- स्कूलों के आस-पास जंक फूड की बिक्री पर नही लग रही लगाम
- 200 मीटर के दायरे में खुलेआम हो रही बिक्री, दुकानदारों के खिलाफ नहीं हो रही कार्रवाई
नोट
बच्चों को बचाओ, दुकान हटाओ लोगों के साथ
ALLAHABAD:
सरकार ने भले ही स्कूलों के 200 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। शहर के तमाम छोटे-बड़े स्कूलों के आस-पास बच्चों को खुले आम जंक फूड परोसा जा रहा है। दुकानदार उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया।
जनरल स्टोर पर भी मिल रहे सामान
स्कूलों के पास जंक फूड की बिक्री की रियलिटी चेक करने के लिए आईनेक्स्ट ने गुरुवार को विभिन्न स्कूलों आसपास मौजूद दुकानों का जायजा लिया। टीम गर्ल्स हाई स्कूल के पास पहुंची, जहां नर्सरी सेक्शन के गेट के पास मौजूद जनरल स्टोर पर चाकलेट, चिप्स, बरगर बेचे जा रहे थे। स्कूल की छुट्टी होते ही बच्चों की भीड़ इन दुकानों पर जुट गई। अमूमन सभी बड़े स्कूलों के आसपास मौजूद दुकानों पर यही नजारा देखने को मिला।
बुढ़ापे की बीमारी जवानी में
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक लीवर रोगों से होने वाली मौतों के मामले में भारत नौवें स्थान पर है। इसके लिए जंक फूड को जिम्मेदार बताया गया है। यही वजह है कि सीबीएसई ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे स्कूल कैंटीन में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाएं। सरकार ने भी स्कूलों के 200 मीटर दायरे में जंक फूड या फास्ट फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
फैक्ट फाइल
जिले में आईसीएसई के पंद्रह स्कूल, जबकि सीबीएसई के 50 से ज्यादा स्कूल हैं
वहीं जिले में यूपी बोर्ड से जुड़े स्कूलों और कालेजों की संख्या एक हजार से ज्यादा है।
ज्यादातर स्कूलों के आसपास दुकानें मौजूद हैं, जहां चाऊमिन, पिज्जा, बरगर, चिप्स आदि जंक फूड मिल जाएंगे।
क्या हो सकती हैं दिक्कतें
जंक फूड के अधिक सेवन से आलस आता है।
डिप्रेशन की समस्या 58 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
खाने में फाइबर्स की कमी होने से पाचन संबंधी दिक्कत भी हो सकती है।
रिफाइन्ड शुगर की अधिक मात्रा होती है, जिससे चिड़चिड़ापन हो जाता है।
जंक फूड में न्यूट्रिशन वैल्यू कम होती है, जिससे मोटापा हो सकता है।
अभी तक कोई लिखित आदेश नहीं आया। आदेश मिलने के बाद तमाम छोटे-बड़े स्कूलों के आस-पास मौजूद खाद्य पदार्थो की दुकानों पर छापामारी की जाएगी।
सीएल यादव, चीफ फूड इंस्पेक्टर