी के साथ मार्केट में है। जब रिपोर्टर ने इसका होलसेल रेट पूछा तो हकीकत सामने आ गई। दुकानदार ने इसका रेट 180 रुपए बताया। मतलब होलसेल से लेकर रिटेल तक लूट की खुली छूट। जबकि लोकल और घटिया थर्मामीटर सौ रुपए से लेकर ढाई सौ रुपए के रेट पर बेचे जा रहे हैं।

नियमों का फायदा उठाकर मनमानी

जब इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर डीपीसीओ यानी ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर में नहीं आते हैं। इसलिए लूटखोरी पर लगाम लगाना मुश्किल है। लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार ने जब होम आइसोलेशन किट का दाम 1800 रुपए तय कर दिया तो फिर इनके दाम पर लगाम लगाने का कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है?

दामों में अंतर

पल्स आक्सीमीटर पहले अब

500 900 से 1800

थर्मामीटर 100 120 से 250

हम मजबूर हैं क्योंकि पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर का रेट डीपीसीओ में नहीं आता। इनकी गिनती जेनेरिक में होती है। इसकी वजह से इनके दाम पर लगाम लगाना मुश्किल है। नियमों के अंतर्गत नहीं आने से कंपनियां कोई एमआरपी लिख सकती हैं। फिर भी हमारी नजर बनी हुई है। सरकार का कोई आदेश आते ही कार्रवाई की जाएगी।

-यूबी सिंह, एडिशनल कमिश्नर ड्रग प्रयागराज

इसमें क्या किया जा सकता है। अगर डिमांड बढ़ेगी तो दाम तो बढ़ेंगे ही। अच्छी कंपनी का पल्स ऑक्सीमीटर पहले से महंगा है लेकिन लोकल कंपनियां मनमाना एमआरपी लिखकर बेच रही हैं। इनको खरीदने से बचना चाहिए। यह किसी काम के नही हैं। इनका सेंसर भी ठीक नहीं काम करता है।

-परमजीत सिंह, सचिव, ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन प्रयागराज