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- Painting exhibition के <के second day second day नहीं पहुंचे <नहीं पहुंचे art lovers

ALLAHABAD: art lovers

ALLAHABAD: लिट्रेचर, आर्ट और कल्चर की सिटी इलाहाबाद में लग रहा है आर्ट लवर्स की संख्या कम हो गई है। तभी तो पंचगुन की ओर से एनसीजेडसीसी के महात्मा गांधी कला वीथिका में ऑर्गनाइज फोर डेज पेंटिंग एक्जिबिशन में आर्ट लवर्स की भीड़ न के बराबर दिख रही है। जबकि आर्टिस्टों ने अपने मन की भावनाओं को पूरे शिद्दत के साथ कैनवास पर उतारा है। लेकिन आर्ट लवर्स के न पहुंचने से आर्टिस्ट परेशान हैं। उन्हें आर्ट के कद्रदानाें का इंतजार है।

एक हॉल और पांच कलाकार

पंचगुन की ओर से आर्गनाइज ग्रुप पेंटिंग शो में आर्टिस्ट अहमद नियाज रज्जाकी, मोहम्मद कासिम फारुकी, इमानुएल जार्ज, फातिमा जहरा और राजेंद्र भारतीय के आर्ट को शामिल किया गया है। पांचों आर्टिस्टों के आर्ट एक ही हाल में दीवारों पर लगाए गए हैं, जिन्हें इंतजार है आर्ट लवर्स का जो आर्टिस्टों की भावनाअों को समझ सकें।

हर तस्वीर कुछ कहती है

आर्टिस्टों ने इस दुनिया, जहां और समाज को अपनी आंखों से नहीं बल्कि मन की आंखों से देख कर, पैदा हुई भावनाओं को कैनवास पर उतारा है। कला विथिका की दीवारों पर लगाई गई हर तस्वीर कुछ न कुछ कहती है। आर्टिस्टों ने कोलाज, मिक्स मीडिया, वाटर कलर, एक्रोलिक, मोनोक्रोम, वाटर कलर इंक के जरिये अपनी भावनाओं को सामने रखा है।

पहले दिन सेल हुई कुछ तस्वीरें

20 से 23 फरवरी तक चलने वाले पेंटिंग एक्जिबिशन के पहले दिन कुछ आर्ट लवर्स पहुंचे थे। जिनकी अच्छी खासी भीड़ दिखाई दी थी। जिनमें से कुछ के दिलों को आर्टिस्टों के आर्ट ने छुआ और उन्होंने तस्वीरों को परचेज किया। लेकिन दूसरे दिन सन्नाटा छाया रहा।

क्या कहते हैं <लिट्रेचर, आर्ट और कल्चर की सिटी इलाहाबाद में लग रहा है आर्ट लवर्स की संख्या कम हो गई है। तभी तो पंचगुन की ओर से एनसीजेडसीसी के महात्मा गांधी कला वीथिका में ऑर्गनाइज फोर डेज पेंटिंग एक्जिबिशन में आर्ट लवर्स की भीड़ न के बराबर दिख रही है। जबकि आर्टिस्टों ने अपने मन की भावनाओं को पूरे शिद्दत के साथ कैनवास पर उतारा है। लेकिन आर्ट लवर्स के न पहुंचने से आर्टिस्ट परेशान हैं। उन्हें आर्ट के कद्रदानाें का इंतजार है।

एक हॉल और पांच कलाकार

पंचगुन की ओर से आर्गनाइज ग्रुप पेंटिंग शो में आर्टिस्ट अहमद नियाज रज्जाकी, मोहम्मद कासिम फारुकी, इमानुएल जार्ज, फातिमा जहरा और राजेंद्र भारतीय के आर्ट को शामिल किया गया है। पांचों आर्टिस्टों के आर्ट एक ही हाल में दीवारों पर लगाए गए हैं, जिन्हें इंतजार है आर्ट लवर्स का जो आर्टिस्टों की भावनाअों को समझ सकें।

हर तस्वीर कुछ कहती है

आर्टिस्टों ने इस दुनिया, जहां और समाज को अपनी आंखों से नहीं बल्कि मन की आंखों से देख कर, पैदा हुई भावनाओं को कैनवास पर उतारा है। कला विथिका की दीवारों पर लगाई गई हर तस्वीर कुछ न कुछ कहती है। आर्टिस्टों ने कोलाज, मिक्स मीडिया, वाटर कलर, एक्रोलिक, मोनोक्रोम, वाटर कलर इंक के जरिये अपनी भावनाओं को सामने रखा है।

पहले दिन सेल हुई कुछ तस्वीरें

ख्0 से ख्फ् फरवरी तक चलने वाले पेंटिंग एक्जिबिशन के पहले दिन कुछ आर्ट लवर्स पहुंचे थे। जिनकी अच्छी खासी भीड़ दिखाई दी थी। जिनमें से कुछ के दिलों को आर्टिस्टों के आर्ट ने छुआ और उन्होंने तस्वीरों को परचेज किया। लेकिन दूसरे दिन सन्नाटा छाया रहा।

क्या कहते हैं artist

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Life is rhythm

Life is rhythm

मैने इस बार एक्जिबिशन में रिदम को शामिल किया है। बैले, भरतनाट्यम और कथक डांसर की भावनाओं और मुद्राओं को अपने ब्रश के माध्यम से कैनवास पर उतारा है। मेरा मानना है कि जब तक वो डांस करा रहा है हम डांस कर रहे हैं। बैले में रिदम है, जो अट्रैक्ट करता है। बैले फीमेल के रिदम बैलेंसिंग को दर्शाता है। जिसे मैने अपने ब्रश के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया है।

इमानुएल जार्ज

बीएफए पेंटिंग

जीवन की उधेड़बुन

हर किसी के दिमाग में ख्ब् घंटे कुछ न कुछ चलता रहता है। कोई कुछ सोचता है कोई कुछ। यही नहीं मनुष्य का जीवन भी बदल गया है। जिसे मैने अपने कोलाज के माध्यम से पब्लिक के सामने रखने का प्रयास किया है, ताकि लोग समझ सकें। क्00 साल पहले से कोलाज का इस्तेमाल हो रहा है। जिसकी शुरुआत पिकासो और बराक ने की थी। पहले कोलाज फाड़ कर बनता था। मैने कैंची का इस्तेमाल कर कोलाज को अपनी भावनाओं का आकार दिया है।

अहमद नियाज रज्जाकी