2500 रुपए है शादी-बारात में घोड़ा-घोड़ी बुकिंग का रेट

02 लाख रुपए की औसत कमाई है छह-सात घोड़ा पालने वाले व्यापारी की

250 अधिक लोग जुड़े हैं घोड़ा-बग्गी के बिजनेस में

1500 से अधिक है घोड़े-घोडि़यों की संख्या

07 किलो खुराक है एक घोड़े की दिनभर में

04 किलो तक ही खुराक से चलाना पड़ रहा है काम

07 हजार तक का खर्च हो जाता है एक महीने में प्रति घोड़ा-घोड़ी पर

-बालों की शाइनिंग बरकरार रहे इसके लिए मालिक घोड़ा-घोड़ी को खिलाते थे पनीर

-शादी-बारात में बुकिंग न होने से इनके मालिकों के सामने खड़ा हुआ संकट

PRAYAGRAJ: कोरोना ने सभी की कमर तोड़कर रख दी है। आलम यह है कि अनलॉक होने के बावजूद बिजनेस बिल्कुल मंदा पड़ा हुआ है। इसमें भी खासतौर उनके लिए मुसीबत ज्यादा बढ़ी है जो शुभ-लगन वाले कार्यो से जुड़े हैं। ऐसा ही एक सेगमेंट है घोड़ा और बग्गी वालों का। इनमें इस्तेमाल होने वाले घोड़े-घोडि़यों का ऐसा जलवा था कि इन्हें पनीर खिलाया जाता था। घोड़े-घोडि़यों के बाल ज्यादा साइन करें और इन्हें बुक करने वाला कस्टमर इन्हें देखकर अट्रैक्ट हो, इसके लिए इनके मालिक इसका खास अरेंजमेंट करते थे। लेकिन आज की तारीख में उनके लिए पेट भर खाना जुटा पाना भी उनके मालिकों के लिए मुश्किल हो गया है।

पहले यह खाते थे लेकिन अब

घोड़ी-बग्गी वालों का कहना है कि कोरोना काल की शुरुआत से ही बिजनेस ठप पड़ा है। इसके चलते इनकम बिल्कुल जीरो है। ऐसे में घोड़े-घोडि़यों के लिए पर्याप्त दाना-पानी तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि शादी लगन में बुक होने वाले घोड़े-घोडि़यों को खाने में पनीर मिलाकर खिलाया जाता था। ताकि वह दूसरे घोड़े व घोड़ी की तुलना में ज्यादा खूबसूरत दिखाई पड़ें। पहले इनकी डाइट में सुबह-शाम डेली छह से सात किलो सूखी घास, चारा व प्रोटीन और विटामिन शामिल हुआ करती थी। लेकिन अब तो इनका पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। इस वजह से कई घोडि़यों की सेहत तक डाउन हो गया है। इसको लेकर मालिक बेहद चिंतित है।

घोड़े-घोडि़यों को पर्याप्त डाइट नहीं मिल पा रही हैं। स्टाफ नहीं आ रहा है। इसके चलते देखभाल भी नहीं हो पा रही है। अभी तक एक भी बुकिंग नहीं हुई है। जिनकी बुकिंग कोरोना काल से पहले हुई थी, वो भी पैसे वापस मांग रहे हैं।

-कृष्ण लाल काकू भाई

बग्गी वाले

घोडि़यों को बच्चे की तरह पालना पड़ता है। हमें बहुत दिक्कत हो रही है। हमारे पास दवा के भी पैसे नहीं है। घोडि़यों को खिलाने वाला चारा भी महंगा हो रहा है। ऐसा ही हाल रहा तो हमें अपने घोड़े-घोडि़यों को बेचना पड़ेगा।

-भुल्लन

-बग्गी वाले