- बच्चों को बचाओ, दुकान हटाओ

- स्कूलों के 200 मीटर के दायरे में खुलेआम बिक रहा जंकफूड

- बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लगा रखी है रोक

ALLAHABAD: जंक फूड का खतरा जग जाहिर है। विभिन्न रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि यह लीवर यानि कलेजे की बीमारी का प्रमुख कारण है। इसी बात से इनीसिएटिव लेते हुए सरकार ने स्कूलों के 200 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके शहर के तमाम छोटे-बड़े स्कूलों के आस-पास बच्चों को खुले आम जंक फूड परोसा जा रहा है। दुकानदार उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसकी न तो स्कूल प्रशासन को फिक्र है और न प्रशासनिक अधिकारियों को। आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई।

सीन वन

आईनेक्स्ट टीम सबसे पहले ग‌र्ल्स हाई स्कूल के पास पहुंची। यहां नर्सरी सेक्शन के गेट के पास मौजूद जनरल स्टोर पर चाकलेट, चिप्स, बरगर बेचे जा रहे थे। स्कूल की छुट्टी होते ही बच्चों की भीड़ इन दुकानों पर जुट गई। अमूमन सभी बड़े स्कूलों के आसपास मौजूद दुकानों पर यही नजारा देखने को मिला।

सीन टू

बिशप जानसन स्कूल एंड कालेज के गेट पर छुट्टी होने से पहले ही दुकानदार अपनी दुकानों व ठेलों को सजाने सवांरने में जुटे थे। छुट्टी होते ही बच्चों की भीड़ इन दुकानों की ओर बढ़ चली। अपनी पसंद के खाद्य सामानों की खरीददारी में जुट गई। जबकि बच्चों के पैरेंट्स व स्कूल के सुरक्षा गार्ड भी वहां मौजूद रहे।

सीन थ्री

टीम ने सेंट जोसफ कालेज, मैरी लूकस स्कूल एंड कालेज, मेरी वाना मेकर आदि स्कूलों के बाहर भी जायजा लिया। यहां तो बच्चों को लेने आए पैरेंट्स ही उनकी डिमांड पूरी करते दिखे। हर स्टाल पर बच्चों की भारी भीड़ जमा थी। कोई चिप्स खरीद रहा था तो कोई बर्गर।

बुढ़ापे की बीमारी जवानी में

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक लीवर से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत के मामले में भारत नौवें स्थान पर है। इसके लिए जंक फूड को जिम्मेदार बताया गया है। यही वजह है कि सीबीएसई ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे स्कूल कैंटीन में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाएं। सरकार ने भी स्कूलों के 200 मीटर दायरे में जंक फूड या फास्ट फूड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।

फैक्ट फाइल

- जिले में आईसीएसई के पंद्रह स्कूल, जबकि सीबीएसई के 50 से ज्यादा स्कूल हैं

- यूपी बोर्ड से जुड़े स्कूलों और कालेजों की संख्या एक हजार से ज्यादा है

- ज्यादातर स्कूलों के आसपास दुकानों पर बिकता है चाऊमीन, पिज्जा, बरगर, चिप्स

जंक फूड के साइड इफेक्ट

- जंक फूड के अधिक सेवन से बढ़ती है सुस्ती

- डिप्रेशन की समस्या 58 प्रतिशत तक बढ़ जाती है

- खाने में फाइबर्स की कमी होने से गड़बड़ा जाता है डाइजेशन

- रिफाइण्ड शुगर की अधिक मात्रा पैदा करती है चिड़चिड़ापन

- जंक फूड में न्यूट्रिशन वैल्यु कम होने से मोटापा की समस्या

- अभी तक कोई लिखित आदेश नहीं आया। आदेश मिलने के बाद तमाम छोटे-बड़े स्कूलों के आस-पास मौजूद खाद्य पदार्थो की दुकानों पर छापामारी की जाएगी।

सीएल यादव, चीफ फूड इंस्पेक्टर